चूरू जिले की चमत्कारिक भीम बावड़ी जिसका पानी अमावस्या के दिन हो जाता है सफेद

bheem baawdi churu

सत के ऊपर जग टीका, सत का देते हवाला।

गाय चराते हर कहीं मिल जाता, कृष्ण था वह ग्वाला।

Bheem Baawdi Story: राजस्थान में ऐसी कई ऐतिहासिक चीजें हैं जिनके चमत्कारिक होने की काफी किवदंतियां है। आज हम आपको एक ऐसी ही हजारों साल पुरानी चमत्कारी बावड़ी के बारे में बताएंगे जिसको लेकर दावा किया जाता है कि यह भीम ने बनाई थी। Bheem Baawdi Churu

यह वीडियो जरूर देखें! 

एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार पांडवों का यज्ञ चल रहा था, जिसमें पंडितों ने श्याम जी को लाने का हुक्म दिया और कहा उनके आने पर ही यज्ञ सफल होगा। यह काम भीम को सौंपा गया तथा बताया गया कि भारत के उस भूभाग में जहां मरुस्थल ही मरुस्थल है, वहां पर श्याम बाबा आपको गाय चराते हुए मिलेंगे।

भीम ने श्याम बाबा को ढूंढना शुरू किया। ढूंढते ढूंढते चूरू जिले के अंदर तारानगर कस्बे के पास बाय गांव के रेतीले टीलों में श्याम बाबा गाय चराते हुए मिल गए।

गायों के लिए पानी की व्यवस्था

भीम ने श्याम बाबा को पांडवों के द्वारा किए जाने वाले यज्ञ के बारे में बताया और उनको ले जाने वाली बात भी बतायी। श्याम बाबा ने कहा कि मैं चल तो सकता हूं लेकिन मेरी गायों के लिए पानी का इंतजाम होने के बाद में ही चल सकता हूं अन्यथा मेरी गाय प्यासी मर जाएंगी।

कहा जाता है कि भीम ने ढाई फावड़ी में पानी की व्यवस्था कर दी और अपनी धोती के पल्ले में पत्थर लाकर इस बावड़ी को पक्का बना दिया जो आज एक आश्चर्य का विषय है। यह भी कहा जाता है कि जिन पत्थरों से बावड़ी बनी हुई है वह पत्थर चूरू में तथा चूरू के आसपास कहीं भी नहीं है।

गंगाजल के सरीखा है बावड़ी का पानी

स्थानीय लोगों ने बाद में समय के साथ बावड़ी का जीर्णोद्धार कर दिया। बता दें कि इस बावड़ी में किसी के नहाने की अनुमति नहीं है। नहाने के लिए अलग से बाथरूम, अलग से पानी की व्यवस्था, पशुओं के पीने की अलग व्यवस्था की गई है। बावड़ी के पानी की मान्यता गंगाजल के पानी के बराबर है तथा दूर-दूर से आने वाले भक्तों के लिए शीशी में पानी भर कर दिया जाता है।

अमावस्या के दिन पानी हो जाता है सफेद

स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रत्येक अमावस्या के दिन बावड़ी का पानी अपना रंग बदल लेता है और सफेद हो जाता है। इस दिन हजारों किलोमीटर दूर से बावड़ी को देखने लोग आते हैं और पानी को बोतल वगैरह में डाल कर ले जाते हैं।

इसके अलावा कथनानुसार अमावस्या के दिन पानी के अंदर श्याम जी के घोड़े की आकृति, राधा जी की आकृतियो का निर्माण भी होता है और स्वतः ही खत्म हो जाता है। वहीं पास में ही एक और बहुत ऊंचा टीला है जिस पर भीम ने अपनी जूती झड़काई थी, जिसके ऊपर चढ़कर यज्ञ करने से बरसात हो जाती है।

चूरू जिले की और खबरें देख ने के लिए यहां क्लिक करें!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *