बिहार के गरुड़ कमांडो ज्योति प्रकाश निराला जिनके साहस को देख आ’तंकियों की कांप गई थी रू’ह

देश सेवा में लगे सेना के जवानों के जज्बे और साहस की कहानियां अगर हम आपको बताएंगे तो शायद हमारी शब्द सीमा भी कम पड़ जाए। अद्मय साहस और वीरता की ऐसी कई कहानियां है जब जवानों ने देश के लिए अपने जान की बाजी हंसते-हंसते लगा दी। ऐसी ही एक कहानी है बिहार में रोहतास जिले के भारतीय वायुसेना के गरूड़ कमांडो ज्योति प्रकाश निराला की जो जम्मू एवं कश्मीर में आ’तंक वादियों से लड़ते हुए श’हीद हो गए, जिन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।

निराला को शांति के समय दिया जाना वाला यह देश का सबसे बड़ा सैन्य सम्मान था।

2005 भारतीय वायु सेना में बने गरुड़ कमांडो

रोहतास जिले के काराकाट के बदलाडीह गांव के रहने वाले ज्योति प्रकाश निराला का जन्म यादव परिवार में हुआ। साल 2005 में उन्होंने भारतीय वायु सेना को बतौर गरुड़ कमांडो तौर पर जॉइन किया जिसके बाद उन्हें 13 राष्ट्रीय रायफल्स में भेजा गया। जम्मू कश्मीर के ऑपरेशन रक्षक में भी उन्होंने अपनी सेवा दी थी।

2017 में आ’तंकियों से मुठभेड़ के दौरान हुए श’हीद

ज्योति कुमार निराला 19 नवंबर 2017 को जम्मू कश्मीर में कार्यरत थे जहां उन्हें खबर मिली कि हरिजन इलाके में चंद्रागीर गांव में आ’तंकी एक घर में छिपे हुए हैं, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी शुरू कर दी।

निराला की तलाशी के दौरान आ’तंकियों के साथ मु’ठभेड़ हुई और उन्होंने फा’ यरिंग के दौरान तीन आ’तंकियों को मा’र गिराया। इन आ’तंकी संगठन जै’श-ए-मो हम्मद सरगना का भतीजा भी शामिल था।

इसी फा’ यरिंग के दौरान ज्योति प्रकाश निराला को भी एक गो’ ली लगी थी जिसके बाद वह बच नहीं सके। इस पूरी मु’ठभेड़ में भारतीय सेना ने 6 आ’तंकियों को मौ’ त के घाट उतार दिया था।

अशोक चक्र से सम्मानित एयरफोर्स के पहले गरुड़ कमांडो

ज्योति प्रकाश निराला महज 31 वर्ष की आयु में श’ हीद हो गए। उनके परिवार में एक बेटी, पत्नी और तीन बहनों के अलावा मां-बाप हैं।

देश के लिए बलिदान देने के लिए निराला को जनवरी 2018 में सेना के सबसे उच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बता दें कि निराला भारतीय वायुसेना के पहले गरूड़ कमांडो थे जिन्हें ग्राउंड पर ऑपरेशन के लिए यह सम्मान दिया गया।

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