ट्रांसजेंडर होने के नाते सहा भेदभाव, अब बैंक अफसर से पीठासीन अधिकारी बन संभाली बड़ी जिम्मेदारी

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडरों को समान रूप से मान्यता देने के लिए तीसरे लिंग के रूप में उन्हें मान्यता दी। वहीं सरकार ने किन्नर कल्याण बोर्ड की भी स्थापना करते हुए कई जगह किन्नर महोत्सव भी मनाए। इसी के चलते अब समाज में किन्नर कुछ जगहों पर ऊंचे प्रशासनिक ओहदों तक पहुंच पा रहे हैं।

पिछले साल बिहार में विधानसभा चुनावों में ट्रांसजेंडर मोनिका दास को देश की पहली पीठासीन पदाधिकारी बनाया गया था।

बैंकर से पीठासीन अधिकारी

ट्रांसजेंडर मोनिका दास 2015 में केनरा बैंक में बतौर अधिकारी पद पर कार्यरत हुई थी। पिछले साल बिहार की राजधानी पटना की रहने वाली ट्रांसजेंडर मोनिका दास को विधानसभा चुनावों में पीठासीन पदाधिकारी बनाया गया था। मोनिका दास ने पूरे एक बूथ की जिम्मेदारी संभाली थी। वहीं हम आपको बता दें कि इससे पहले भी बंगाल चुनाव में ट्रांसजेंडर रिया को सरकार ने पोलिंग अफसर बनाया गया था।

गोल्ड मेडलिस्ट है मोनिका दस

मोनिका दास के बारे में आपको बताएंगे तो उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की है। पटना यूनिवर्सिटी से मोनिका दास ने लॉ की पढ़ाई में गोल्ड मेडल जीता था। वहीं आपको बताएं तो ब्यूटी कंपटीशन में भी वह फेस ऑफ पटना रह चुकी है। मोनिका के पिता सेल्स टैक्स अफसर हैं और उनकी मां अनीता रानी बीएसएनएल में रिटायर कर्मचारी है।

बचपन से सहा भेदभाव

मोनिका दास ने बताया कि बचपन में उन्हें काफी भेदभाव का सामना करना पड़ा था लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी पढ़ाई को नहीं छोड़ा और पढ़ाई करके बैंक में अफसर बनी।

इसके बाद उन्हें विधानसभा चुनावों में उन्हें पीठासीन अधिकारी बनाया गया। वह कहती हैं कि उनके अधिकारी बनने के बाद ट्रांसजेंडर समाज में बराबरी का दर्जा लाने में थोड़ी सी मदद मिलेगी। वह कहती है कि देश में ट्रांसजेंडर को भी समान नजर से देखा जाना जरूरी है।

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