नम्रता ने जिद से तय किया IAS तक का सफर, नक्सली चुनौतियों के बीच लिखी सफलता की कहानी

छत्तीसगढ़  के  दंतेवाड़ा जिले के बारे में हम सभी जानते हैं कि किस तरह वह इलाका नक्सल गतिविधियों से प्रभावित रहता है, ऐसे में उस इलाके में मेहनत कर विपरीत परिस्थितियों को पार कर आईएएस की कुर्सी तक पहुंचना हर किसी के लिए काफी मायने रखता है.

आज हम आपको एक ऐसी ही कहानी बताएंगे जिसमें गरीबी, असुविधाएं, मुश्किलें और तमाम दिक्कतें हैं लेकिन कहानी का किरदार इन सभी को मात देकर सफलता के मुकाम पर पहुंच जाता है। हम बात कर रहे हैं दंतेवाड़ा की आईएएस ऑफिसर नम्रता जैन की जिन्होंने यह साबित कर दिया कि मुश्किल हालातों के बावजूद भी सपना पूरा किया जा सकता है।

नम्रता एक ऐसे इलाके से आती है जहां उन्हें पढ़ाई के दौरान कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, जहां हर दूसरे दिन हत्या, विस्फोट और बिजली चले जाने का डर सताता वैसे परिवेश में रहकर नम्रता जैन ने आईएएस तक का सफर तय किया।

नक्सली क्षेत्र को देखकर मिली प्रेरणा

नम्रता जैन कहती है कि उनके कस्बे में आए दिन नक्सली घटनाएं होती रहती है, जिसे माहौल खराब रहता था ऐसे माहौल में तैयारी करना अपने आप में चुनौती है। ऐसे में नम्रता हमेशा से अपने इलाके के लोगों के लिए कुछ करना चाहती थी।

मां से मिली प्रेरणा

नम्रता ने अपनी पढ़ाई दंतेवाड़ा के कारली के निर्मल निकेतन स्कूल से की जिसके बाद 10वीं पास करने के दौरान उन्होंने कई मुश्किलों का सामना किया लेकिन उनकी मां ने उनका हर समय साथ दिया। मां के सहयोग से नम्रता ने 5 साल भिलाई और 3 साल दिल्ली में रहकर पढ़ाई पूरी की।

नम्रता अपनी तैयारी के दिनों का एक किस्सा बताते हुए कहती है कि उनकी तैयारी के दौरान उनके दो चाचा की 6 महीने के अंतराल में हार्ट अटैक से मौत हो गई जिससे उन्हें गहरा दिमागी आघात लगा।

आईपीएस से आईएएस का सफर

नम्रता ने पहली बार 2015 में यूपीएससी  दिया लेकिन सफल नहीं हो सकी. इसके बाद 2016  में 99वां  रैंक हासिल की और IPS बनी लेकिन उनका सपना तो आईएएस बनने का था ऐसे में वह हैदराबाद के सरदार वल्लभ भाई पटेल नेशनल पुलिस एकेडमी में ट्रेनिंग के दौरान लगातार तैयारी में लगी रहती थी।

आखिरकार 2018 में उन्होंने एक बार फिर किस्मत को आजमाया, और इस बार उन्होंने ऑल इंडिया 12वीं  रैंक हासिल की। फिलहाल नम्रता जैन महासमुंद में पोस्टेड है।

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