दिल्ली की पहली महिला बाउंसर मेहरून्निशा, सेना में जाने के सपने को छोड़ अपनाया ये रास्ता

आज हम आपको एक प्रेरणादायक कहानी बताएंगे, कहानी है दिल्ली की रहने वाली मेहरून्निशा बाउंसर की। दक्षिणी दिल्ली जिले के मदनी नगर इलाके में रहने वाली मेहरून्निशा का जीवन कई संघर्षों से भरा रहा.

मेहरून्निशा के शुरूआती दिनों की बात करें तो वह हौज खास के एक बार में बाउंसर का काम करती थी। लॉकडाउन लगने की वजह से सबकुछ बंद हो गया जिसके बाद लगातार वह आर्थिक तंगी का सामना कर रही है। मेहरून्निशा का परिवार उत्तर प्रदेश के सहारनपुर का रहने वाला है, उनके पिता इंजीनियर इंजीनियरिंग का काम करते थे।

पहली महिला बाउंसर आज है बेरोजगार

मेहरून्निशा यह दावा करती है कि वह देश की पहली महिला बाउंसर है. 35 वर्षीय मेहरुनिन्नशा ने अभी तक शादी नहीं की और वह साल 2004 से बाउंसर के तौर पर काम कर रही है, लेकिन इस वक्त वह आर्थिक तंगी से गुजर रही है और बेरोजगार हैं।

लोग बुलाते थे सिक्योरिटी गार्ड

मेहरुनिन्नशा बताती है कि जब उन्होंने एक बाउंसर के तौर पर काम करना शुरू किया तो लोग उन्हें सिक्योरिटी गार्ड समझते थे। पहले बाउंसर का चलन बिल्कुल भी नहीं था। महिलाओं को बाउंसर के तौर पर समाज स्वीकार भी नहीं करता था। वह कहती है कि जब लोग उन्हें सिक्योरिटी गार्ड समझते थे तब उन्हें गुस्सा आता था।

लेकिन साल और वक्त बदलता गया लोग अब बाउंसर को बाउंसर की तौर पर समझते हैं। मेहरुनिन्नशा कहती है कि महिलाएं भी अब बाउंसर के काम में खुद की भागीदारी करने लगी है जो कि एक अच्छा संकेत है।

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

मेहरुनिन्नशा को मिलाकर उनके कुल 7 भाई बहन हैं. वह अपने परिवार में दूसरे नंबर की बड़ी बहन है. उनके परिवार की स्थिति ठीक नहीं थी। सड़क दुर्घटना में उनकी बड़ी बहन का पांव टूट गया था जिसके बाद उनकी बहन के पति ने उन्हें छोड़ दिया था। ऐसे में मेहरुनिन्नशा ने सबकी जिम्मेदारी लेने का फैसला किया।

सैनिक बनना चाहती थी मेहरुनिन्नशा

मेहरुनिन्नशा की बात करें तो वह सेना में भर्ती होना चाहती थी। परिवार के लाख मना करने के बावजूद भी उन्होंने एनसीसी ज्वाइन किया. इसके बाद उन्होंने पुलिस की तैयारी करना भी शुरू कर दिया था। आपको बता दें कि मेहरून्निशा ने उत्तर प्रदेश के सब इंस्पेक्टर की परीक्षा को पास कर लिया था। लेकिन उनके पिता सेना में नौकरी करने को सही नहीं मानते थे। जिसकी वजह से उन्हें सेना में भर्ती होने के सपने को छोड़ना पड़ा।

महिलाओं को बनाना चाहती है आत्मनिर्भर

मेहरुनिन्नशा बताती हैं कि वह खुद की सिक्योरिटी एजेंसी शुरू करना चाहती है. उन्होंने मर्दानी सिक्योरिटी नाम से लाइसेंस भी बनवा लिया है लेकिन पैसों की कमी की वजह से उनका यह काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। वह कहती हैं कि महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की बहुत जरूरत है. वह महिलाओं को आत्मनिर्भर और अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिए सक्षम बनाना चाहती है।

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