मिसेज इडली : पति ने साथ छोड़ा, दिल्ली में सड़क किनारे लगाया इडली का ठेला, अब प्रतिदिन होती है 2 से 3 हजार की कमाई

समाज में एक महिला पत्नी, मां, बेटी होने की जिम्मेदारी एक साथ संभालते हुए तमाम मुश्किलों को झेलती है, वह अपने किरदार को जीती हुई हर सुबह एक नए संघर्ष में उतरती है। कुछ ऐसी ही कहानी है उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद की रहने वाली गीता जायसवाल की जिन्होंने बचपन की तंगहाली से लेकर पत्नी की दुत्कार को सहते हुए खुद के आत्मसम्मान को सहेजते हुए आज अपने पैरों पर खड़ी है।

गीता ने संकट की घड़ी का हर बार मजबूती से सामना किया और आज राजधानी दिल्ली में वह इडली सांभर का स्टॉल लगाकर प्रतिदिन 2 से 3 हजार रुपए कमाती है।

शादी के बाद जिंदगी हुई बेहाल

43 साल की गीता की शादी 21 साल की उम्र में हुई थी और वह अपने पति के साथ मुंबई में रहती थी। मुंबई में कुछ समय बाद उसके पति का काम बंद हो गया जिसेक बाद वह इलाहाबाद लौट आई।

गीता को शादी के बाद अपने हालातों के सुधरने की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। गीता के पति ने भी कुछ समय बाद उनका साथ देना छोड़ दिया और घर परिवार की सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। आखिरकार गीता के पति ने गीता और उसकी बेटी से मुंह मोड़ लिया।

दिल्ली में लगाया लिट्टी-चोखा का स्टॉल

पति के पीछे हटने के बाद गीता अपनी बेटी को लेकर 2016 में दिल्ली आ गई। शहर में नए होने के साथ ही गीता को अब पेट पालने के लिए कुछ करना था। कुछ दिनों सोचने के बाद गीता ने सड़क किनारे एक लिट्टी चोखा का ठेला लगाना शुरू किया और गीता घर में अपनी बेटी को छोड़कर देर शाम तक ठेले पर लिट्टी बेचती थी। गीता ने इसके बाद और भी कई तरह के काम किए।

साल 2020 की शुरुआत लिट्टी चोखा का ठेला बंद कर गीता ने स्टूडेंट्स के घर टिफिन पहुंचाने का काम शुरू किया जहां वह खुद खाना बनाकर तीन टाइम घरों में पहुंचाती थी। अब गीता की टिफिन सर्विस ठीक चल रही थी, उसकी आमदनी बढ़ने लगी और वह अपनी बेटी को भी पढ़ाने लगी।

कोरोना ने बदल दी गीता की जिंदगी

गीता बताती है साल 2020 में कोरोना महामारी के बाद लगे लॉकडाउन से राजधानी के सारे कॉलेज और कोचिंग संस्थान बंद हो गए और टिफिन लेने वाले अपने घरों की ओर लौट गए।

ऐसे में कुछ ही दिनों में गीता का टिफिन सेंटर बंद हो गया और उसके सामने फिर मुश्किलें खड़ी होने लगी। कुछ दिनों तक घर बैठने के बाद गीता ने फिर एक मरीज की केयरटेकर के रूप में काम करना शुरू किया।

लिट्टी चोखा से मिसेज इडली तक का सफर

कोरोनाकाल में कुछ समय केयरटेकर का काम करने बाद बीते साल जुलाई में गीता ने दिल्ली के शालीमार बाग में मिसेज इडली नाम से इडली सांभर और डोसा का स्टॉल लगाया। कुछ समय बाद गीता का यह स्टॉल चल निकला और वह प्लेन इडली से अब चॉकलेट इडली, मसाला इडली और पिज्जा इडली तक बनाने लगी।

गीता अब हर दिन शाम 5 बजे स्टॉल लगाने आती है जहां रातभर ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है। गीता की बेटी फिलहाल 12वीं में पढ़ रही है जिसे वह मेडिकल की तैयारी करवाकर डॉक्टर बनाना चाहती है।

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