ट्रेन की चपेट में आने से चले गए हाथ-पैर, जिंदगी जीने की ललक ने बनाया पैरा-शूटर, जीते हैं कई पदक

दिसंबर 2012 में एक सर्द दिन ने पूजा की जिंदगी बदल कर रख दिया. वह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर अपने पति को छोड़ने गई थी जिस दौरान एक भीड़  की चपेट में आने से वह रेलवे ट्रैक पर गिर गई। वह एक ट्रेन की चपेट में आ गई और उसका जीवन हमेशा के लिए बदल गया।

पूजा ने इस दुर्घटना में अपने तीन अंग खो दिए और केवल उसका दाहिना हाथ सही सलामत बच सका। 27 साल की पूजा उस दौरान अपनी जिंदगी के अहम पड़ाव में थी और एक कॉलेज लेक्चरर के रूप में काम कर रही थी।

आज  पूजा  एक फेमस पैरा-शूटर है, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर देश के लिए पदक जीते हैं। उन भयानक दिनों को याद करते हुए, वह कहती हैं कि उन दिनों में मैं सोचने लगी थी कि क्या होता अगर मेरा दाहिना हाथ मेरे बाएं के बजाय काट दिया जाता, तो मेरा संघर्ष और भी बुरा होता। इसलिए मैंने सोचा कि जो मेरे पास है उससे खुद को आगे बढ़ाऊं।

धीरे-धीरे पूजा ने अपने दाहिने हाथ का इस्तेमाल छोटे-छोटे कामों में करना सीख लिया और उस समय उनका एक ही विचार था कि नौकरी कैसे हासिल करें और आर्थिक रूप से स्वतंत्र कैसे बनें।

पूजा ने अपने सपनों और महत्वाकांक्षाओं के रास्ते में भाग्य को नहीं आने देने का दृढ़ संकल्प लिया। उसने अस्पताल के बिस्तर से प्रतियोगी परीक्षाओं की पढ़ाई शुरू की और छुट्टी मिलने के बाद भी उसने ऐसा करना जारी रखा। जल्द ही, उसकी मेहनत रंग लाई जब जून 2014 में वह बैंक ऑफ इलाहाबाद की गुजरांवाला टाउन शाखा में शामिल हो गई।

दोस्त ने दिया खेल में किस्मत आजमाने का सुझाव

पूजा का सफर अभी शुरू ही हुआ था कि 8 महीने बाद, उसकी दोस्त और गुरु प्रज्ञा ने उसे खेलों में हाथ आजमाने का सुझाव दिया। उसने यह कहकर टाल दिया कि वह काम भी नहीं कर सकती।

लेकिन एक दिन जब वह इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (आईएसआईसी) गई और लोगों को व्हीलचेयर से बास्केटबॉल खेलते देखा तो उसकी दिलचस्पी बढ़ गई। पूजा कहती है कि “वे हँस रहे थे और खुश थे। मैंने उन विभिन्न खेलों का अध्ययन करना शुरू किया जिनका मैं अभ्यास कर सकती थी और टेबल टेनिस को चुना।

पूजा एक समय ऑफिस, टेबल टेनिस और शूटिंग में हाथ आजमाने लगी लेकिन कुछ ही समय बाद उसने शूटिंग को चुना और 2016 में अपनी पहली प्रतियोगिता – प्री-नेशनल में भाग लिया।

आखिरकार 8 नवंबर, 2016  को जिस दिन वह स्वर्ण जीतकर लौटी उसे वह कभी नहीं भूल पाएगी। पूजा इवेंट से एक दिन पहले नेशनल के लिए रवाना हुई और एक गोल्ड लेकर घर लौटी। 2017 में संयुक्त अरब अमीरात के अल ऐन में भी पूजा ने अंतर्राष्ट्रीय विश्व कप में व्यक्तिगत रजत जीता।

आगे वह बैंकाक चैंपियनशिप में सफल रही, एशियाई खेलों और विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई किया और क्रोएशिया विश्व कप में कांस्य जीता। जून 2021 में पेरू के लीमा में विश्व कप में पूजा ने हाल में दो रजत पदक जीते थे।

पूजा अभ्यास के लिए रोहिणी स्थित अपने आवास से दिल्ली के तुगलकाबाद शूटिंग रेंज तक 40 किमी का सफर तय करती है। कभी-कभी एक तरफ की यात्रा में दो-तीन घंटे लग जाते हैं।

एक साहसिक-खेल की शौकीन पूजा ने रिवर-राफ्टिंग और स्कूबा डाइविंग में भी हाथ आजमाया है और अब वह बंजी जंप और पैराग्लाइडिंग भी करना चाहती है।

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