कैसे बने!! बाबा साहब से ‘अंबेडकर’, दिल को छू जाने वाली भीमराव अंबेडकर के जीवन की कहानी

दुनिया में हर युग में हर सदी में ऐसे ऐसे महामानवों ने जन्म लिया है जिन्होंने समाज की, देश की, दिशा और दशा बदल के रख दी। ऐसे ही महापुरुषों में आज हम आपको महान स्वतंत्रता सेनानी, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री , राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक, भीमा से भीमराव बने बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की जीवनी के बारे में बतायंगे।

दशा दिशा सब बदल के रख दी,
अवतरित हुए इस मानव ने।
दहाड़ मार फुंफकार लगाई,
तो घुटने टेके हर दानव ने।

भीमराव अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के महू नगर स्थित छावनी में रामजी मालोजी सकपाल के घर भीमाबाई की कोख से चौदहवीं व अंतिम संतान के रूप में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। उनका परिवार कबीर पंथ को मानने वाला मराठी मूल का था और वह वर्तमान महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले केआम्बडवे गांव का निवासी था।

कृष्ण जी थे आठवीं,
भीमा चौदहवीं संतान था।
कृष्ण जी ने करवाया महाभारत यु’द्ध,
इन्होंने आजादी का करवाया था।

इनके पिता जी मऊ छावनी में सूबेदार के पद पर सेवारत थे। इनका परिवार हिंदू महार जाति से संबंध रखता था इस कारण बालक भीमा को सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था। बालक भीमराव को छु’आछू’त के कारण अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। गवर्नमेंट हाई स्कूल में अपने बेटे भीमराव का नाम भीमाराम आंबडवेकर दर्ज करवाया जो बाद में भीमराव अंबेडकर हो गया।

विवाह: अप्रैल 1906 में जब भीमराव लगभग 15 वर्ष के थे तो 9 साल की लड़की रमाबाई से उनकी शादी कराई गई थी। तब वे पांचवी अंग्रेजी कक्षा में पढ़ रहे थे। उन दिनों भारत में बाल विवाह का प्रचलन था। रमाबाई का लंबी बीमारी के बाद 1935 में नि’धन हो गया। रमाबाई की कोख से 5 बच्चों ने जन्म लिया।1940 के दशक के अंत में भारतीय संविधान के मसौदे को पूरा करने के बाद वह नींद की बीमारी से पीड़ित होते हुए तरह-तरह की बीमारियों से ग्रसित रहने लगे। डॉक्टरों ने सलाह दी कि आपको शादी करनी चाहिए जो चिकित्सा की जानकारी रखती हो।

डॉक्टर शारदा कबीर ने विवाह के प्रस्ताव को स्वीकार किया और पूरी जिंदगी उनकी सेवा की। डॉक्टर शारदा का जन्म एक ब्राह्मण जाति में होने के कारण भीमराव को अनेक प्रकार के विरोधों का सामना करना पड़ा। डॉक्टर शारदा का 29 मई 2003 को नई दिल्ली के महरौली में 93 वर्ष की आयु में नि’धन हो गया।

शिक्षा : कहा जाता है की बाबासाहेब 9 भाषाओं के जानकार थे। इन्हें देश विदेश के कई विश्वविद्यालयों से पीएचडी की कई मानक उपाधियां मिली थी। इनके पास कुल 32 डिग्रियां थी। भीमराव ने 1912 में मुंबई विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्षा पास की। बी ए करने के बाद एम ए के अध्ययन हेतु अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में दाखिल हुए। सन 1915 में उन्होंने स्नातकोत्तर उपाधि की परीक्षा पास की। 1916 में उन्होंने पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस में एमएससी और डीएससी और विधि संस्थान में बार एट लॉ की उपाधि हेतु स्वयं को पंजीकृत किया और भारत लौट आए।

छुआछूत के विरुद्ध आंदोलन : बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा की छु’आछू’त गुलामी से भी बदतर है। डॉक्टर अंबेडकर ने अपने जीवन के 65 वर्षों में देश को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, औद्योगिक, संवैधानिक इत्यादि कार्य करके राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने दलितों एवं दलित आदिवासियों के मंदिर प्रवेश, पानी पीने, छुआछूत, जाति पांति, ऊंच-नीच जैसी सामाजिक कुरीतियों को मिटाने के लिए मनुस्मृति दहन 1927, महार सत्याग्रह 1928, नासिक सत्याग्रह 1930, येवला की गर्जना 1935, जैसे आं’दोलन चलाए।

बेजुबान, शोषित और अशिक्षित लोगों को जगाने के लिए 1927 से 1956 के दौरान मूकनायक, बहिष्कृत भारत, समता, जनता और प्रबुद्ध भारत नामक पांच साप्ताहिक एवं पाक्षिक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया।

राजनीतिक जीवन : बाबा साहब का राजनीतिक कैरियर 1926 से शुरू हुआ और 1956 तक रहा। वह राजनीतिक क्षेत्र में विभिन्न पदों पर रहे। दिसंबर 1926 में मुंबई के गवर्नर ने उन्हें मुंबई विधान परिषद के सदस्य के रूप में नामित किया। 13 अक्टूबर 1935 को बाबा साहब को सरकारी लॉ कॉलेज का प्रधानाचार्य नियुक्त किया गया। इस पद पर उन्होंने 2 वर्ष तक कार्य किया।

3 अप्रैल 1952 को राज्यसभा के सदस्य मनोनीत। 15 अगस्त 1947 को भारत के प्रथम कानून एवं न्याय मंत्री। 29 अगस्त 1947 को भारतीय संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष। जुलाई 1942 को श्रम मंत्री वायसराय की कार्यपरिषद के सदस्य। 1937 में बॉम्बे विधानसभा में विपक्ष के नेता। 1937 में मुंबई विधानसभा के सदस्य।

पुरस्कार और सम्मान :  1990 में अंबेडकर को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया था।

बाबा साहब द्वारा लिखी गई मुख्य पुस्तके : भीमराव अंबेडकर प्रतिभाशाली एवं जुझारू लेखक थे। उन्होंने मुंबई के अपने घर राजगृह में ही एक समृद्ध ग्रंथालय का निर्माण किया था। जिसमें उनकी 50,000 से अधिक किताबें थी। आपने लेखन द्वारा दलितों व देश की समस्याओं पर प्रकाश डाला उन्होंने लिखे हुए महत्वपूर्ण ग्रंथों में ” inhilation off the coast” the Buddha and his Dhamma” cost in India” who ware the shudras” riddles in Hinduism” आदि शामिल है।
उन्हें मराठी, हिंदी, अंग्रेजी, पाली, संस्कृत, गुजराती, जर्मन, फारसी, फ्रेंच, कन्नड़ और बंगाली भाषाओं का ज्ञान था।

संविधान तथा राष्ट्र निर्माण: बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने समता, समानता, बंधुता एवं मानवता आधारित भारतीय संविधान को 2 वर्ष 11 महीने और 17 दिन के कठिन परिश्रम से तैयार कर 26 नवंबर 1949 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को सौंप दिया।उन्होंने देश के समस्त नागरिकों को राष्ट्रीय एकता, अखंडता और व्यक्ति की गरिमा की जीवन पद्धति से भारतीय संस्कृति को अभिभूत किया।

अनंत में विलीन : राजनीतिक मुद्दों से परेशान अंबेडकर का स्वास्थ्य बद से बदतर होता चला गया और 1955 के दौरान किए गए लगातार काम ने उन्हें तोड़ कर रख दिया।
अपनी अंतिम पांडुलिपि “भगवान बुद्ध और उनका धम्म” को पूरा करने के 3 दिन के बाद 6 दिसंबर 1956 को अंबेडकर का महापरिनिर्वाण नींद में दिल्ली में उनके घर में हो गया। तब उनकी आयु 64 वर्ष एवं 7 महीने की थी। अंबेडकर का उनके अनुयायियों को संदेश था।” शिक्षित बनो” ” संगठित बनो” संघर्ष करो।

लेखक की कलम से:

सहज सरल सम्मोहित था,
बालक भीमा का चेहरा।
बालपने और अंत समय में,
दो बार बंधा था सेहरा।

छु’आछू’त का यु’द्ध लड़ा,
संविधान की रचना रची।
आमजन ने लोहा माना,
गद्दारों में खलबली मची।

विद्याधर तेतरवाल, मोती सर।

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