किसानों के मसीहा और नेता चौधरी चरण सिंह जिन्हें कभी संसद में बोलने का मौका नहीं मिला

देश के सबसे बड़े किसान नेता रहे और गरीबों की आवाज उठाने वाले चौधरी चरण सिंह को पूरे हिंदुस्तान के किसान मानते है। चौधरी चरण सिंह किसानों से बेहद लगाव रखते थे। जात-पात में विश्वास न रखने वाले चौधरी साहब राजनीतिक करियर बढ़िया रहा। उनका गरीबों के प्रति हर दम लगाव रहा। उनके कामों पर नजर डालें तो गुलामी के दौर में उन्होंने 17 मई 1939 में प्रांतीय धारा सभा में कांग्रेस के विरोध के बावजूद ऋण निर्मोचन विधेयक को पास करा दिया।

इस कानून की मदद से कई गरीब व लाखों किसानों का कर्ज माफ हो गया। साल 1939 में उन्होंने गांव के निवासियों और क्षेत्रीय लोगों के लिए प्रशासनिक पद पर 50% आरक्षण की बात पर रखी लेकिन यह प्रस्ताव खारिज हो गया। साल 1947 में भी यह प्रस्ताव खारिज हो गया था। वही चौधरी साहब ने कई चीजों का विरोध भी किया, उन्होंने सहकारी खेती विरोध, जमीदार अनमूलन, चकबंदी विधेयक, कृषि को आयकर से बाहर करने, वायरलेस युक्त पुलिस गश्त आदि जैसे कई चीजों का समर्थन व विरोध भी किया। साल 1952 में राजस्व मंत्री रहते हुए उन्होंने 27 हजार पटवारियों का त्यागपत्र स्वीकार किया,

वहीं 13 हजार लेखपाल भर्ती किए। चौधरी साहब के बारे में बताया जाता है कि मुख्यमंत्री के तौर पर त्यागपत्र देते ही उन्होंने सरकारी गाड़ी भी वापस कर दी थी। वही कांग्रेस समर्थन के लिए संजय गांधी के मुकदमे को वापस लेने की शर्त ना मानने के बजाय उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे देना सही समझा था।

किसान का दर्द समझते थे

चौधरी साहब के बारे में स्वतंत्रता सेनानी शक्ति सिंह बताते हैं कि मैं एक बार अपने आठ साथियों के साथ दिल्ली पहुंच गया। यह बात साल 1977 की है,जब शक्ति सिंह अपने साथियों के साथ चौधरी साहब से मिले तो चौधरी चरण सिंह ने उन्हें डांट दिया। उन्होंने कहा कि जब आपका यह काम 5 पैसे के पोस्टकार्ड से हो सकता था, तो आप लोगों ने 120 रुपये क्यों खर्च किए। शक्ति सिंह ने बताया कि वह नहर की समस्या से जुड़ी बातें करने दिल्ली गए थे इस पर चौधरी चरण सिंह ने उनसे कहा कि अगली बार पोस्ट कार्ड से समस्या बता दीजिएगा समस्या का हल मैं करवा दूंगा।

वही शक्ति सिंह यह अभी बताते हैं कि आपातकाल में भी चौधरी चरण सिंह ने सरकार का विरोध किया। उन्होंने सरकार की तानाशाही के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए भी कहा था। पूर्व विधायक डॉ अजय कुमार ने बताया कि चौधरी साहब ईमानदार, किसानों और कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलने वाले नेता थे। वह अर्थशास्त्र के भी जानकार थे और गरीब किसानों के मसीहा थे।

ऐसा रहा राजनीतिक करियर

23 दिसंबर 1902 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ नूरपुर गांव में चौधरी चरण सिंह का जन्म हुआ। जब वह 6 महीने के थे तब उनके पिता और उनका परिवार मेरठ में आ गया था। चौधरी चरण सिंह के राजनीतिक करियर की बात करें तो साल 1929 में उन्होंने मेरठ जिला पंचायत के सदस्य के तौर पर लोगो की सेवा की। इसके बाद चौधरी साहब ने आजादी की लड़ाई भी लड़ी। 3 अप्रैल 1967 को वह मुख्यमंत्री बने। वहीं साल 1977 में सांसद और गृह मंत्री पद पर भी रहे। 24 जुलाई 1979 को उप प्रधानमंत्री पद पर भी रहे। वही देश के प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल बहुत छोटा रहा बाद में उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। चौधरी चरण सिंह का निधन 29 मई 1987 को हुआ। चौधरी चरण सिंह आज भी किसानों के लिए बड़े नेता है।

अगर आज किसान नेता चौधरी चरण सिंह जी जिन्दा होते होते तो देश में क्या आप उनसे क्या उम्मीद करते ? कमेंट बॉक्स में जरूर बताये

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