देश में कोरोना से हाहाकार और विदेशी मीडिया का प्रहार! ऑक्सीजन की कमी बनी त्रासदी

कोरोना की महामारी देश में लगातार बड़ी तेजी से फैलती नजर आ रही है। भारत में रोजाना औसतन 3 लाख के पार कोरोना महामारी के मामले सामने आ रहे हैं। मृत्यु दर में बढ़ोतरी चिंता का विषय बनी हुई हैं। इसके पीछे तमाम तरह है कि कारण देखने को मिल रहे हैं, रोजाना देश के बड़ी से बड़े अस्पतालों की तस्वीरें सामने आ रही हैं जिसमें लोगों को डरा कर रख दिया हैं। देश में बढ़ते मृत्यु दर के पीछे बड़ा कारण कोरोना मरीजों को बेड- ऑक्सीजन की कमी को माना जा रहा हैं।

देश में पीड़ित मरीजों को अस्पताल में,सरकारी जगहों पर,साथ ही निजी जगहों पर भी ऑक्सीजन के लिए भटकना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री ऑफिस के एक आंकड़े की माने तो देश में रोजाना 7100 टन रोजाना बनाने की क्षमता है,वहीं केंद्र सरकार ने 6822 टन रोजाना राज्यों को ऑक्सीजन की सप्लाई दी हुई है। प्रधानमंत्री ऑफिस की माने तो 6785 टन देश में रोजाना ऑक्सीजन मांग है। फिर भी देश में ऑक्सिजन कि कमी देखने को मिल रही हैं।आपको बताएं कि 12 अप्रैल को यह मांग रोजाना की 3842 टन थी। कुछ ही दिनों में यह मांग इतनी बढ़ गई कि देश की सरकार और राज्यो सरकारों का स्वास्थ्य प्लान फेल होता हुआ नजर आ रहा हैं।

बढ़ती ऑक्सीजन की मांग बढ़ते,बेड की मांग राज्य सरकारों को,केंद्र सरकार की स्वास्थ्य प्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा कर रही हैं। सबसे पहले बात करें देश के बड़े राज्यों की जिसमे इस महामारी से बढ़ते मरीज चिंता का विषय बने हुए हैं। इन राज्यों में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र,  राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु केरल आदि शामिल है।

बढ़ती ऑक्सीजन सप्लाई की मांग पर केंद्र और राज्य सरकारों की सच्चाई :

आप को बताए कि भारतीय रेल ने ग्रीन कॉरिडोर की ऑक्सीजन एक्सप्रेस शुरू की है जिसमें उन राज्यों को ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाएगी जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कोरोनावायरस के लिए बने प्रधानमंत्री कोरोना केयर्स फंड के जमा पैसों से वेंटिलेटर तथा तमाम उपकरण खरीदे जा रहे हैं। अब इस फंड में जमा पैसों से देश में डेढ़ हजार ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाएंगे।

देश की सरकार का दावा है कि वह वह जल्द ही देश की ऑक्सीजन मांग को पूरा कर देगी। इसके साथ ही भारत सरकार के द्वारा उठाए गए कदमों पर एक नजर डालते है ;

1. भारत सरकार ने ऑक्सीजन और अन्य उपकरणों के आयात पर से बेसिक कस्टम ड्यूटी यानी सीमा शुल्क और स्वास्थ्य उपकर यानी हेल्थ सेस में 3 महीने के लिए पूरी तरह छूट देने का फैसला किया है।

2. लिक्विड ऑक्सीजन को नॉन मेडिकल यानी स्वास्थ्य से संबंधित अन्य चीजों के इस्तेमाल के लिए बैन कर दिया गया है।

3. पीएसए यानी प्रेशर स्विंग एडसोरप्शन के तहत लगभग डेढ़ हजार ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं।

4. गृह मंत्रालय ने लोकल कंटेनमेंट जोन पर जोर दिया है जहां मरीज बढ़ रहे हैं वहां के आसपास के इलाके को 14 दिन के लिए बंद करने का के लिए निर्देश जारी किए हैं।

5. रायगढ़ से जिंदल स्टील ने भारतीय रेल द्वारा शुरू की गई ऑक्सीजन एक्सप्रेस के तहत 70 टन ऑक्सिजन लेकर ऑक्सीजन एक्सप्रेस को रवाना किया गया है।

6. जल सेना की मदद से लक्ष्यदीप में 35 ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाए गए हैं,उसके साथ ही पीपीई किट,रैपिड टेस्ट किट और अन्य उपकरणों को सेना की मदद से पहुंचाया जा रहा है। इसके साथ ही भारतीय वायु सेना भी विदेश से लेकर देश के कोने कोने में ऑक्सीजन कंटेनर्स पहुंचा रही है।

7. आइटीबीपी ने दिल्ली में 500 बेड वाले कोविड-19 केयर्स सेंटर को पुनः खोलने का निर्णय किया है।

8.उत्तरप्रदेश सरकार ने भी राज्य में 11 ऑक्सिजन प्लांट लगाने का फैसला किया हैं।

लेकिन जो बड़ा सवाल है वह है कि देश में बढ़ती ऑक्सीजन की कमी के लिए जिम्मेदार कौन ?

जिस तरीके से केंद्र और राज्य सरकारें कोई अच्छे काम के लिए वाहवाही बटोरती, उसी तरीके से इस आपदा में जिम्मेदारी लेते हुए सरकार को आगे आना चाहिए। आपको बताएं रतन टाटा के टाटा ग्रुप ने 24 स्पेशलाइज्ड लिक्विड ऑक्सीजन आयात करने का फैसला लिया है। पिछले दिनों टाटा की एयरलाइंस विस्तारा ने भारत के सरकारी संगठनों से जुड़े डॉक्टर और नर्स को घरेलू उड़ानों के लिए भी यात्राएं फ्री की है।

दिल्ली की बात करें तो राजधानी दिल्ली में ऑक्सीजन की मांग 700 टन है,भारत सरकार ने अभी 480 टन ऑक्सीजन देने का फैसला किया है। दिल्ली को भारत के 7 राज्यों से यह आपूर्ति होगी जिसमें कुछ राज्य हजार किलोमीटर से भी ज्यादा दूर है तो जाहिर सी बात है ऑक्सीजन आने में थोड़ा समय लग सकता है।

हिंदुस्तान में बढ़ते कोरोना माहमारी के बीच विदेशी मीडिया की टिप्पणियां :

1. अमेरिका के द वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा कि भारत इस बिगड़ती स्थिति के लिए उनका प्रशासन जिम्मेदार है। भारत में पाबंदियां जल्दी हटा ली गई । दस हजार दर्शको की क्षमता से मैच हुए भारी संख्या में दर्शक मैच देखने पहुंचे। जल्दी ही सिनेमाघरों, धार्मिक सभा,राजनीतिक सभाएं,कुंभ मेला आदि जैसी चीजें शुरू कर दी गई। एक हिंदू त्यौहार को मनाने के लिए गंगा पर हजारों लाखों की भीड़ इकट्ठा हुई,यही सब चीज़े भारत में बढ़ती महामारी के कारण है।

2. द गार्जियन,यूके अखबार के संपादकीय पृष्ठ पर लिखा कि भारत के प्रधानमंत्री का अति आत्मविश्वास,उनके सलाहकारों का अति आत्मविश्वास बढ़ती महामारी का कारण है। मोदी को अपनी गलती माननी चाहिए उन्हें विचार करना चाहिए और फिर से प्रतिबंध और पाबंदियां को लगा देना चाहिए। यदि यही स्थिति मोदी देश में रखेंगे और सुधार नहीं लाएंगे तो भविष्य के इतिहासकार मोदी को अच्छे रूप में नहीं देखेंगे।

3. अमेरिका के न्यू यॉर्कटाइम ने लिखा, महामारी के दौरान गलत कदम इस फैलती बीमारी का कारण है। उन्होंने लिखा भारत सरकार के गलत फैसले भारत को इस स्थिति में लाने के जिम्मेदार हैं। विश्व पर इसका प्रभाव पड़ेगा। भारत कि टीकाकरण की योजना भी अजीब नजर आई। वही विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अब टीकाकरण में और तेजी लानी होगी।
4. बीबीसी यूके ने लिखा, भारत का स्वास्थ्य सिस्टम बौखलाया हुआ;

बीबीसी ने लिखा कि भारत ने स्वास्थ्य प्रोटोकॉल में ढील दे दी। मास्क पहनना भी इतना जरूरी नहीं करा गया। कुंभ मेले में भी लाखों लोग बिना निर्देशों को माने ही पहुंच गए। भारत की स्वास्थ्य प्रणाली अजीब है। अस्पताल पर बेड और ऑक्सीजन की आपूर्ति का दबाव बना हुआ है। अस्पतालों में कोरोना मरीजों को घंटों तक कोई देखने नहीं आता।

5. एबीसी ऑस्ट्रेलिया ने लिखा कि पिछले साल के मुकाबले यह लहर घातक साबित होगी। यह तबाही भी हो सकती है, इससे भारत को बचा जाना चाहिए था। इसके पीछे मुख्य कारक सरकार की प्रतिक्रिया, सार्वजनिक व्यवहार हो सकते हैं।

6. टाइम्स यूएस ने लिखा कि भारत में वायरस बढ़ने के पीछे प्रशासन जिम्मेदार है। जिसमें सब चीजों को नजरअंदाज कर दिया गया। कैबिनेट मंत्रियों ने झूठी तारीफ की मोदी इस महामारी में सफल रहे,लेकिन भारत ने टेस्ट करने कम कर दिए।लोगों को भी बहुत सी चीजों में ढील दे दी गई। महाराष्ट्र की स्थिति पर उन्होंने लिखा कि इसके लिए राज्य के मंत्री दोषी हैं। जो सत्ता में बने रहना चाहते हैं, महाराष्ट्र में केवल पावर का खेल हो रहा है।

7. ग्लोबल टाइम चाइना ने लिखा भारत में बढ़ती महामारी के बीच यह आर्थिक चिंता है। ऑक्सफोर्ड के विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की क्या भारत फिर से अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला पाता है या नहीं यह एक बड़ा सवाल है।

8. डौन पाकिस्तान ने लिखा डॉक्टर मरीजों को घर रहने की सलाह दे रहे हैं। पाकिस्तान के इस अखबार ने लिखा कि दिल्ली समेत उत्तर पश्चिम भारत में रोगियों को जीवित रखने के लिए सिर्फ कुछ घंटे की ऑक्सीजन बची हैं। भारत की स्वास्थ्य प्रणाली दूसरी लहर में फेल होती नजर आ रही है। दिल्ली सरकार के अनुसार दो तिहाई अस्पतालों में बेड नहीं है। मरीजों को घर पर आइसोलेट किया जा रहा है।

यह बात हो गई कि भारत में बढ़ती महामारी पर विदेशी मीडिया का क्या रुख है।

कोरोना माहमारी के बीच कौनसे कौनसे देशों ने हिंदुस्तान की मदद के लिए हाथ बढ़ाये:

1. जर्मनी सरकार ने भारत को 23 ऑक्सीजन प्लांट की मदद करने का फैसला किया है।

2. वही फिलिप्स इंडिया ने ऑक्सीजन बनाने की वेंटिलेटर बनाने की और अल्ट्रासाउंड मॉनिटर बनाने की अपनी रोजाना की क्षमता को बढ़ा लिया है।

3. वहीं फ्रांस सरकार ने भारत की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाएं हैं। फ्रांस सरकार ने फैसला किया है कि भारत को 80 ऑक्सीजन कॉन्सर्टर, लिक्विड ऑक्सीजन कंटेनर, उच्च सुविधा से लैस स्वास्थ्य उपकरणों समेत 28 रेस्पिरेटर्स एवं 200 विधुत पम्प देने की मदद करेगा।

4. संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब ने भी ऑक्सीजन बनाने वाले उपकरण,रेमदेसीवीर दवाई,समेत कोरोना वैक्सीन को बनाने के लिए काम आने वाले कच्चे मैट्रीयल को अगले 48 घण्टो में भारत भेजने का फैसला किया हैं।

5. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि अमेरिका भारत की हर सम्भव मदद करेगा। वैक्सीन के लिए कच्चे माल को भी भारत भेजेगा।

6. डेनमार्क, सिंगापुर, इजराइल समेत कई देश भारत की मदद के लिए आगे आए हैं।

7. ऑस्ट्रेलिया ने भी भारत की मदद के लिए पीपीई किट एवं वेंटिलेटर भेजने का फैसला किया हैं।

दुनिया भर की तरफ से भारत को मिल रही मदद मिल रही हैं। इसके पीछे प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति को बताया जा रहा है इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि भारत ने पिछले साल अमेरिका यूरोप समेत लगभग 150 देश देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन दवाई भेजी थी। वहीं इस साल भारत ने एशिया,लैटिन अमेरिका,अफ्रीकन देशों समेत कुल मिलाकर 93 देशों को कोरोना वैक्सीन की लगभग 6:30 करोड़ डोज भेजी थी।

लेकिन क्या भारत सरकार राज्य सरकार व विदेश से मिल रही मदद से भारत में यह महामारी रुक पाती हैं या नही ? यह देखने वाली बात होगी। भारत सरकार कोरोना की इस लहर को कब जीत पाती है ? यह देखने वाली बात होगी। राज्यो में बढ़ती बेड, ऑक्सीजन की मांग के लिए वहा क्या कदम उठाए जाएंगे? यह भी एक बड़ा सवाल बन गया हैं। या फिर दिल्ली जैसे कुछ राज्य सिर्फ केंद्र या दूसरे राज्यो पर ही निर्भर रहकर कोरोना से जंग जीतेंगे? यह भी सवाल बना हुआ हैं।

झलको मीडिया के इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपकी इस मुद्दे पर क्या राय है ? आप कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं

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