परमवीर चक्र बनाने वाली महिला की कहानी, भारतीय नहीं विदेशी महिला ने बनाया था डिजाइन

आपको और मुझको सब को पता है कि सेना में सर्वोच्च सम्मान है परमवीर चक्र (Paramvir Chakra) । परमवीर चक्र सेना में शौर्य और बहादुरी के लिए दिया जाता है। लेकिन क्या आपको मुझको मालूम हो कि परमवीर चक्र को तैयार करने वाला कोई भारतीय नही विदेशी था। कोई भारतीय महिला नहीं विदेशी महिला ने इससे तैयार किया था। मेजर सोमनाथ शर्मा से लेकर कैप्टन विक्रम बत्रा तक जिन लोगों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया है उस परमवीर चक्र को तैयार करने वाली महिला भारतीय (Indian nhi Switzerland)  नहीं स्विट्जरलैंड की थी। आज हम आपको इस लेख में परमवीर चक्र बनाने वाली सावित्री विक्रम खनोलकर (Savitri Vikram Khanolkar)  के बारे में बताएंगे।

इवा योन्ने लिंडा है असली नाम

सावित्री विक्रम खनोलकर का जन्म 20 जुलाई 1913 को स्विट्जरलैंड के न्यू चैटेल (New Chattel)  शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम आंद्रे डी मैडे (Andre Di Mede) था। उनकी माता का नाम मार्टे हेंटजल (Marte Hentlezal) था। सावित्री के पिता जिनेवा विश्वविद्यालय (University of Geneva) में प्रोफेसर थे, साथ ही साथ उनके पिता उसी विश्वविद्यालय लाइब्रेरियन (Librarian in University) भी थे। उनके पिता हिंगरी और मां रूसी थी। पिता के लाइब्रेरियन होने की वजह से सावित्री ने बचपन से ही किताबें पढ़ना शुरू कर दिया था और उन्हें भारत जाना और भारतीयों से एक अलग लगाव हो गया था। सावित्री विक्रम खनोलकर का असली नाम इवा योन्ने लिंडा था।

Param Vir Chakra

शादी के बाद अपनाई भारतीय संस्कृति

ईवा ने साल 1932 में मराठी संस्कृति (Marathi Culture) में कैप्टन विक्रम खनोलकर (Captain Vikaram Khanolkar) से शादी कर ली थी। इसी के बाद उन्होंने पूरी तरीके से भारतीय संस्कृति (Indian Culture)  को अपना लिया था। भारतीय संस्कृति अपनाने के साथ-साथ उनका प्रेम भारत के अन्य चीजों की तरह बढ़ता चला गया। सावित्री विक्रम खनोलकर के पति कैप्टन विक्रम खानोलकर भारतीय सेना (Indian Force Officer)) में अधिकारी थे।

पटना से ली शिक्षा

सावित्री विक्रम खनोलकर ने पटना विश्वविद्यालय (University Of Patna) से सांस्कृतिक नाटक वेद उपनिषद का गहन अध्ययन (Intensive of the cultural drama Veda Upanishad) किया। उसके बाद वह स्वामी रामकृष्ण मिशन (Swami Ramakrishna Mission)  का हिस्सा बनकर उन्होंने सत्संग सुनाएं। इसके अलावा संगीत,नृत्य की निपुण होने के लिए उस समय नामि उस्ताद पंडित उदय शंकर के संपर्क में भी सावित्री आई और उनकी शिष्या बन गई। सावित्री विक्रम ने सेंट्स ऑफ महाराष्ट्र और संस्कृत डिक्शनरी ऑफ नेम्स नामक किताब लिखकर उन्हें प्रकाशित भी करवाया।

ऐसे शुरू हुआ चक्र बनाने का सिलसिला

बताया जाता है कि साल 1947 के बाद भारतीय सेना के लिए पदक तैयार हुए थे। उसकी जिम्मेदारी मेजर जनरल हीरालाल अटल (Maj Gen Hiralal Atal) को दी गई थी। इसके बाद मेजर जनरल ने इस बात को अंजाम देने के लिए सावित्रीबाई (Savitri Bai) को चुना था। सावित्रीबाई ने भी मेहनत करके एक डिजाइन तैयार किया था। उसके बाद डिजाइन को 26 जनवरी 1950 के पहले गणतंत्रता दिवस (First republic Day of India)  के दिन पेश किया गया था। परमवीर चक्र लगभग 3.5 सेंटीमीटर व्यास वाले कच्चे धातु को गोलाकार रूप देकर तैयार किया गया है। इस पर व्रज चक्र (Vraj Chakar) पर बनाए गए हैं व अंग्रेजी व हिंदी में परमवीर चक्र भी लिखा हुआ है।

सावित्री विक्रम खनोलकर

इन्ही के परिवार को मिला पहला चक्र

सावित्री बाई की बड़ी बेटी कुमुदिनी शर्मा के बहनोई 4 कुमाऊं रेजिमेंट (4 Kamau Regiment)  के मेजर सोमनाथ शर्मा (Maj. Somnath Sharma) को देश का पहला परमवीर चक्र दिया गया था। उन्हें साल 1947 और 1948 युद्ध के दौरान मरणोपरांत (Posthumous) यह सम्मान दिया गया था। आजादी के बाद से अब तक लगभग 21 लोगों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका है।

अन्य चक्र भी किए तैयार

सावित्रीबाई ने परमवीर चक्र के अलावा अशोक चक्र (Ashoka Chakra) ,महावीर चक्र (Mahavir Chakra),कीर्ति चक्र Kirti Chakra) ,वीर चक्र(Vir Chakra),शौर्य चक्र (Shaurya Chakra)  को भी तैयार किया है। उन्होंने जनरल सर्विस मेडल 1947 को भी तैयार किया है। सावित्रीबाई के जीवन की बात करें तो अंतिम समय में जब साल 1952 में मेजर जनरल विक्रम खानविलकर देहांत हो जाने के बाद सावित्री ने आध्यत्म को पूरी तरीके से समर्पित कर दिया और इसके बाद 26 नवंबर 1990 को आंखें मूंद ली थी।

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