कल्पना चावला के बाद भारत की एक और बेटी जायंगी अंतरिक्ष यात्रा पर, सिरिशा बांदला ने रचा इतिहास

आंध्र प्रदेश की रहने वाली सिरिशा बांदला भारत के लिए एक नया इतिहास रचने जा रही है। हम आपको बताएं तो कल्पना चावला के बाद सिरिशा बांदला अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली देश की दूसरी महिला बनने जा रही है। एक वर्जिन गेलेक्टिक परीक्षण उड़ान 11 जुलाई को अंतरिक्ष की यात्रा करने के निकलेगा। इस यात्रा में रिचर्ड ब्रैनसन भी ‘वीएसएस यूनिटी’ की छह सदस्यीय टीम का हिस्सा होंगे।

सिरिशा बांदला 11 जुलाई को आकाश की उड़ान भरेगी। कल्पना चावला के बाद में वह दूसरी महिला है। हम आपको बताएं तो 6 लोगों के साथ सिरीशा अंतरिक्ष की उड़ान भरेगी। वह इस मिशन में रिसर्चर के तौर पर शामिल होंगी।

5 साल की उम्र से अमेरिका में रह रही है 

सिरीशा बांदला की बात करे तो उनका जन्म तेनाली गुंटुर आंध्र प्रदेश में हुआ था। जब वह 5 साल की थी तब अपने माता-पिता के साथ अमेरिका चली गई थी। उनके पिता डॉक्टर मुरलीधर बांदला साइंटिस्ट है। अमेरिका में आने के बाद सिरिशा ह्यूस्टन टैक्सेस में पली बढ़ी। इसके बाद उन्होंने Purdue विश्वविद्यालय से एरोनॉटिकल-एस्ट्रोनॉटिकल इंजीनिरिंग में ग्रेजुएशन किया। फिर Geroge वाशिंगटन विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री प्राप्त की।

कई जगहों पर किया काम 

सिरीशा बांदला की बात करें तो उन्होंने कमर्शियल स्पेस फ्लाइट फेडरेशन और एएल 3 कम्युनिकेशन में बतौर एयरोस्पेस इंजीनियर के तौर पर काम किया। इसके बाद अमेरिका के एस्ट्रोटिकल सोसाइटी और फ्यूचर स्पेस लीडर फाउंडेशन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की भी सदस्य के तौर पर काम किया। वही अब सिरीशा ब्रेनसन के एक विशेष अंतरिक्ष यान में वर्जिन गैलेक्टिक यूनिटी द्वारा अंतरिक्ष में भरी जाने वाली उड़ान में छह लोगों के साथ रिसर्च के तौर पर शामिल होंगी।

ट्वीट कर जाहिर की खुशी 

सिरीशा बांदला ने ट्वीट करते हुए लिखा कि मैं बहुत खुश हूं। साथ ही उत्साहित भी हूं कि एक बेहतरीन यूनिटी 22 की टीम का हिस्सा बनकर अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरूँगी। साथ ही उन्होंने लिखा कि कंपनी के साथ स्पेस में जाने के लिए मैं तैयार हूं।

हम आपको बता दें तो कंपनी ब्रेहसन के साथ 11 जुलाई को सिरीशा बांदला अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरेंगी। सिरिशा बांदला अपनी टीम के साथ न्यू मैकिसको से उड़ान भरेंगी।

दादा ने कहा मेहनत रंग लाई

सिरीशा के दादा डॉक्टर Ragaian बांदला ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि बचपन से सिरीशा कुछ बड़ा करना चाहती थी। वह हमेशा जीवन में बड़े सपने देखा करती थी। आज जब उनका चयन अंतरिक्ष में जाने वाले यात्रियों में हुआ है तो अपनी पोती के लिए उनके दादा खुश हैं। उन्होंने कहा कि सिरीशा की कड़ी मेहनत के बाद उनका सपना सच हो गया है। वह बचपन से निडर थी और हमेशा एक्टिव रहती थी। शायद उनकी मेहनत का फल उन्हें मिलने वाला है। हम आपको बता दें तो सिरिशा के दादा भी कृषि साइंटिस्ट है।

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