पढ़ने की ललक और जुनून की मिसाल थी भागीरथी अम्मा, 105 साल की उम्र में पास की चौथी क्लास

आपने बचपन में सुना होगा कि खेलने और पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती है, आप जिस दिन चाहें उस दिन एक नई शुरूआत कर सकते हैं। इसी कहावत को चरितार्थ करती है भागीरथी अम्मा की जिन्होंने 105 साल की उम्र में  राज्य साक्षरता मिशन  के तहत चौथी क्लास के बराबर की परीक्षा में हिस्सा लिया था जिसमें उन्होंने  74.4 फीसदी अंक हासिल नहीं किए।

केरल के कोल्लम में रहने वाली भागीरथी अम्मा  ने अपने उम्र के इस पड़ाव में पढ़ाई करके यह साबित कर दिया कि शिक्षा हासिल करने की कोई उम्र नहीं होती है.

बचपन की थी अधूरी ख्वाहिश

भागीरथी अम्मा के बचपन में मां की मौत हो जाने के कारण उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी। उनके अंदर बचपन से पढ़ने की ललक थी जो अब जाकर पूरी हुई। उन्होंने बताया कि वह हमेशा से ही पढ़ने की शौकीन थी।

घरगृहस्थी के फेर में छूट गई पढ़ाई

भागरीथी अम्मा की जिंदगी में मुश्किलें कम नहीं रही, जब वह 30 साल की थी तो उनके पति की मौत हो गई जिसके बाद उनके बच्चों के पालन पोषण का पूरी जिम्मेदारी उन पर आ गई और पढ़ाई के बारे में सोचना अब दूर की कौड़ी हो गया।

9 साल में तीसरी क्लास की पढ़ाई की

भागीरथी को साक्षरता मिशन के तहत दुबारा पढ़ने का जब भी मौका मिला उन्होंने जी-जान लगा दी और चौथी क्लास की परीक्षा में बैठ गई। वह इतिहास में सबसे बुजुर्ग ‘समकक्ष शिक्षा हासिल करने वाली’ व्यक्ति बन गई थी।

बता दें कि परीक्षा लिखने में उनकी छोटी बेटी ने मदद की वहीं पीएम मोदी अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ में उनकी सराहना भी कर चुके हैं। बीते 22 जुलाई को 107 साल की उम्र में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के चलते उनका निधन हो गया।

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