बचपन में हो गए अनाथ, बाल मजदूरी कर सेना से एक व्यापारी बनने का सफर, आज हैं 1200 करोड़ के मालिक

किसी इंसान के संघर्ष से अगर आपको कुछ सीखना है तो आप कैप्टन राकेश वालिया की कहानी आखिरी तक जरूर पढ़ें और समझिए कि आखिर कैसे संघर्षों के पड़ाव से गुजरते हुए एक बाल मजदूर सेना में कैप्टन तक पहुंचा।

6 साल की उम्र में बाल मजदूरी करने वाले राकेश को जब पता लगा कि सेना में रहकर देश की सच्ची सेवा की जा सकती है तो उन्होंने सबकुछ छोड़कर अपना एक लक्ष्य तय कर लिया। आज हम आपको कैप्टन राकेश वाले के जीवन से जुड़ी कहानी बताएंगे कि आखिर किस तरीके से उन्होंने संघर्ष करके अपने जीवन में एक ऐसा मुकाम पाया जो हर कोई इंसान पाने की इच्छा रखता है।

बचपन में उठ गया मां बाप का साया

कैप्टन राकेश वालिया का जीवन भी सामान्य बच्चों की तरह अच्छा बीत रहा था। राकेश वालिया एक अच्छे परिवार से आते थे। एक दिन उनके जीवन में एक ऐसा पल आया जिसकी वजह से राकेश वालिया जीवन में बहुत पीछे आ गए। जब राकेश 6 वर्ष के थे तब उनके माता-पिता की एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी। राकेश के रिश्तेदारों ने भी उनसे मुंह मोड़ लिया था। इसके बाद राकेश वालिया अकेले पड़ गए और उन्होंने 6 साल की उम्र में कारखानों में बाल मजदूरी करना शुरू कर दिया।

सेना के बारे में पता चला तो बनाया लक्ष्य

इसके बाद राकेश ने एक साइकिल की दुकान में भी पंचर लगाने का काम शुरू कर दिया। राकेश वालिया ने ऐसे दिन भी देखे जब उन्हें भूख के मारे बिना खाए ही सोना पड़ता था लेकिन राकेश वालिया शायद शिक्षा की असली कीमत जानते थे और उन्होंने पढ़ाई करना बिल्कुल नहीं छोड़ा।

छठी कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद ग्वालियर चले गए। साल 1971 में राकेश वालिया ग्वालियर आ गए। वहां उन्होंने एक आर्मी कैंप देखा जब उन्होंने देखा कि सैनिक भारत माता की जयघोष कर रहे हैं और देश के तिरंगे के जयकारे लगा रहे हैं तब उन्होंने मन में ठान लिया कि बनूंगा तो सिर्फ देश का सैनिक।

सपने के लिए दिन-रात की मेहनत

राकेश वालिया जब 10 साल के थे तब उन्होंने भारतीय सेना में जाने का सपना बना लिया था। एक रोज वह आर्मी कैंप में जाकर वहां मौजूद सैनिको से आर्मी में शामिल होने की सभी जानकारी लेकर आए।

जब उन्हें पता लगा कि हाई स्कूल की पढ़ाई करने के बाद सेना में शामिल हो सकते हैं तब उन्होंने हाई स्कूल की पढ़ाई की। उसके बाद सीधे भारतीय सेना को ज्वाइन कर लिया।

अधिकारी बनने का किया फैसला

सेना में जाने के बाद राकेश वालिया को पता चला कि सेना में आधिकारिक पद भी होता है। उन्होंने फिर अपने आप को आधिकारिक पद के लिए तैयार करना शुरू कर दिया। उन्हें पता चला कि अधिकारी बनने के लिए ग्रेजुएशन की डिग्री जरूरी होती है जिसके लिए उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई की और उसके बाद सीधा सेना की भर्ती की परीक्षा दी।

अब राकेश वालिया बन गए कैप्टन राकेश वालिया। कैप्टन राकेश कहते हैं कि उन्हें अपनी जन्म देने वाली मां की सेवा करने का मौका नहीं मिल पाया लेकिन उन्होंने भारत मां की सेवा की इसे अपना सौभाग्य मानते हैं।

अधूरा रह गया सपना

सेना में जाने के बाद भी राकेश वालिया की जिंदगी आसान नहीं थी। अपनी सेवा के 10 सालों बाद ही अपनी पत्नी के खराब स्वास्थ्य के चलते उन्हें रिटायर होना पड़ा। वे कहते हैं कि उनका इस दौरान एक सपना अधूरा रह गया। राकेश वालिया का सपना था कि भारत की रक्षा करते हुए शहीद होना, तिरंगे में लिपट कर इस दुनिया को अलविदा कहना।

स्टॉक मार्केट में हाथ आजमाया

सेना से रिटायर होने के बाद भी राकेश वालिया जिंदगी में शांत होकर नहीं बैठना चाहते थे। इसके बाद उन्होंने स्टॉक मार्केट में ब्रोकर के रूप में काम करना शुरू कर दिया। कैप्टन राकेश ने मेजर ट्रेवल एयरलाइंस ग्रुप के साथ काम शुरू करना शुरू किया। इस वक्त कैप्टन राकेश वालिया मैट्रिक सेल्लूर कंपनी में सीईओ पद पर कार्यरत है। इस वक्त उनकी कंपनी की कीमत 1200 करोड़ के आसपास बताई जाती है।

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