Dhanteras 2021 – धनतेरस का त्यौहार पूजा की विधी और महत्व को जानना है जरुरी

आज मैं आपको धनतेरस के विषय में बताने जा रहा हूं,धनतेरस क्यों मनाई जाती है। और पूजा करने की विधि क्या है आदि। कार्तिक मास (Kartik Maas) की कृष्ण त्रयोदशी (Krishan Triyodashi) को धनतेरस कहते हैं। इस दिन घर के द्वार पर तेरह दीपक जलाकर रखे जाते हैं। यह त्यौहार दीपावली के आने की पूर्व सूचना देता है तथा इस दिन बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज (Yamraj) और भगवान धनवंतरी (Dhanwantri) की पूजा का विशेष महत्व है।

धनतेरस क्यों मनाई जाती है (Dhanteras kyu manai jati hai)

भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य को धन से पहले स्थान दिया गया है। वह कहावत है कि। ” पहला सुख निरोगी काया दूजा सुख घर में माया “प्राचीन काल से प्रचलित है। उसी प्रकार दीपावली से पहले धनतेरस का भी विशेष महत्व है। जो भारतीय संस्कृति के हिसाब से बिल्कुल अनुकूल है। शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार कार्तिक मास कृष्ण त्रयोदशी को समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरी हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। मान्यता यह है की भगवान धन्वंतरी विष्णु के अंशावतार है। दुनिया में चिकित्सा विज्ञान के प्रचार और प्रसार के लिए भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था। भगवान धन्वंतरी (Dhanwantari) के प्रकट होने के उपलक्ष में धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है।

धनतेरस का शुभ मुहूर्त और समय (Dhanteras Shubh Muharat) 

धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त 2 नवंबर 2021 कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी विक्रम संवत 2078 को सांय काल 6:16 से लेकर 8:11 (Dhanteras Shubh Samay) तक है। इस समय में मां लक्ष्मी, धन्वंतरी देव और कुबेर की पूजा अर्चना करें। इसके अलावा दोपहर बाद खरीदारी का विशेष महत्व है। इस दिन सोने,चांदी के बर्तन (Sona, Chandi ,Bartan)वगैरह खरीद सकते हैं।

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पूजा की विधि (Pooja Ki Vidhi)

सबसे पहले चौकी पर भगवान धनवंतरी, मां लक्ष्मी (Laxmi Mata) और कुबेर (Kuber) की प्रतिमा स्थापित करें ।उसके आगे फूल अगरबत्ती और जो बर्तन,गहने खरीदे हैं उनको रख दे। लक्ष्मी स्रोत, लक्ष्मी चालीसा (Laxmi Chalisa) और कुबेर यंत्र (Kuber Yantra) का पाठ करें और मीठे का भोग लगाएं। इस प्रकार सही विधि विधान (Pooja Vidhi Vidhan) से की गई पूजा अर्चना से वर्ष पर्यंत मां लक्ष्मी की कृपा दृष्टि बनी रहती है।

इस दिन आपको क्या खास करना है

इस दिन अपने घर की सफाई अवश्य करें। धनतेरस के दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार चांदी एवं अन्य धातु का खरीदना अति शुभ माना जाता है। धन संपत्ति की प्राप्ति हेतु धन के देवता कुबेर के लिए पूजा स्थल पर दीप दान करें एवं मृत्यु के देवता यमराज के लिए मुख्य द्वार पर दीपदान करें।

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धनतेरस की पौराणिक और प्रमाणिक कथा (Dhanteras Ka Itihaas or Katha) 

धनतेरस से जुड़ी कथा के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण त्रयोदशी के दिन देवताओं के कार्य में बाधा डालने के कारण असुरों के गुरु शुक्राचार्य की विष्णु भगवान ने आंख फोड़ दी थी। और देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्ति दिलाने के लिए वामन अवतार लेकर राजा बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंच गए। शुक्राचार्य ने वामन अवतार में भगवान विष्णु को पहचान लिया और राजा बलि को वामनो को कुछ भी देने से इनकार कर दिया। और कहा कि भगवान विष्णु वामन अवतार में आए हैं जो देवताओं की सहायता के लिए आपसे कुछ भी छीन सकते हैं। राजा बलि ने शुक्राचार्य की बात नहीं मानी और संकल्प लेकर तीन पग भूमि देने वाले थे तभी शुक्राचार्य लघु रूप में कमंडल में घुस गए और पानी निकलने का रास्ता बंद कर दिया। वामन अवतार में भगवान विष्णु शुक्राचार्य की चाल को समझ गए और कमंडल में अपने हाथ में रखी कुशा को इस तरह डाला की शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई और वह छटपटा कर बाहर निकल गए। राजा बलि ने तीन पग भूमि दान में देने का संकल्प ले लिया। वामन अवतार में भगवान विष्णु ने एक पग में पृथ्वी को, दूसरे पग में अंतरिक्ष को नाप लिया। अब तीसरा पग रखने के लिए राजा बलि ने अपना सिर सामने झुका दिया और वह अपना सब कुछ गवा बैठे। इस प्रकार देवताओं को राजा बलि के भय से मुक्ति मिल गई। और जो धन संपत्ति छीनी गई थी उससे कई गुना ज्यादा धन-संपत्ति वापस मिल गई। इस उपलक्ष में भी धनतेरस मनाया जाता है। ” शुभ _ लाभ “

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