एयरफोर्स का लड़ाकू विमान चलाने वाले पायलट की कहानी, किसी समय पेट भर नहीं मिलता था खाना

जो व्यक्ति अपनी गरीबी से लड़ जाता है वह जिंदगी में सफल हो जाता है। देश में कई ऐसे उदाहरण हैं जो इस बात को सच साबित करते हैं। लाल बहादुर शास्त्री समेत कई लोगों का उदाहरण हमारे सामने आज मौजूद हैं। जिन्होंने गरीब से लड़कर देश के कई बड़े बड़े मुकाम हासिल किया था।

इसी सूची में एक नाम और जोड़ दिया जाए तो कोई दो राय नहीं होगी। हम बात करें रहे भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट एस्टन वून की। एस्टन के बारे में बताएं तो भोजन की कमी के कारण उन्हें कई बार बचपन में खाना नहीं मिलता था।

मां पेट पर बांधती थी कपड़ा

एस्टन वह बताते हैं कि उनकी मां भूख को मिटाने के लिए पेट पर कपड़ा लपेटती थी। साथ ही उन्हें कई बार तो दो वक्त का खाना भी सही से नहीं मिल पाया।

जमीन व सोना रखा गिरवी

एस्टन वून बताते हैं कि उनकी बहन की शादी करने के लिए उनके पिता ने इस जमीन का एक हिस्सा बेच दिया था। साथ ही वह बताते हैं कि उनकी मां ने भी गरीबी से निपटने के लिए अपने गहने गिरवी रख दिए थे।

चचरे भाई ने किया प्रेरित

एस्टन वून बताते हैं कि 12वीं कक्षा के बाद उन्होंने एनडीए के लिए आवेदन किया था लेकिन उस दौरान उनके परिवार में एक अजीब स्थिति पैदा हो गई थी। उनके पिता को हार्ट अटैक की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया। एस्टन वून ने घटना के बाद पढ़ाई छोड़ कर काम ढूंढ लिया। इसके बाद उनके पिता धीरे-धीरे ठीक हो गए और खेती करने लगे। बाद में उनके चचेरे भाई ने उन्हें सेना में जाने के लिए प्रेरित किया।

आगे अपनी कहानी को बताते हुए वे कहते हैं कि उनके पिता ने इसका विरोध किया लेकिन चचेरे भाई ने उन्हें अपने साथ ले जाने के लिए उनके पिता को मना लिया। उनके पिता ने एस्टन से कहा कि वह इंजीनियरिंग की तैयारी करें और उसी के लिए आवेदन करें। लेकिन अपने पापा विरोध के बाद भी एस्टन ने एनडीए के लिए आवेदन किया।

अधिकारी भी देख कर चौंक गए

एस्टन बताते हैं कि उन्होंने एनडीए के लिए आवेदन किया जिसके 4 महीने बाद उन्होंने परीक्षा दी और पास हो गए। एनडीए में शॉर्टलिस्ट होने के बाद वह घर से भागकर के एनडीए कैंप में चले गए। वह बताते हैं कि वहां के अधिकारी भी उन्हें देखकर के चौक गए थे। अधिकारी का कहना था कि लोग एनडीए को छोड़कर घर भागते हैं और तुम घर छोड़कर के लिए एनडीए के लिए आगे आए हो।

अंग्रेजी की वजह से हुई दिक्कत

ट्रेनिंग के दौरान एस्टन वून को एक और परेशानी का सामना करना पड़ा। उन्हें अंग्रेजी भाषा ना आने के कारण दिक्कत हो गई थी लेकिन उन्होंने इसके ऊपर भी मेहनत करना शुरू कर दिया और आज अंग्रेजी के ऊपर भी अच्छी पकड़ बना ली है।

दोस्त की मौत से लगा धक्का

एस्टन अपनी कहानी में आगे बताते हैं कि एक बार उनकी तबीयत ठीक नहीं थी। जिसके बाद उनके बॉस ने उनके दोस्त को उड़ान भरने के लिए कहा था। उनके रूममेट ने उन्हें जाते हुए कहा कि तेरे चक्कर में जा रहा हूं आकर तुझे बहुत मारूंगा।

इसके बाद एस्टन बताते हैं कि उनके दोस्त ने उड़ान भरी थी लेकिन उड़ान भरने के कुछ देर बाद उनका विमान लापता हो गया और विमान रेगिस्तान में मिला। विमान के अवशेष मिलने के बाद जब उन्हें पता लगा कि उनके दोस्त की मौत हो गई है तो उन्हें गहरा आघात लगा।

पिता को भी खोया, तब भी नहीं हारी हिम्मत

एस्टन वून बताते हैं कि एक बार वह छुट्टियों में घर आए हुए थे, एक दिन अचानक उनके पिता की तबीयत खराब हो गई। वह अपने पिता को अस्पताल ले जा रहे थे और उन्हें लिफ्ट की आवश्यकता थी लेकिन सड़क पर किसी ने भी गाड़ी नहीं रोकी।

उनके पिता की मौत उनकी गोद में ही हो गई। वह बताते हैं कि इस घटना के बाद वे टूट गए थे और उन्हें लगा कि जब हम देश की सेना में रहकर के देश की रक्षा करते हैं। हम सिर्फ देश की सेवा करते हैं, लेकिन लोगों ने देश के भीतर ही उनकी मदद नहीं की गई।

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