सुहास एलवाई : दिन में जिला संभालते थे तो रात में बैडमिंटन, अब पैरालंपिक में देश को पदक की उम्मीद

प्रशासनिक सेवा और खेल का वैसे तो कोई नाता नहीं है लेकिन गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी और टोक्यो पैरालंपिक इस बार खेल रहे पैराबैडमिंटन टीम के सदस्य सुहास ने कई धारणाओं को खारिज किया है। सुहास देश के पहले ब्यूरोक्रेट हैं जो पैरालंपिक में देश के लिए खेल रहे हैं।

सुहास का सफर बेहद आत्मविश्वास भरा रहा, वह इंजीनियरिंग से आईएएस और फिर पैरा शटलर तक पहुंचे हैं।

पिता से ही मिला आत्मविश्वास

सुहास खुद बताते हैं कि यह उनके पिता जी का ही आर्शीवाद है जो आज वो हर मंच पर आत्मविश्वासी रहते हैं। सुहास ने 2004 में इंजीनियरिंग पूरी की जिसके बाद 2005 में उनके पिता का देहांत हो गया। वह कहते हैं कि बचपन में पिता ने जो पौधा दिया था मैं बस उसको सींच रहा हूं।

अनुशासन को मानते हैं अपना मूलमंत्र

सुहास आईएएस की तैयारी के दौरान बेंगलूरू में एक कंपनी में नौकरी करते थे, इस दौरान वह दिन में काम और रात में आईएएस के लिए पढ़ते थे। वह कहते हैं कि किसी भी काम में सफलता के लिए अनुशासन बेहद जरूरी है। सुहास बैडमिंटन के लिए भी रात में समय निकालते हैं और रात में ही प्रैक्टिस करते हैं।

टोक्यो के इसी स्टेडियम में पहले खेल चुके हैं

सुहास टोक्यो के जिस योयोगी स्टेडियम में खेलेंगे वहां वह 2019 में जापान ओपन में भी खेल चुके हैं और एकल में कांस्य पदक भी अपने नाम किया था।

आईएएस अकादमी में रहे बैडमिंटन के उपविजेता

सुहास बताते हैं कि वह बैडमिंटन कॉलेज के दिनों से पहले से भी रोजाना खेलते रहे हैं। जब वह 2007 में आईएएस अकादमी मैसूरी गए तो वहां भी वह बैडमिंटन और स्क्वैश में उप विजेता रहे।

अब टोक्यो पैरा ओलंपिक के लिए सुहास किसी भी तरह का दबाव महसूस नहीं करना चाहते, उनका कहना है कि मैं आखिर तक मेरा सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करूंगा।

Add Comment

   
    >