पैरा एथलीट अजीत सिंह : दोस्त को बचाने में गंवा दिया था हाथ, अब पैरा ओलंपिक में दिखाएंगे जज्बा

अगर आपके इरादों में जज्बा और मन में कुछ करने का हौंसला हो तो आपके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है, आप किसी भी सफर को फतह कर मंजिल पा सकते हैं। हम जो प्रोत्हासित करने वाली लाइनें कह रहे हैं उनकी जीती जागती मिसाल है ग्वालियर के अजीत सिंह.

ओलंपिक में नीरज चोपड़ा के सोना लाने के बाद जैवलिन थ्रोअर का नाम तो हर किसी ने जान लिया है, अजीत सिंह भी एक जैवलिन थ्रोअर ही हैं लेकिन वो पैरा एथलीट हैं औऱ फिलहाल पैरा ओलंपिक के लिए उनका चयन हुआ है जिसके बाद देश और उनका गांव दोनों में जश्न का माहौल है। आइए जानते हैं कैसा रहा अजीत सिंह का सफर और वो कैसे यहां तक पहुंचे।

अजीत सिंह लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल एजुकेशन के छात्र रहे हैं और कुछ समय पहले नई दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में हुए ट्रायल में एफ-46 कैटेगरी में अजीत ने 63.96 मीटर जैवलिन थ्रो फेंक कर पैरा ओलंपिक के लिए खुद का टिकट कटाया।

दोस्त की जान बचाई औऱ गंवा बैठे अपना हाथ

अजीत सिंह के हाथ गंवाने की कहानी बेहद दर्द भरी है. दिसंबर 2017 में एक बार सतना में अजीत अपने दोस्त सतेंद्र तिवारी की शादी में शामिल होने गए और कामायनी एक्सप्रेस से लौटते समय रात 2 बजे मैहर स्टेशन पर अजीत का दोस्त अंशुमान ट्रेन से पानी लेने उतरा.

इसी बीच ट्रेन चलने लगी और ट्रेन पकड़ने की जल्दी में उनका पैर फिसल गया और वहीं गेट पर खड़े अजीत ने दोस्त को बचाने की कोशिश की जिस दौरान वह खुद ट्रेन और प्लेटफॉर्म के बीच गिरकर वहीं फंस गए. इस दर्दनाक हादसे के बाद अजीत को अपना हाथ कटवाना पड़ा। डॉक्टर्स ने अजीत की हालत देखकर पैरालाइसिस का खतरा बताया।

हौसले और हिम्मत की कहानी है अजीत का सफर

अजीत को पैरालाइसिस का दंश झेलना पड़ा लेकिन उन्होंने अपने हिम्मत और हौसले पर भरोसा रखा और जल्द ही वह रिकवर करने लग गए और एक दिन उन्होंने पैरा ओलंपिक में चयनित होकर हर किसी को हौरान किया. आपको बता दें कि ओलंपिक के बाद अब टोक्यो में 24 अगस्त 2021 से लेकर 5 सितंबर 2021 तक पैरा ओलंपिक गेम्स होंगे।

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