हरिहर किला : इस किले तक पहुंचने के लिए दिन में दिख जाते हैं तारे, चढ़ाई के लिए लगानी पड़ती है जान की बाज़ी

महाराष्ट्र देश का ऐसा राज्य है जहां आप अपनी छुट्टियां घूमने के लिए आराम से बिता सकते हैं, राज्य में ऐसी कई जगहें हैं जो पर्यटकों का मन मोह लेती है। आज हम एक ऐसी ही जगह के बारे में आपको बताएंगे जो पर्यटकों के लिए ट्रेकिंग का मुख्य स्थान है।

हम बात कर रहे हैं हरिहर किले की जिसे हर्षगढ़ किला भी कहा जाता है। महाराष्ट्र के नासिक जिले के इगतपुरी से लगभग 48 किलोमीटर की दूरी पर बना यह किला गुजरात में मिलाने वाले गोंडा घाट के व्यापार मार्ग के संचालन के लिए है।

आखिर किले की क्या है खासियत ?

हरिहर किला पश्चिमी घाट के त्रयम्बकेश्वर पहाड़ पर बना हुआ है जिसे 9वीं से 14वीं शताब्दी के बीच यादव राजवंश या सउना ने बनाया था। किले का हमेशा से इस्तेमाल व्यापार मार्ग के लिए किया जाता रहा है। अहमदनगर सल्तनत के अधिकार क्षेत्र में आने वाला यह किला 1636 में शहाजी भोंसले ने मुगल जनरल खान जमान को दिया गया। वहीं 1818 में त्रयंबक के जाने के बाद अंग्रेजों ने इस पर अधिकार कर लिया।

प्रिज्म की तरह है किले की बनावट

किले अपनी बनावट को लेकर अक्सर चर्चा में रहता है जो कि नीचे से देखने पर चौकोर दिखता है तो लेकिन असल में यह प्रिज्म आकार का है। 170 मीटर की उंचाई पर बने इस किले में जाने के लिए 177 सीढ़ियां हैं।

छोटा सरोवर है आकर्षण का केंद्र

य़हां आने वाले पर्यटकों का यहां बना एक छोटा सरोवर ध्यान खींचता है जिसका पानी बेहद साफ  है और सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा भोजन के लिए यहां सड़क किनारे कई ढाबे हैं।

बता दें कि किले की चढ़ाई के लिए निर्गुडपाड़ा ग्राम से य़ात्रा शुरू करनी होती है। वहीं किले से लगभग 170 किलोमीटर दूर छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी है। इसके साथ ही कासरा रेलवे स्टेशन 60 किलोमीटर और नासिक रेलवे स्टेशन 56 किलोमीटर दूरी पर है।

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