भिलार : देश का पहला किताबों का गांव, यहां हर गली-मोहल्ले में बनी है लाइब्रेरी

आपने किताबों से सजी दुकान देखी होगी, किताबों से भरी कई लाइब्रेरियां देखी होगी लेकिन अगर हम आपको कहें कि किताबों का एक गांव भी है जहां हर गली-चौराहे पर आपको किताबें मिलेंगी तो एक बार के लिए आप हैरान हो जाएंगे।

लेकिन महाराष्ट्र के पंचगनी से करीब 8 किलोमीटर दूर स्थित भिलार एक ऐसा गांव है जो देशभर में स्वादिष्ट लीची के लिए जाना जाता है लेकिन किताब प्रेमियों के लिए भी यह एक पसंदीदा जगह है।

भिलार गांव को पुस्तक गांव या बुक विलेज भी कहा जाता है। अब इसका यह नाम क्यों रखा गया और यहां क्या खास है, यह जानने के लिए आपको आखिर तक पढ़ना होगा।

भिलार है देश का पहला पुस्तक गांव

महाराष्ट्र में सतारा जिले का भिलार गांव देश का पहला पुस्तक गांव बनाया गया है जिसका उद्घाटन महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने किया।

वहीं किताबों के गांव की पहल पर बने इस गांव के सपने को साकार करने का श्रेय उस समय के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े को जाता है। आपको बता दें कि भिलार गांव को लिटरेरी फेस्ट डेस्टिनेशन में बदलने के लिए करीब 2 साल की मेहनत के बाद यह गांव आम लोगों के लिए खोला गया।

कैसे आया किताबों का गांव बनाने का ख्याल

यूके में एक शहर है वेल्स जहां ‘ऑन वे’ के नाम से एक जगह है जिसे किताबों का कस्बा कहा जाता है, बस उसी की तर्ज पर सतारा में यह गांव बसाया गया है।

योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए गांव में किताबें पढ़ने के लिए 25 जगहों को चिन्हित किया गया जहां साहित्य, कविता, धर्म, महिला, बच्चों, इतिहास, पर्यावरण, लोक साहित्य, जीवन और आत्मकथाओं संबंधी सभी तरह की किताबें उपलब्ध करवाने का खाका तैयार हुआ।

योजना के बाद महाराष्ट्र सरकार की तरफ से गांव में 15000 मराठी किताबों को यहां रखा गया। गांव की झोपड़ी, मंदिर, स्कूल और रेस्ट हाउस सभी जगहों को किताबों की एक लाइब्रेरी का रूप दिया गया जहां कोई भी किताब पढ़ सकता है।

महाराष्ट्र ने 75 कलाकारों की मदद से बनी लाइब्रेरियां

सरकार की इस योजना को साकार करने के लिए गांव की मुख्य जगहों को लाइब्रेरी का रूप दिया गया जिनकी दीवारों को कलाकारों ने आकर्षक कारीगरी से सजाया।

वहीं सरकार का इस गांव को खोलने के पीछे मराठी भाषा और संस्कृति को प्रोत्साहन देने का इरादा था। आने वाले समय में यहां हिंदी-इंग्लिश भाषा में भी किताबें शामिल होंगी।

कौन पढ़ सकता है यहां किताब ?

भिलार गांव की लाइब्रेरियों में कोई भी फ्री में किताब पढ़ सकता है। यहां किताब पढ़ने के लिए कुर्सी और बीनबैग्स की व्यवस्था भी की गई है, बस आपको एक नियम की पालना करनी होगी कि जिस किताब को जहां से उठाएं पढ़ने के बाद उसे वापस वहीं रख दें।

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