24 साल की उम्र में खड़ी कर दी 71 हजार करोड़ की कंपनी, ओयो रूम्स है देश में सबसे बड़ी होटल चैन

अगर आपके हौंसले बुलंद हों तो दुनिया की कोई भी ताकत और आपकी उम्र कामयाबी के रास्ते में नहीं आ सकती। कुछ ऐसी ही कहानी है 17 साल की उम्र में इंजीनियरिंग छोड़ ओयो कंपनी शुरू करने वाले रितेश अग्रवाल की जिन्होंने कुछ ही सालों में करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी।

हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट 2020 के मुताबिक रितेश विश्व के दूसरे सबसे युवा सेल्फ मेड बिलिनेयर हैं।

आपको बता दे कि ओयो  रूम्स भारत में सबसे प्रसिद्ध होटल ब्रांडों में से एक है जो दुनिया में तीसरी और देश में सबसे बड़ी होटल चैन है। ओयो के पास भारत के 200 शहरों में करीब 7000 होटलों की चैन है जिनमें 70000 से भी ज्यादा कमरे हैं। वर्तमान में ओयो कंपनी का कारोबार 71000 हजार करोड़ है।

आइए जानते हैं कैसे रितेश अग्रवाल ने इतनी कम उम्र में यह मुकाम हासिल किया।

बचपन में ही सीख ली थी प्रोग्रामिंग

रितेश का जन्म 16 नवम्बर 1993 को उड़ीसा के बिस्सम कटक में एक व्यापारी परिवार में हुआ जहां 12वीं तक की पढाई उन्होंने रायगडा उड़ीसा से सेक्रेड हार्ट स्कूल से की।

रितेश स्कूल के समय से ही अन्य बच्चों से कुछ अलग थे। वह हमेशा अपनी गलतियों से सीखने के मौके तलाशते रहते थे। रितेश ने 8 साल की उम्र में ही अपने भाई की प्रोग्रामिंग की किताब से प्रोग्रामिंग करना सीख लिया।  2009 में आईआईटी की कोचिंग करने कोटा पहुंचे।

16 साल की उम्र में रितेश अग्रवाल ने एशियाई विज्ञान शिविर के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में भाग लिया। यह वह समय था जब वह उद्यमियों से मुलाकात करने लगे और सम्मेलनों में जाने लगे।

इंजीनियरिंग की तैयारी छोड़ 2011 में दिल्ली लौटे

2011 में स्टार्टअप शुरू करने का फैसला लेकर वह दिल्ली आए और इंजिनियरिंग कॉलेज के लिए इंट्रेस परीक्षा छोड़ दी। इस दौरान वह बिजनेस, स्टार्ट-अप और उद्यमियों के बारे में लिखी किताबें भी खूब पढ़ते थे।

रितेश ने एक उद्यमी बनने के अपने जुनून को आगे बढ़ाने के लिए इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस एंड फाइनेंस, दिल्ली में दाखिला लिया लेकिन जल्द ही अपनी खुद की कंपनी शुरू करने के लिए वह भी छोड़ दिया।

2013 में ओयो की शुरूआत

रितेश अग्रवाल को शुरू से ही घूमने का शौक था जिसके लिए वह देशभर की यात्राएं करते थे। इस दौरान उन्होंने देखा कि कई दूर-दराज के इलाकों में घूमने की जगहें तो हैं लेकिन रहने के लिए व्यवस्था नहीं है।

उन्होंने इस समस्या का हल निकालने के लिए महज 17 साल की उम्र में ओरेवल स्टे नाम से एक बिज़नेस मॉडल की शुरूआत की और रितेश ने फण्डिंग के बारे में सारी जानकारी हासिल की। इसके बाद जल्द ही उन्हें 20 लाख रुपये की फण्डिंग मिली और रितेश ने अपना पूरा ध्यान बिज़नेस में लगा दिया।

कुछ समय बाद उन्हें पता चला कि ओरेवल स्टे के साथ ग्राहकों को बजट होटलों के कमरें तो मिल जाते हैं लेकिन होटल मालिक अच्छी सुविधाएं नहीं दे रहे हैं ऐसे में उन्होंने 2013 में ओयो रूम्स लॉन्च किया। कुछ ही दिनों में रितेश की ओयो कंपनी लोगों की पहली पसंद बन गई और सितंबर 2018 में ओयो रूम्स को 1 अरब डॉलर का निवेश मिला।

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