शतरंज में 7 बार नेशनल चैंपियन रह चुकी है मूक-बधिर मल्लिका हांडा, खेल से प्यार और संघर्ष भरा रहा सफर

आपने सुना होगा कि मेहनत एक दिन शोर मचाती है और उस मुकाम तक पहुंचने के लिए किन रास्तों से सफर तय किया गया यह जानने के लिए हर कोई उतावला रहता है। आज हम आपको एक ऐसी चैंपियन की कहानी बताने जा रहे हैं जो असल मायनों में जिंदगी के खेल में भी चैंपियन है।

हम बात कर रहे हैं मल्लिका हांडा की जिन्होंने विश्व शतरंज चैंपियन का मुकाम हासिल किया है। पंजाब के जालंधर शहर की रहने वाली मल्लिका की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है।

हालांकि मल्लिका अपनी तारीफ में कही जाने वाली जोश भरी आवाजों को सुनने में सक्षम नहीं है लेकिन वह समझती है लोग उस पर गर्व कर रहे हैं।

इंटरनेशनल मूक-बधिर शतरंज चैंपियनशिप में सोना जीतने वाली पहली भारतीय महिला

मल्लिका का जन्म पंजाब के जालंधर में हुआ जो बोलने और सुनने में सक्षम नहीं है। हालांकि वह बचपन से ही बधिर नहीं थी लेकिन एक साल की होने के बाद मल्लिका ने अपने बोलने और सुनने की शक्ति खो दी।

मल्लिका एक बधिर भारतीय पेशेवर शतरंज खिलाड़ी है जो इंटरनेशनल डेफ एंड डंब शतरंज चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला है।

11 साल की उम्र में खेलना शुरू किया शतरंज

मल्लिका को शतरंज के खेल के बारे में पहली बार 11 साल की उम्र में पता लगा जब उनके पिता उनके लिए शतरंज बोर्ड खरीद कर लाए। मल्लिका को जल्द ही इस खेल से लगाव हो गया जिसके बाद उसे खेल कोटे से कॉलेज में भी एडमिशन मिला।

मल्लिका हांडा का शतरंज के लिए प्यार

शतरंज खेलना शुरू करने के तुरंत बाद मल्लिका ने इस खेल के लिए एक जुनून पैदा किया। वह घर में अपने पिता और चचेरे भाई को कभी जीतने नहीं देती थी। मल्लिका ने धीरे-धीरे खेलते हुए इस खेल के लिए एक अलग योग्यता भी विकसित कर ली।

मल्लिका ने 2013 में मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता और उन्हें जर्मनी जाने का मौका मिला, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकी क्योंकि भारतीय खेल प्राधिकरण ने अंतरराष्ट्रीय संस्था के साथ कुछ विवाद के कारण उन्हें अनुमति नहीं मिली। बाद में इंदौर में मल्लिका का ट्रायल हुआ और उन्होंने पहला स्थान हासिल किया और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में प्रवेश लिया।

मल्लिका ने शतरंज में समय के साथ कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पदक जीते। उन्होंने मैसूर में आयोजित बधिरों के लिए राष्ट्रीय शतरंज चैम्पियनशिप भी जीती। वहीं मैनचेस्टर में आयोजित वर्ल्ड डेफ ब्लिट्ज शतरंज चैंपियनशिप में रजत पदक भी जीता।

इसके अलावा मल्लिका ने साल 2017 में शतरंज में एशियन चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल भी अपने नाम किया। वह 7 बार नेशनल चैंपियन रह चुकी हैं।

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