कलयुग के अनोखे तपस्वी आलू बाबा के रहस्य से भरी ऐसी जबरदस्त कहानी विदेश से भी दर्शन को आते लोग

कंदमूल फल खाइए, शरीर रहे निरोग।
पर सेवा का काम करो, पास ना आए रोग।

दोस्तों नमस्कार।

दोस्तों आज मैं आपको अजमेर (Ajmer) के पास में पुष्कर (Pushkar) से नौ किलोमीटर दूर एक ऐसे मंदिर में ले चल रहा हूं। जहां पर बाबाजी का नाम तो चंदन गिरी महाराज (Chandan Giri Maharaj) है लेकिन उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में केवल आलू के अलावा कुछ नहीं खाया है। इसलिए उनको आलू वाले बाबा (Aloo Wala Baba) के नाम से पुकारते हैं।

पुष्कर से दो किलोमीटर चलते ही अजय पाल बाबा का मंदिर (Ajay Pal Baba Ka Mandir) आएगा। थोड़ी दूर चलते ही अजगरनेश्वर महाराज का मंदिर (Ajgarneshwar Maharaj Mandir) है।इस मंदिर की खास बात यह है कि इसमें चारों दिशाओं में चार शिवलिंग की स्थापना की हुई है। उसके बाद में आलू बाबा (Aloo Baba) का मंदिर है, जहां पर आकर श्रद्धालुओं को अपनी आकांक्षा के अनुरूप बहुत सकून मिलता है। ऐसे पक्षी देखने को मिलते हैं जो आपने कभी नहीं देखे होंगे।

यह मंदिर कितना पुराना है इसका उत्तर देते हुए साधु महाराज कहते हैं कि यह मंदिर अजय पाल जी के समय का ही है अर्थात पुराना अजमेर है। यह प्राचीन अजमेर है। नया अजमेर जो अब है जिसको पृथ्वीराज चौहान ने बसाया था। यह पूरा एरिया पुष्कर के नीचे आता है।इस गांव का नाम अजयसर (Ajaysar) है।

ब्रह्मा नगरी।
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ब्रह्मा जी ने यहीं बैठ कर के पूरी सृष्टि की रचना की थी। पुष्कर में एकमात्र ब्रह्मा जी का मंदिर है जो भारत में अकेला है। आलू बाबा ने अपने बारे में बताते हुए कहा कि 25 साल पहले मैं यहां आया था। यहां आने के बाद में थोड़ा इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया। और इससे पहले मुझे लगभग 60 साल हो गए केवल आलू खाता हूं और चाय का सेवन करता हूं। विषय भोग के कंट्रोल के लिए शुरू किया था।और सफल भी रहा। चाय मिले तो मिले नहीं मिले तो कोई बात नहीं, अकेले आलू से ही काम चला लेता हूं।

साधु महाराज (Sadhu Maharaj) ने कहा कि मेरा नाम चंदन गिरी है। लेकिन आलू खाता हूं इसलिए लोगों ने अल्लू बाबा के नाम से मेरा प्रचार कर रखा है। बोर्ड पर भी अल्लू बाबा ही लिख रखा है। पुष्कर भी इतना फेमस नहीं था लेकिन विदेशी लोगों के आने के चक्कर में यह बहुत प्रसिद्ध हो गया।मेरे पास भी विदेशी पत्रकार आते रहते हैं। लेकिन जो मेरे समझ में आता है उत्तर दे देता हूं, नहीं तो ठीक है।

केवल आलू खाते हो ऐसा क्यों के जवाब में बाबा ने कहा कि मन को कंट्रोल करने के लिए ही मैं आलू खाता हूं। एक चीज खाता हूं तो केवल एक ही जगह मन स्थिर रहे। अर्थात भगवान में ही मन लगा रहे। पुराने अजमेर के बारे में बताते हुए बाबा कहते हैं कि मैंने 30 साल में क्या देखा है। यह तो हजारों साल पहले मुगलों के द्वारा उजाड़ा हुआ अजमेर है। इसलिए इसके बारे में मैं क्या बता सकता हूं।

धीरे-धीरे लोग आते गए, मंदिरों का जीर्णोद्धार होता गया। अपने हिसाब से लोगों ने कुछ न कुछ सहयोग किया है। सरकार ने सहयोग किया है। सड़क आई है, लाइट आई है, पानी आया है, और नया स्वरूप बना है। मुझे आलू लाकर देते हैं तो मैं उनका कर्ज रखता नहीं हूं। मैंने भी यहां पर 400 पेड़ लगाए हैं। तो मैं भी कुछ न कुछ देकर जाऊंगा। मेरे हिसाब से मैं इस प्रकार कर्ज चुका रहा हूं।

अपने विचार।
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मानव जीवन दुर्लभ है,
इसको बेकार गवाना नहीं।
आए हैं तो कुछ करके जाए,
बिना किए तो जाना नहीं।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

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