400 साल पुराने खोड़ा गणेश मंदिर का रहस्य जहाँ भूतों ने मिलकर बनवाया भूतिया मंदिर

नेकी कर धन बढ़े,
चोरी है अभिशाप।
मन को सुख संतोष मिले,
मत करना कभी पाप।

दोस्तों नमस्कार।

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे अद्भुत गणेश मंदिर की कहानी सुनाने जा रहा हूं जिसको भूतों ने बनाया था। यह गणेश जी का मंदिर (Ganesh Ji mandir) किशनगढ़ (Kishangarh) में बना हुआ है जिसकी स्थापना महाराजा किशन सिंह जी ने आज से 400 साल पहले की थी।।

एक समय की बात है कि एक बार गणेश जी महाराज ने एक यज्ञ करवाया। यज्ञ में सभी भूतों को न्योता दिया गया। दूर-दूर तक निमंत्रण पत्र भिजवाया गया। ऐसा यज्ञ जिसमें सभी भूत आ जाएं। यज्ञ में खाना सभी को सोने के थाल में परोसा गया। भूतों के अंदर एक भूत चोर था।

वह रोज एक सोने का थाल चुरा कर ले जाता था। गणेश जी महाराज के अनुयायियों में जो भंडार का रखवाला था। उसने बताया कि महाराज एक थाल रोज कम हो रहा है। गणेश जी ने इसकी चौकसी के लिए जिम्मेदार नौकरों को छोड़ दिया और चोर को पकड़ लिया गया। तब गणेश जी ने चोर से कहा कि तुम को क्या सजा दूं। बोलो तुम क्या कर सकते हो। तब चोर ने कहा कि जब तक शहर में कोई व्यक्ति नहीं उठेगा। तब तक रात्रि में शहर के चारों तरफ बीस फुट चौड़ा परकोटा बना दूंगा। और बीच में एक जगह ऐसी छोड़ दूंगा, जहां पर आप विराजमान होंगे।

शहर बड़ा था। रात्रि में 3:00 बजे एक व्यक्ति उठा और उसने चक्की चला दी। तो परकोटा वहीं पर खत्म हो गया। इसलिए परकोटा अधूरा रह गया। इस परकोटे के अंदर पानी का तालाब, बाग बगीचे सब सुविधा बना दी गई थी। लेकिन अब मरम्मत के अभाव में सब अस्त-व्यस्त हो रहा है। यहां पर रक्षाबंधन से पहले जो रविवार आता है, उसको बड़ा मेला भरता है। जो भी व्यक्ति शुभ कार्य करता है, सबसे पहले गणेश जी महाराज के भोग लगाकर ही काम को शुरू करता है। जैसे शादी ब्याह, नई गाड़ी खरीदना, मकान की स्थापना आदि।

शहर की स्थापना के समय यहां के नगर सेठ श्रीमान गोकुल चंद भायती जब जंगल में घूमने के लिए गए तो वहां पर जंगली जानवरों का बहुत ज्यादा आतंक था। उन्होंने नगर में आकर के घोषणा की कि नगर के बाहर कोई भी अपनी मान्यता वगैरह या अन्य काम से न जाए। यहीं पर गणेश जी के मंदिर में अपनी सारी मान्यताएं पूरी होंगी।

उसी समय से जो व्यक्ति अपनी मान्यता लेकर आता है तो गणेश जी महाराज को चौला चढाता है। जब मान्यता पूरी हो जाती है तो चौला अपने आप फट कर नीचे गिर जाता है।
नगर सेठ को गणेश जी महाराज ने पर्चा दिया तो उन्होंने उस समय इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

यहां पर उस समय खोड़ सिंह राजा का राज था और गांव का नाम भी खोड़ा था। तब मंदिर का नाम खोड़ा गणेश जी का मंदिर (Khoda Ganesh Temple) नाम से प्रसिद्ध हुआ। गणेश जी महाराज का नाम दंत कोटकी गणपति है। यहां पर नगर के चारों तरफ जो भूत के द्वारा परकोटा बनाया हुआ है। वह 20 फुट चौड़ा है उसमें केवल सिलाए रखी हुई है। मिट्टी का कहीं भी प्रयोग नहीं किया हुआ है।

” गणेश जी महाराज की जय ”

अपने विचार।
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मन में शंका मत करियो,
जाकर देखो आप।
खोड़ा गणेश महाराज का,
करना सबको जाप।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

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