राजस्थान का आकाशीय मार्ग से प्रकट हुआ अनोखा मंदिर जहाँ कुंड में कभी नहीं होता पानी खत्म

हिंदुस्तान विभिन्न आस्थाओं और परंपराओं वाला देश है। यहां भगवान शंकर के कई हजारों मंदिर मौजूद है,लेकिन कुछ मंदिर ऐसे हैं जहां पर चमत्कार देखने को मिल जाते हैं। उन चमत्कारों की वजह से लोगों की आस्था है भगवान शिव के प्रति बढ़ती चली जा रही है।

कई हजारों लोग मंदिर में दर्शन करने के लिए इसलिए पहुंचते हैं क्योंकि उस मंदिर का कुछ ऐसा चमत्कार प्रसिद्ध हो जाता है जिस वजह से लोगों की आस्था उस मंदिर के प्रति और बढ़ जाती है।

आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर की कहानी बताएंगे, मंदिर राजस्थान के अजमेर में मौजूद है। अजमेर में मौजूद नीलकंठ मंदिर में एक ऐसा कुंड है जिसका पानी कभी खत्म नहीं होता है। इसी वजह से यहां हजारों भक्त भगवान शंकर के दर्शन के लिए हर रोज पहुंचते है।

तीन दिन भरता है मेला

नीलकंठ महादेव (Neelkanth mahadev) के इस मंदिर में शिवरात्रि के समय से 3 दिन तक मेला भरता है। इस मंदिर में देश ही नहीं विदेश से भी हजारों भक्तों को दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि एक बार यहां पांडवों में निवास किया था। मंदिर के महंत गंगागिरी है, महानिर्वाणी जूना अखाड़े के महंत गंगागिरी इस मंदिर के रखरखाव करते हैं। वह कहते हैं कि भगवान शंकर के प्रति हजारों भक्तों की मान्यता है। इसी वजह से भक्त यहां बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं। मंदिर के बारे में बताया जाता है कि मंदिर आकाशीय मार्ग से उतारा गया था।

सारी मनोकामना होती है पूरी

नीलकंठ मंदिर अजमेर में भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस मंदिर में भगवान शंकर के अलावा अन्नपूर्णा और भीमा माता का मंदिर भी मौजूद है। भक्त यहां जो भी मन्नत मांगते हैं भगवान शंकर उसे पूरा करते हैं। मंदिर में जल चढ़ाने से भक्तों का कल्याण हो जाता है।

शिवरात्रि पर लगा मेला

नीलकंठ महादेव में हर साल शिवरात्रि पर मेला लगता है। महंत गंगा गिरी ने बताया कि पिछले साल कोरोनावायरस महामारी की वजह से लॉक डाउन था और मंदिर में मेले का आयोजन नहीं करा गया था। इसके बाद इस साल सरकार की गाइडलाइंस और कोरोनावायरस की सभी बातों को ध्यान में रखते हुए शिवरात्रि पर मेले का आयोजन जा सकता है।  वही महंत गंगा गिरी जी ने बताया कि भक्तों ने भी मंदिर प्रबंध कमेटी का कोरोनावायरस के रखरखाव के लिए पूरा योगदान दिया।

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