राजस्थान का मिट्टी वाला अनोखा सैंड आर्टिस्ट जिसके टैलेंट को देख के आप रह जाएंगे हैरान

कलाकारा की धरती है,
या वीरा की धरती।
देशभक्ति का जज्बा भी है,
मेहमान नवाजी करती।

खेलते खेलते कलाकार बनना।
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दोस्तों नमस्कार।
दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसी शख्सियत से रूबरू करवा रहा हूं। जिसने खेलते खेलते बचपन से यौवन में कदम रखा और मिट्टी से खेलते हुए कलाकार बन गया।
अजमेर जिले के पुष्कर (Pushkar) के पास गनेडा गांव (Ganeda Vilalge) का रहने वाला अजय रावत, जिसने मिट्टी से अनेक प्रकार की कला को कैद कर रखा है।

पुष्कर मेले में खुशबू से बात करते हुए उसने बताया कि मैं महाराणा प्रताप की मूर्ति बना रहा हूं। आज पूरे विश्व में महाराणा प्रताप जैसा कोई योद्धा नहीं हुआ है। इसलिए जो भी यहां पर मेरी मूर्तियों को देखने आए, तो वह देश प्रेम का संदेश लेकर जाए।

अतिथि देवो भव।
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उपरोक्त भाव को प्रदर्शित करते हुए अजय ने बताया कि एक बार महामहिम राष्ट्रपति महोदय माननीय रामनाथ जी कोविंद (Ramnath Kovind) जब यहां पर पधारे थे, तब मैंने उनको मिट्टी से उकेरी हुई उनकी एक फोटो भेंट की थी। तब उन्होंने मेरी कला की बहुत प्रशंसा की थी।

आपको यह शौक कब लगा।
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उन्होंने बताया कि जब मैंने खेल-खेल में बहुत सारी मूर्तियां बना रखी थी तब मेरी एक कलाकृति अखबार में छापी गई। उसके बाद में मुझे बहुत खुशी हुई। मैंने सोचा कि इसमें मेरा नाम भी होगा और राजस्थान की मिट्टी को पहचान भी मिलेगी। मैने विदेशी सैलानियों को अपनी कला के माध्यम से देश प्रेम और वीरों से रूबरू करवाया है। यह मिट्टी कौन सी है के जवाब में वह कहते हैं कि यह बिल्कुल बालू मिट्टी है जो अपने पूरे राजस्थान में पाई जाती है।

गणेश जी की बहुत बड़ी मूर्ति, ऊंट के पास में बैठे हुए मालिक की मूर्ति और अन्य बहुत से वीरों की मूर्तियां आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी। इतनी भीड़ के अंदर आप मूर्तियां कैसे बना लेते हैं के जवाब में वह कहते हैं कि एक कलाकार को मूर्ति बनाने के लिए एकांत स्थान चाहिए। लेकिन मुझे अब आदत पड़ गई है। मेरे को यहां काम करते हुए 8 से 10 वर्ष हो गए हैं। मैं इस रंग में रंग चुका हूं।

सभी लोगों को वह कहते हैं कि आर्टिस्ट आप भी थे। जब बचपन में घर बनाया करते थे। आपने बनाना छोड़ दिया और मैंने चालू रखा है बस इतना ही फर्क है।

कहां-कहां सम्मानित हुए।
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मैने राजस्थान (Rajasthan) की तरफ से उड़ीसा (Odisha) के कोणार्क ब्रिज पर इंटरनेशनल सेंड फेस्टिवल (International Sand Festival) में तीन बार भाग लिया है। राज्य सरकार (State Government) ने मुझे कई बार सम्मानित किया है। जिला स्तर पर अजमेर आइकन अवार्ड (Ajmer Icon Award) से भी सम्मानित हो चुका हूं।

अंग्रेज लोग राजस्थान की संस्कृति से,पशुओं के श्रंगार या महिलाओं के श्रंगार से बहुत प्रभावित होते हैं। इस मिट्टी से उकेरी हुई कला से लोग बहुत प्रभावित होते हैं। अजय रावत ने अपने मिट्टी की कला से पूरे पुष्कर का तथा पहाड़ी और मंदिरों का नक्शा बना रखा था। उसका बनाया हुआ मिट्टी का यह नक्शा सभी को बहुत प्रभावित कर रहा था। रेत कला फेस्टिवल का आपने जो वीडियो बनाया है। उसके लिए मैं झलको राजस्थान को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

” जय झलको __ जय राजस्थान।”

अपने विचार।
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कल से आज और आज से कल,
जमाना बदल रहा हर पल।
खुश रहो और खुशियां बांटो,
तुमको मिलेगा इसका फल।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

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