मातृभूमि के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर देने वाले शहीद ओम प्रकाश गुर्जर की वीर गाथा

भारत मां का वीर सिपाही,
इस अफसरशाही से परेशान है।
शहीद परिवार भटकता फिरता,
क्यों नहीं किसी को भान है।

दोस्तों नमस्कार।

दोस्तों आज मैं आपको शहीद ओम प्रकाश गुर्जर के परिवार की दास्तान सुना रहा हूं। सुनकर आपको भी आश्चर्य होगा कि किस प्रकार अफसरशाही देश रक्षकों को परेशान कर रही है।

रुपनगढ़ तहसील (Rupangarh Tehsil) गांव गुड्ढा गुजरान (Guda Gujran) जिला अजमेर (Ajmer) का रहने वाला ओम प्रकाश गुर्जर जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए 7 मार्च 2018 को शहीद हो गया। फतेहगढ़ (Fatehgarh) से 1996 में 27 राजपुताना राइफल (Rajputana Rifles) में अपनी नौकरी की शुरुआत करने वाले शहीद ओम प्रकाश गुर्जर के पुत्र अपनी आपबीती बताते हुए कहते हैं कि जिस दिन मेरे पापा का पार्थिव शरीर यहां पर आया था।

उस दिन अपनी राजनीति चमकाने, अपनी अफसरशाही का दबदबा दिखाने, सबसे आगे फोटो खिंचवाने में, सबसे आगे दिख रहे नेता और अफसर हमको जिस प्रकार 2 साल से परेशान कर रहे हैं वह एक आश्चर्य का विषय है।

चार बहनों में मेरे पिता अकेले भाई थे और मैं दो बहनों का अकेला भाई हूं। अर्थात मेरे दादा दादी मेरी बुआ मेरी बहने मेरी मम्मी सबमें अकेला मैं कमाने वाला हूं। मैं केवल चक्कर काट रहा हूं नौकरी तो बहुत दूर की बात है। मजदूरी लाइक भी नहीं रहा। 2 साल का समय गुजर जाने के बाद में पता चला कि इनकी सोच और इनकी गंदी राजनीति किस तरह देश को बर्बाद कर रही है।

पारिवारिक स्थिति।
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शहीद ओम प्रकाश गुर्जर अपने पिता भवरलाल के इकलौते पुत्र तथा चार पुत्रियां है। शहीद ओम प्रकाश की पत्नी विमला देवी पुत्र शंकर सिंह तथा दो पुत्रियां सुमन तथा पायल है। शहीद के पिता भवरलाल तथा माता मोहनी देवी गांव में ही रहते हैं। शहीद ओम प्रकाश गुर्जर 22 साल से सेना में रहकर देश की सेवा में तैनात थे। शहीद के पिता भवरलाल कहते हैं कि मैं अपने पोते शंकर सिंह को भी सेना में भेजूंगा तथा देश की सेवा के लिए हजार बेटे कुर्बान है।

7 मार्च 2018 को जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए ओम प्रकाश गुर्जर शहीद हुए थे। 10 मार्च 2018 को उनका पार्थिक शरीर गांव गुढ़ा पहुंचा।

घोषणाएं।
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शहीद ओम प्रकाश गुर्जर के पुत्र कहते हैं कि जिस दिन मेरे पापा का पार्थिव शरीर यहां पर आया था, उस दिन सौ से अधिक नेता और अफसर इकट्ठे हुए थे। उन्होंने सामुदायिक विकास भवन पापा के नाम से, उसकी चार दिवारी, पेट्रोल पंप, एक आदमी को नौकरी, राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) ने पच्चीस लाख रुपए, स्कूल का नामकरण पापा के नाम से, अनेक घोषणाएं की थी।

लेकिन बड़े खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि तीन साल होने को आ गई है। मैं कहीं मजदूरी भी नहीं कर सकता परिवार को पालने के लिए। केवल इनके चक्कर काट रहा हूं। कोई भी अफसर नेता सीधे मुंह बात नहीं करता है।

” शहीद ओम प्रकाश गुर्जर को नमन ”

अपने विचार।
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अफसर जागो नेता जागो,
जागो समय बदल गया।
दो दिन की नेतागिरी पर,
समय रहते करो दया।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

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