राजस्थान का ऐसा चमत्कारी आश्रम जहाँ गरीब नाथ जी महाराज की कृपा से बिना ड्राइवर के चल पड़ी गाड़ी

गोसेवा गोदान संग ,
या चमत्कार की बाड़ी।
गरीब नाथ के आश्रम में,
चलती बिना ड्राइवर गाड़ी।

दोस्तों नमस्कार।

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे चमत्कारिक आश्रम की कहानी बताने जा रहा हूं। जहां पर बिना बैलों के गाड़ी चल के आ गई और बिना ड्राइवर की कार चल कर आई। मुंडावर तहसील (Mundawar Tehsil) के जीवनसिंह पुरा गांव (Jiwansinghpura Village) के गरीब नाथ जी महाराज (Garibnath Ji Maharaj) के आश्रम की चमत्कारी कहानी। गरीब नाथ जी को समाए हुए एक सौ पचास वर्ष हो गए हैं। वह कोटडी गांव (Kotadi Village) के थे और बहरोड (Bahror) की प्रेम बाई के साथ में शादी हुई थी।

दोनों सबसे पहले तसीम गांव (Tasim Village) के मंदिर में मिले और दोनों ने एक साथ ही सन्यास ग्रहण कर लिया। प्रेम बाई को भी ईश्वर ने विशेष शक्ति प्रदान की थी। इस आश्रम में जितना भी काम किया हुआ है वह गरीब नाथ जी महाराज का किया हुआ है यहां पर 200 गाएं एक साथ महाराज के आश्रम में रहती थी। सौ से अधिक सन्यासी रोज यहां पर भोजन किया करते थे।

एक समय की बात है कि गरीब नाथ जी महाराज का काफिला भृतहरी महाराज के आश्रम से वापिस जब आ रहा था तो राजा मंगल सिंह ने उनको देख लिया और अपने नौकरों से कहा कि यह किसका काफिला जा रहा है। तो लोगों ने बताया कि यह गरीब नाथ जी महाराज का काफिला जा रहा है। तो राजा मंगल सिंह ने कहां की उनकी गाड़ी के दोनों बैल खोल के ले आओ।

जब दोनों बैल राजा ने खुलवा दिए तो गरीब नाथ जी महाराज ने कहा कि हे गाड़ी अब तेरे को ऐसे ही चलना पड़ेगा तो गाड़ी चलकर आश्रम में आ गई। जब राजा को यह सारा वाकया मालूम हुआ तो महाराज गरीब नाथ के चरणों में नतमस्तक होकर माफी मांगी और हथिनी और हाथी सप्रेम भेंट कर गया। प्रत्यक्षदर्शीयो के अनुसार राजा ने बैल भी वापस किए और दूसरी बार जब हथनी देकर गया तो वह हमारे खेतों में आकर जब नुकसान करती थी तो बाबाजी का नाम लेते ही वापस आश्रम में चली जाती थी।

एक अन्य घटना के अनुसार गरीब नाथ जी महाराज के बाद में गोपाल नाथ जी महाराज और फिर रघुनाथ जी महाराज (Raghunath Ji Maharaj) हुए हैं। एक बार रघुनाथ जी महाराज को बस में कंडक्टर ने धक्का मार दिया और नीचे उतार दिया तो बस वही रुक गई। रघुनाथ जी कहीं जाकर छुप गए।

बस वाले दौड़े-दौड़े मिस्त्रीयों के पास में गए। सुबह से शाम हो गई लेकिन गाड़ी नहीं चली। फिर किसी के बताने के अनुसार आश्रम में गोपालदास जी महाराज (Gopaldas Ji Maharaj) के पास में गए तो उन्होंने कहा कि रघुनाथ कहां है। उसको ढूंढ के लाओ और जब रघुनाथ जी को ढूंढ कर लाए तो उन्होंने कहा कि मैने नहीं रोक रखी। जाओ चली जाएगी और तब बस वहां से चली।

एक बार की बात है कि गोपाल दास जी महाराज अपनी जीप को लेकर कहीं जा रहे थे। रास्ते में कोई झगड़ा फसाद हो गया और ड्राइवर भाग गया, तो गोपाल दास जी महाराज ने कहा कि चलो गाड़ी वापिस आश्रम में ही चलो, तो बिना ड्राइवर के गाड़ी आश्रम के अंदर आ गई।

कुछ दिन पहले उसी गाड़ी को आश्रम के कर्मचारी साफ कर रहे थे तो सर्पों का झुंड उसके अंदर से निकला, तो यह संकेत समझ कर कि महाराज का आदेश है की गाड़ी को साफ मत करो। तो वह गाड़ी बिना साफ किए ही वहीं पर खड़ी रहती है, और चालू हालत में है। गरीब दास जी महाराज सर्प के रूप में दर्शन देते हैं।

गरीब दास जी महाराज ने पहाड़ी के ऊपर से अपना चिमटा फेंका। और कहा कि यह चिमटा जहां पर गिरे वहीं पर धुना होगा। आज भी वह चिमटा वहीं पर खड़ा हुआ है और पास में उसी दिन से धुना जल रहा है। महाराज के आश्रम में जो भी अपनी मंशा लेकर आता है उसकी मंशा पूरी होती है।

” गरीब दास जी महाराज को नमन ”

अपने विचार।
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आस्था ही विश्वास है,
विश्वास मन की ताकत।
मनोबल ऊंचा रहे हमारा,
दुश्मन के लिए कयामत।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

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