राजा को गोद में लेकर रानी हुई सती, राजस्थान की मूसी रानी के छतरियों से जुड़ी अद्भुत कहानी

मन में शक्ति अनेक है, सत उनमें से एक
सत की रानी मुसी थी, नाम अमर किया देख।

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसी विलुप्त होती कहानी को उजागर कर रहा हूं।जो राजा महाराजाओं के समय की वास्तविक कहानी है। मूसी रानी के छतरियां (Moosi Rani Ki Chhatriyan) जो अलवर (Alwar) में बनी हुई है, वह आज दर्शनीय स्थल के रूप में लोगों की पहली पसंद बनी हुई है। शहर के बीचोबीच कलेक्टर ऑफिस के पास में बनी ये छतरियां लोगों का मन मोह रही हैऔर सोचने पर मजबूर कर रही है कि कितनी सुंदर और कलाकृति से भरपूर यह छतरिया हैं।

मूसी महारानी की छतरी (Moosi Maharani Ki Chhatri) किसने और कब बनवाई

एक व्यक्ति ने खुशबू से बात करते हुए बताया कि बहुत समय पहले की बात है कि यहां राजा बख्तावर सिंह राज किया करते थे। हर व्यक्ति को एक दिन इस मोह माया को त्याग कर अनंत में विलीन होना पड़ता है, उसी प्रकार राजा बख्तावर सिंह का भी एक दिन निधन हो गया।

राजा के छः रानियां थी। एक महारानी थी, और बाकी पांच पटरानी थी। पटरानी में सबसे बड़ी मूसी रानी थी। राजा के निधन के समय जब महारानी ने उनके साथ में जाना नहीं चाहा, तो मूसी रानी ने उनके साथ में जाने की इच्छा प्रकट की और अपने पति को गोद में लेकर सती हो गई। तब मुसी रानी के पुत्र ने अपनी माता की याद में यह छतरियां बनवाई।
यहां पर आने वालों में सबसे ज्यादा लड़कियां होती है।

एक लड़की ने अपनी बात बताते हुए कहा कि मैं यहां पर मेरी सहेलियों के साथ में डांस की प्रैक्टिस करने के लिए रोज आती हूं। यह जगह बहुत ही सुहावनी और एकांत प्रिय है एक अन्य चिकित्सा विभाग की टीम की सदस्य ने बताया कि हमारा यहां पर ब्लड डोनेशन का एक कैंप था। उस कैंप से निवृत होने के बाद में हमने यहां आने का प्लान बनाया और यहां आ कर बहुत अच्छा लग रहा है।

चारों तरफ पहाड़ियों के बीच में सुहाना मौसम, हल्की हल्की बरसात का लुफ्त उठाते हुए सैलानी बहुत खुश नजर आ रहे थे। लोगों के बताने के अनुसार मूसी रानी को पटरानी का नाम बाद में दिया गया था।वह एक दासी थी। सन 1815 में मुसी रानी के पुत्र विनय सिंह ने इन छतरियों का निर्माण करवाया था।

अन्य।
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खुशबू ने सब को संबोधित करते हुए कहा कि यहां की छतरियां सुंदरता में देखते ही बनती है। इतनी बड़ी बड़ी सिलाओ से बनी हुई ये छतरियां कहीं भी बीच में जॉइंट का निशान नहीं है। बहुत ही सुंदर कला है जो किसी का भी मन मोह लेती है।

अपने विचार।
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दुनिया कलाओ से भरी हुई,
है एक से बढ़कर एक।
मनुष्य खुद एक कला है,
देख सके तो देख।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

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