दिन में तीन रंग बदलने वाले नीलकंठ महादेव मंदिर का रहस्य, औरंगजेब को भी दुम दबाकर भागना पड़ा

दोस्तों नमस्कार।

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे शिव मंदिर पर ले चलता हूं। जिसकी चमत्कार भरी कहानियां सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे। यहां पर नीलकंठ महादेव मंदिर है। जिसकी ख्याति पूरे भारतवर्ष में किसी से छुपी हुई नहीं है।

वहां मंदिर में विराजमान पंडित जी ने खुशबू से बात करते हुए बताया कि महाराजा विराट के समय पांडवों ने जब अज्ञातवास लिया था, उस समय से भी पहले का यह मंदिर है। यह मंदिर आज से साढ़े पांच हजार वर्ष पहले का है। यह मंदिर किसके द्वारा बनाया गया है, का जवाब देते हुए पंडित जी कहते हैं कि इस परकोटे के अंदर 360 मंदिर है। जो राजा लिच के द्वारा बनवाए गए थे।

मुगल शासक औरंगजेब ने वहां पर स्थित सभी मंदिरों को नष्ट कर दिया था। लेकिन जब नीलकंठ महादेव के पास में नष्ट करने के लिए गया, तो मंदिर से अग्नि प्रज्वलित हुई और उन आतताइयों को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा।

नीलकंठ महादेव के मंदिर को चारों तरफ से आक्रांताओ ने नष्ट कर दिया था लेकिन जब शिवलिंग को नष्ट करने लगे तो अग्नि प्रज्वलित हुई। तो उस समय औरंगजेब को वहां से हटना पड़ा। अभी तक मंदिर का किसी ने जीर्णोद्धार नहीं करवाया, इसके पीछे क्या कारण है के बारे में पंडित जी कहते हैं कि पांडवों के समय से भी पहले का यह मंदिर है। इसलिए पुराने अवशेषों को संभाल के रखना ही उनका मुख्य उद्देश्य है।

यह मूर्ति दिन में तीन रंग बदलती है, की दास्तान के बारे में पंडित जी कहते हैं कि जब आप एक टक मूर्ति की तरफ देखते रहोगे तो आपको अपने आप इसके रंग बदलते हुए नजर आएंगे। वैसे मूर्ति का रंग नीला है। मेले के बारे में पंडित जी कहते हैं कि साल में एक बार शिव रात्रि के दिन मेला लगता है। जिसमें लाखों लोग भाग लेते हैं।

यहां आने वाले दर्शनार्थी जो भी अपनी मन्नत लेकर आते हैं, उनकी आशा पुरी होती है। एक अंधी लड़की का दृष्टांत सुनाते हुए पंडित जी कहते हैं कि उसको महीने भर से सपने आ रहे थे कि मेरे को वहां ले चलो,वहांले चलो और जब वह यहां आई तो उसकी आंखों की रोशनी आ गई।

खुशबू ने वहां के मंदिर का वृतांत सुनाते हुए कहा कि दो पहाड़ियों के बीच मंदिर,तालाब का सुहाना दृश्य देखते ही बनता है। खंडित की हुई मूर्तियां, तपस्वियों की समाधि तथा बावड़ी का अलौकिक दृश्य बहुत ही लुभावना लग रहा है। कभी किसी जमाने में जब पानी की कमी होती थी तब उस समय लगभग 100 फुट गहरी बावड़ी पानी से भरी हुई रहती थी। चारों तरफ हरियाली सुंदरता को चार चांद लगा रही है।

अपने विचार।
************
खंडित भी कभी अखंडित थी,
मन में विचार करो।
देखो इन कलाओं को,
और कलाकारों को याद करो।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

Add Comment

   
    >
राजस्थान की बेटी डॉ दिव्यानी कटारा किसी लेडी सिंघम से कम नहीं राजस्थान की शकीरा “गोरी नागोरी” की अदाएं कर देगी आपको घायल दिल्ली की इस मॉडल ने अपने हुस्न से मचाया तहलका, हमेशा रहती चर्चा में यूक्रेन की हॉट खूबसूरत महिला ने जं’ग के लिए उठाया ह’थियार महाशिवरात्रि स्पेशल : जानें भोलेनाथ को प्रसन्न करने की विधि