संतोषी माँ का चमत्कारी मंदिर जहाँ माता की मूर्ति से आता पसीना ~ कहानी सुन के हो जाओगे हतप्रभ

सुख बसे संतोष में,
दुख लोभी मन वास।
जिसके मन विश्वास हो,
पूर्ण होती आस।

दोस्तों नमस्कार।

दोस्तों आज मैं आपको जो कहानी बताने जा रहा हूं वह अलवर (Alwar) जिले में बहरोड़ (Bahrod) तहसील के पास में जेतपुरा गांव (Jaitpura) के संतोषी माता मंदिर की है। वह मंदिर इतना पुराना नहीं है लेकिन जहां पर संतोषी माता के मुख मंडल पर बार-बार पसीने की बूंदे आती है और जहां पर गए हुए कि आस पूरी होती है।

200 साल पुराना इमली का पेड़।
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संतोषी माता के मंदिर (Santoshi Mata Mandir) के पास में 200 साल पुराना इमली का पेड़ है। जो भी व्यक्ति अपनी आस्था लेकर आता है, उस इमली के पेड़ के ऊपर नारियल बांध देते है और जब 5 दिन बाद में या 10 दिन बाद में, उसकी मन्नत पूरी हो जाती है तो नारियल अपने आप गायब हो जाता है।

यहां पर संतोषी माता (Santoshi Mata) हर व्यक्ति की मन्नत पूरी करती है। माता के मुख मंडल पर पसीना आता है तो उस समय माता के पास में पंखे लगाए जाते हैं। गौतम गंभीर क्रिकेटर को अपनी फैक्ट्रियों में बराबर घाटा हो रहा था उनको किसी ने माता के बारे में बताया तो उनको अपनी कंपनियों में बराबर लाभ होना शुरू हो गया। उन्होंने सोने का छत्र चढ़ाया और बड़ा भंडारा भी करवाया।

प्रत्येक शुक्रवार को भोग लगता है।
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संतोषी माता के प्रत्येक शुक्रवार को बड़ी संख्या में महिलाओं के द्वारा भोग लगाया जाता है। गुड चना उनका मुख्य प्रसाद है। किसी विशेष शुक्रवार को लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं के द्वारा भोग चढ़ाया जाता है। उस दिन गुड चने के प्रसाद के साथ में हलवा का भोग लगाकर बड़ा भंडारा किया जाता है।

मंदिर की स्थापना।
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मंदिर की स्थापना 1980 में महादेव प्रसाद जी शर्मा तथा उनकी पत्नी शरबती देवी शर्मा की याद में उनके पुत्रों के द्वारा इस मंदिर की स्थापना की गई थी। मंदिर निर्माण के बाद में जब मूर्ति स्थापना के लिए मूर्ति लेने गए तो मूर्ति वाले के पास में मिट्टी में धूल भरी हुई यह संतोषी माता की मूर्ति पड़ी हुई थी और आवाज आई कि मुझे ले चलो।तो उसी मूर्ति को लेकर मंदिर की स्थापना की गई और उसके बाद में हर दिन चमत्कार एवम् मन्नत पूरी होने लग गई।

उसी दिन से माता के मुख मंडल पर जैसे मनुष्य के पसीना आता है उसी प्रकार गर्मियों में माता के भी पसीना आता है। उस समय पंखे लगाए जाते हैं तथा बाद में ए सी भी चलानी पड़ती है।

अन्य मंदिर।
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पहले बिल्कुल सामने गणेश जी की मूर्ति विद्यमान है। उसके बराबर में राधा कृष्ण जी और लक्ष्मी नारायण जी की मूर्ति स्थापित की हुई है। उनके पास में ही छोटी सी लड्डू गोपाल की मूर्ति भी विराजमान है। जन्माष्टमी को लड्डू गोपाल की मूर्ति को झूले में झुलाया गया और आशीर्वाद प्राप्त किया। पास में वैष्णो देवी माता की मूर्ति शेर पर विराजमान है।

एक तरफ राम दरबार सजा हुआ है जिसमें श्री राम जी, लक्ष्मण और सीता जी विराजमान है। यहां पर पीर बाबा का मंदिर भी है। यहां पर सभी धर्मों को मानने वाले भक्तगण पधारते हैं और अपनी मन्नत पूरी करते हैं।

राम दरबार के पास में संतोषी माता का मंदिर सजा हुआ है जिनके नाम से यह मंदिर विख्यात है।

बोलो सभी देवी देवताओं की जय। संतोषी माता की जय।

अपने विचार।
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चमत्कार विश्वास है,
जो करे विश्वास।
शुद्ध आत्मा मनन करो,
पूर्ण होती आस।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

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