प्रसिद्ध शिव पहाड़ी का रहस्य, महादेव ने अपनी जूती से रोक दी शीला जहाँ होती भक्तों की इच्छा पूरी

संत तपस्या का सत बड़ा,
बड़ी है निर्मल काया।
दूजे को सुख देते हैं,
ना रखते मोह माया।

दोस्तों नमस्कार।

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे स्थान पर ले चलता हूं। जहां की तपोभूमि, संतों का आवास, रमणीक और अपने आप में अद्भुत है। अलवर (Alwar) जिले की मुंडावर तहसील (Mundawar Tehsil) के सामदा गांव (Samda Village) की पहाड़ी के ऊपर आज से डेढ़ सौ वर्ष पहले गरीब नाथ जी महाराज ने तपस्या की थी।

गुफा का रहस्य।
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गरीब नाथ जी की तपस्थली से लेकर भरतहरी महाराज (bharthari maharaj) तक एक लंबी गुफा बनी हुई है। जहां पर संत महात्मा ने तप किया था, वह स्थान पहाड़ी के बिल्कुल ऊपर है। दर्शनार्थी सात सौ पचास सीढ़ियां चढ़कर उस गुफा स्थल तक पहुंचता है। गुफा की लंबाई लगभग पचास किलोमीटर है।

आगंतुकों ने खुशबू से बात करते हुए बताया कि सावन के महीने में पूर्ण मास हम यहीं पर रहते हैं। यहां सवामणी करते हैं। उन्होंने बताया की पिछले पांच साल से हम अपने इस प्रोग्राम को निभाते आ रहे हैं। शिवजी के प्रति हमारा अटल विश्वास है। पहाड़ी के ऊपर एक पहाड़ नुमा शीला इस तरह बनी हुई है, जैसे शिव जी का नंदी हो। उस शीला की आकृति वैसी की वैसी है जैसी नंदी की है। वहां के प्रबंधक ने खुशबू को बताया कि एक बार बहुत दिनों पहले की बात है, कि बहुत जोर का भूकंप आया था।

उस भूकंप में एक शिला हिलने लग गई, और उसने अपनी जगह छोड़ दी। गांव वाले डर के मारे थरथर कांपने लगे। सब लोगों ने शिव की आराधना की कि हे ईश्वर आप ही हो बचाने वाले। हमारी रक्षा करो। उस समय शिवजी (Shivji) ने प्रकट होकर अपनी जूती फेंक के मारी और शीला एकदम से पास में आकर रुक गई ।आज भी वह शीला वहीं पर है।

दर्शनार्थी यहां आकर अपनी मनोकामना पूरी करते हैं। जो भी मन्नत होती है, वो यहां पर शीला पर धागा बांध के जाते हैं और मनवांछित फल मिलते ही वापस खोलकर ले जाते हैं।यहां की सुरंग, नंदी, चट्टान तथा पूरा मंदिर अपने आप में अद्भुत है। एक आकर्षण का केंद् है। पूरे भारतवर्ष से दर्शनार्थी यहां पर आते हैं और अपनी मन्नत पूरी कर जाते हैं।

प्रत्येक सोमवार को, शिवरात्रि, नवरात्रा, सावन का पूरा महीना के दिनों में यहां पर मेला लगता है।और लोगों की बहुत भारी भीड़ इकट्ठी होती है। वहां के पुजारी ने बताया कि इस शीला के चारों तरफ सात चक्कर लगाने से कैसा भी पेट दर्द होता हो, वह नीचे मंदिर में जाने तक ठीक हो जाता है।

गरीब नाथ जी महाराज (GaribNath Ji Maharaj) के साथ में यहां पर तपस्या करने के लिए प्रेम बाई भी आई थी। गरीब नाथ जी महाराज तो चले गए लेकिन प्रेम बाई अपनी तपस्या के अंदर लीन थी। एक बार किसी असामाजिक तत्व ने प्रेम बाई को उल्टी सीधी बात कही तो उस समय प्रेमबाई ने अपनी शक्ति का उपयोग किया और भस्म कर दिया।

अन्य।
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प्रत्यक्षदर्शियों के कहने के अनुसार वहां पर एक शिला पर शिवजी महाराज के नाग देवता की भी आकृति बनी हुई है, जो शिव जी के भक्तों के लिए एक अनुपम भेंट है।

अपने विचार।
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सुंदरता गुणों से होती है,
और गुणों से होता है विश्वास।
बिना विश्वास के टिकता नहीं,
चाहे रिश्ता कितना भी हो खास।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

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