जब एक्सीडेंट में दोनों पैर गंवाकर टूट गई थी अवनि, अब डिप्रेशन से जूझकर लगाया सोने पर निशाना

टोक्यो पैरालंपिक में राजस्थान की अवनि लाखेरा ने भारत की झोली में पहला गोल्ड मेडल डाल दिया है। अवनि ने इतिहास रचते हुए 10 मीटर एयर राइफल में भारत के नाम पहला पहला गोल्ड किया।

बता दें कि शूटिंग में यह गोल्ड जीतने के बाद ओलिंपिक या पैरालिंपिक में सोना लाने वाली अवनि देश की पहली महिला खिलाड़ी बन गई है। राजस्थान के जयपुर की रहने वाली अवनि व्हीलचेयर पर हैं जिन्होंने 9 साल पहले अपने पिता के साथ एक कार एक्सीडेंट में अपने दोनों पैर गंवा दिए थे। आइए जानते हैं पैर गंवाने के बाद अवनि ने कैसे तय किया टोक्यो पैरालंपिक तक का सफर।

एक्सीडेंट से अवनि को लगा था गहरा आघात

अवनि के पिता प्रवीण लखेरा रेवेन्यू अधिकारी हैं जो वर्तमान में गंगानगर में कार्यरत है। अवनि के पिता बताते हैं कि एक्सीडेंट के बाद उनकी बेटी का मनोबल पूरी तरह से टूट गया था, वह कई हफ्तों तक किसी से बात नहीं करती थी। वह डिप्रेशन का शिकार हो गई। उनके पिता ने अवनि का ध्यान हटाने के लिए कई खेलों में ले जाने का सोचा लेकिन वह नहीं खेल पाई।

शूटिंग रेंज जाने के बाद बदली अवनि की जिंदगी

पिता अवनि को एक्सीडेंट के बाद शूटिंग रेंज लेकर जाने लगे जहां खिलाड़ियों को देख उनका रूझान बढ़ने लगा। ऐसे करते-करते वह शूटिंग करने लगी और जमकर मेहनत करती। अवनि दिन-रात मेहनत करती थी। यहां तक कि लॉकडाउन के बाद अवनि के पिता ने घर पर उनके अभ्यास करने की व्यवस्था की।

पैरालिंपिक में महिलाओं के नाम तीसरा मेडल

पैरालिंपिक के अब तक के इतिहास में भारत की तरफ से महिलाओं के नाम यह तीसरा मेडल है। इससे पहले शॉटपुट में दीपा मलिक और इसी पैरालिंपिक में भाविना पटेल ने टेबल टेनिस में मेडल पर कब्जा किया था।

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