किराड़ू मंदिर जो मोहम्मद गजनी के हमले के बाद भी अडिग रहा, कहते हैं राजस्थान का खजुराहो

राजस्थान की संस्कृति ऐतिहासिक भवन और किलों की समृद्धता को प्रदर्शित करती है। मंदिर हमारे पुरातन समय से भारतीय समाज का हिस्सा रहे है। दक्षिण से उत्तर तक हजारों आराध्य देवी देवताओं के मंदिर है। हर एक क्षेत्र के राम और शिव अपने है जिन्हें जिस तरह के राम और शिव की अराधना में सहूलियत हुई उसने वैसे ही अपना लिया।

भारत के हर कोने की रामायण अलग है। विश्वभर में मिश्र की इस्लामिक भवन शैली अद्वितीय है. भारत के मंदिर निर्माण की भी कई शैलियां है जैसे नागर और द्रविड़ शैली है। इनसे प्रेरित कई शैलियां भारतवर्ष में विकसित हुई. दक्षिण में मीनाक्षी मंदिर मध्य में खजुराहो के मंदिर भारतीय भवन शैली को उच्च कोटि पर लाकर खड़ा करते है।

राजस्थान में भी खजुराहो शैली से निर्मित कई मंदिर है जिनमें से किराड़ू मंदिर को राजस्थान का खजुराहो भी कहा जाता है जो राजस्थान के पश्चिमी जिले बाड़मेर के हाथमा गांव में स्थित है. प्राचीन समय में इसे किराट कूप के नाम से जाना जाता था।

किराड़ू के मंदिर दसवीं शताब्दी के आसपास बनाए गए। विभिन्न इतिहासकारों ने अलग-अलग राजवंशों को यहां का शासक माना। गुर्जर प्रतिहार राजवंश के शासन को ज़्यादा मान्यता मिली। ग्रामीण लोगों की मानें तो यहां राजपूत सांखला जाति का शासन था।

आसपास के गांवों में सदियों से ऊगड़ा भाणेज के वीरता की कथाएं प्रसिद्ध है जिसने किसी समय किराड़ू की रक्षा की थी। यहां पर भगवान शिव और विष्णु के पांच मंदिर है जिसमें से अधिकांश खंडहर में तब्दील हो चुके है. वहीं दो मंदिर ठीक अवस्था में खड़े हैं।

किराड़ू में कुल पांच मंदिर है जिनपर नग्न अवस्था में मैथुन करते नर मादाओं की मूर्तियां बनी हुई है। खजुराहो शैली का मूर्तिशिल्प मैथुन क्रियाओं को दर्शित करता है। वात्स्यायन कृत कामसूत्र में हर तरह की मैथुन मुद्रा का वर्णन किया गया है। वात्स्यायन ने मैथुन सम्बन्धों को करीब से जाना और बताया. भारतीय समाज में मैथुन सम्बन्धों की बात को सार्वजनिक पटल पर करना किसी बड़े अपराध से कम नहीं है। खजुराहो शैली के मंदिरों को देख लगता है कि प्राचीन काल में भी भ्रांतियां ख़त्म करने व समाज में बदलाव को लेकर कई काम हुए है।

किराड़ू मंदिर को लेकर प्रचलित हैं कई किवदंतियां

किराडू मंदिर को टूरिज्म के नजरिए से जो तवज्जो मिलनी थी वो आज भी नहीं मिली है, वो महज किवदंतियों और अफवाहों में फंसकर रह गया। यह बातें प्रचलित है कि शाम के बाद किराड़ू भूतिया हो जाता है और रात के वक्त कोई चला जाए तो वो पत्थर की मूर्ति बन जाता है।

वहीं एक किवदंती यह भी प्रचलित है कि एक वक्त में गरीब कुम्हारन रहा करती थी जो गांव में मांगकर जीवन यापन करती थी तो एक वक्त की बात है उसे गांव में भोजन नहीं मिला जिसकी शिकायत जब बाबा से की तो वो नाराज़ हो गए तथा उन्होंने श्राप दिया कि सूरज ढलते ही समस्त ग्रामवासी पत्थर में तब्दील हो जाएंगे फिर कुछ ऐसा ही हुआ और वो गांव पत्थर हो गया.

जब मोहम्मद गजनी ने भारतीय मंदिरों को लूटा

मोहम्मद गजनी ने कई भारतीय मंदिरों को लूटा जिसमें से किराड़ू भी अछूता नहीं रहा, कहा जाता है कि सोमनाथ में आक्रमण के बाद रास्ते में उसने किराड़ू पर भी हमला किया और खजाना लूटकर मंदिरों को खंडित कर दिया। वर्तमान समय हाथमा गांव में सच्चिया माता का मंदिर जो कि परमार राजवंश की कुलदेवी है तथा उस राजवंश के वंशज रहते हैं जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि उसके बाद कभी परमार राजवंश का भी किराड़ू पर आधिपत्य रहा है।

इसके साथ ही पिछले कुछ सालों में यहां बेहतरीन काम हुए हैं। कई विदेशी शोधकर्ता भी इस दौरान यहां आए तथा सरकार को भी इसकी अहमियत का भान हुआ। सरंक्षण को लेकर युद्ध स्तर पर कार्य हो रहा है फिर भी टूरिज्म की आधारभूत चीजों को विकसित करने में समय लगेगा लेकिन उम्मीद है कि एक दिन अपनी भूतिया कहानियों से बाहर निकल रेगिस्तान के बीच बसा यह किराड़ू अपने मूल अस्तित्व में जरूर आएगा।

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