राजस्थान का ऐसा मंदिर जहां शाम के समय जाने से डरते है लोग,बन जाते है सब पत्थर

हिंदुस्तान आस्था और चमत्कारों का देश है। हमारे भारत में हर मंदिर हर मजार हर गुरुद्वारे हर धर्म स्थल का कोई ना कोई इतिहास है। कई लोग इन इतिहास को चमत्कारों के रूप में भी मानते हैं। वहीं कुछ लोगों इसे अंधविश्वास का रूप भी मानते हैं। ऐसा ही एक गांव और एक मंदिर है जहां लोग मानते हैं कि वहां जाने से रात में लोग पत्थर के बन जाते हैं। यह मंदिर है राजस्थान के बाड़मेर जिले के किराडू शहर में, किराडू मंदिर में मान्यता है कि जो भी लोग रात को यहां रूकते है वह सुबह तक पत्थर बन जाते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि यहां भूत का साया है वहीं कुछ लोग मानते हैं कि यहां श्राप है, जिसका असर देखने को मिलता है।

लोग बनते हैं पत्थर के

किराडू मंदिर को लेकर मान्यता है कि शाम होते ही यहां भूतों का साया हो जाता है। वही जो मंदिर इस वक्त खंडहर बन चुके हैं वहां कदम रखते ही लोग हमेशा हमेशा के लिए पत्थर बन जाते हैं कई लोग कहते हैं कि यहां श्राप है, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि जादू टोना है, कुछ लोग इसे भगवान का चमत्कार भी मानते हैं लेकिन भूतों या श्राप वाले इस जगह की हकीकत कोई नहीं जानता ना ही आज तक किसी ने ही शाम को रोकने की हिम्मत जताई है। न किसी ने जानने की कोशिश की जिससे इस रहस्य का सच पता लगाया जा सके और इसी वजह से आज तक किराडू मंदिर का रहस्य बरकरार है।

सरकार भी नही देती ध्यान

हिंदुस्तान में किराडू मंदिर जैसी न जाने कितने धर्म स्थल व किले हैं जहां ऐसी मान्यताएं या लोगों का विश्वास अंधविश्वास है। इन सभी जगहों के रहस्य का पताप नहीं लगाया जाता। वहीं इतना ही सरकार इन पर ध्यान भी नही देती है कि जिससे इन बातों का सच पता लगाया जा सके। इसी वजह से इतिहास के पन्नों में मौजूद इन धार्मिक व पौराणिक जगहों को हम खंडार बनते हुए देखते हैं।

kiradu mata mandir

किराडू में एक समय बसता था शहर

किराडू मंदिर के लिए मान्यता है कि एक समय यहां भी हर तरह की सुख सुविधा हुआ करती थी। एक समय ऐसा था जब किराडू शहर में भी चहल-पहल थी। एक समय यहां पर लोग खुशहाली का जीवन जी रहे थे, लेकिन एक दिन अचानक ऐसा आया कि सबकी किस्मत बदल गई। हंसता मुस्कुराता हुआ शहर थम सा गया, जो लोग अपना जीवन यहां जी रहे थे। उनका जीवन रुक गया। किराडू मंदिर के पीछे जो इतिहास है उसके बारे में आपको जानकारी दें तो बताया जाता है कि एक समय यहां किसी सिद्ध पुरुष ने शहर में डेरा डाला था। एक दिन वह संत अपनी तीर्थ स्थानों पर भ्रमण यात्रा करने के लिए चला गया। उसने एक गांव वालों को कहा कि गांव वाले उस संत के साथियों का ख्याल रखें। उसने गांव वालों से कहा कि कृपया मेरे साथियों के खाने-पीने व सभी चीजों का प्रबंध मेरे जाने के बाद कर दीजिएगा। कहते हैं कि उसके जाने के बाद संत के साथ ही बीमार पड़ गए और गांव में से किसी भी व्यक्ति ने उसके साथियों की मदद नहीं की, लेकिन गांव की एक औरत जो कुम्हार जाति की थी उसने उन लोगों की मदद की थी। बाकी सभी लोगों ने संत के साथियों पर कोई ध्यान नहीं दिया। लेकिन जब सिद्ध पुरुष संत भ्रमण करके वापस लौटे तब उन्होंने देखा कि उनके साथ ही बीमार पड़ गए है। एक कुम्हार जाति की महिला के अलावा किसी ने भी उनकी सहायता नहीं की है, जिसके बाद वह संत क्रोधित हो गए और उन्होंने श्राप देते हुए इस शहर के बारे में कहा कि जिस शहर में साधुओं के प्रति दया भाव नहीं वहां अन्य लोगों के लिए क्या होगा। इस शहर में मानवता को रहना ही नहीं चाहिए और उन्होंने श्राप देते हुए कहा कि शाम होते-होते यहां सब पत्थर हो जाएगा।

कुम्हारिन को बचाया लेकिन वह भी बनी पत्थर

जिस साधु ने किराडू शहर को श्राप दिया था उसने उस कुम्हारी जाति की महिला को कहा था कि वह शाम होते-होते शहर को छोड़ दे। सिद्ध पुरुष ने कहा कि कृपया करके आप पीछे मुड़कर मत देखना नहीं तो आप भी पत्थर बन जाएंगी। लेकिन जब वह महिला गांव छोड़कर जाने लगी तो थोड़ी दूर जाकर उसने पीछे मुड़ कर देख लिया और वह भी पत्थर बन गई। तभी से मान्यता है कि जो भी व्यक्ति शाम के बाद इस शहर में रुकता है वह भी पत्थर बन जाता है।

Kiradu Temple

मंदिर का नही पता सही इतिहास

किराडू मंदिर के किसने स्थापना की इसके बारे में आज तक कोई भी तथ्य नहीं मिल पाया है। कहते हैं कि इस मंदिर में 12वी शती का भी पत्थर मौजूद है। विक्रम संवत 1209 माघ विधि 19 तदनुसार 24 जनवरी 1153 का एक पत्थर यहां मौजूद है। वही दूसरा विक्रम संवत 1218 ईसवी 1161 का है। वही तीसरा पत्थर 1235 का है। मान्यता है कि मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में परमार वंश के राजा ने करवाया था।

पांच में से बचें केवल दो मंदिर

किराडू मंदिर के आसपास पांच मंदिर है लेकिन इस वक्त केवल विष्णु भगवान और सोमनाथ ही ठीक हालत में मौजूद है। बाकी सब चीजें खंडहर का रूप ले चुकी है। भव्यता इस मंदिर में देखी जा सकती है। किराडू मंदिर का इलाका पर्यटकों के लिए घूमने की जगह बन चुका है। लेकिन कहते हैं कि शाम होने के बाद कोई भी यहां नहीं रुकता,आसपास के गांवों के लोगों में भी इसको लेकर दहशत है। वह लोग भी शाम को यहां रुकने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं।

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