112 साल की लम्बी उम्र वाले राजस्थानी ताऊ की जबरदस्त जिंदगी के राज,बिच्छू के जहर का कोई असर नहीं

“शुद्ध सरल भोजन सदा, खाया प्रेम के साथ। मन में दुर्जन विचार नहीं, तब लंबा तन का साथ।” दोस्तों आज हम आपको एक ऐसे राजस्थानी ताऊ की कहानी सुनाने जा रहे है जिनकी उम्र 112 वर्ष की हो चुकी है और अपने सारे काम स्वयं ही करते हैं। जो आज भी बहुत स्वस्थ है और एक 2 किलोमीटर आज भी घूमते हैं और छोटे-मोटे कार्य भी करते हैं।

पश्चिमी राजस्थान के समय वाला गांव में झलको की टीम पहुंची तो एक राजस्थानी ताऊ जी ने स्वागत करते हुए अपनी उम्र 112 वर्ष बताइ और अपने जमाने के किस्से सुनाते हुए कहते हैं कि पाकिस्तान के उस छोर में हमारा रहन सहन था।

हम भेड़े चराते थेऔर ऊंटों के टोले भी हमारे पास बहुत अधिक मात्रा में होते थे। सौ से ज्यादा भेड़े होती थी और इतने ही ऊंट और ऊंटनी भी होते थे। आजादी के समय मैं लगभग चालीस वर्ष का एक गबरु जवान था। उसके बाद में यहां पर भारत में रहते हैं। अपने पीछे की बातें बताते हुए बूढ़े बाबा जी कहते हैं। अपनी सई भाषा में बोलते हैं बाबा जी कहते हैं कि मैं 30 वर्ष तक गांव का निर्विरोध वार्ड पंच रहा हूं।

गांव में कोई पार्टी बाजी नहीं थी। कोई शैतानियां नहीं थी। आज घर-घर में शैतानी हो गई है। उस समय हम सब प्यार से रहते थे। प्यार ही हमारा सबसे बड़ा हथियार था।
बंटवारे के समय में वहां पर हमारी जो जमीन जायदाद थी वह सारी वहीं पर रह गई। बाबा जी ने कहा कि आज हमारा वहां पर कोई रिश्तेदार नहीं है।

घर पर उनके दो छप्पर और झुम्पे जो ऊपर से खिंपों से छाए हुए थे। खिंप राजस्थान का एक ऐसा पौधा है। जो छप्पर के ऊपर लगाने से मकान के अंदर पानी नहीं जाता है। और ऊपर से फिसल कर नीचे गिर जाता है। सादा और बिल्कुल सरल रहन सहन देखकर जब मैं घर के अंदर गुसा तो बाबा जी से बात करते हुए उनके विचार जाने और उनके जवानी के किस्से सुने।

भारत-पाकिस्तान सबमें घूम लिया : 

पाकिस्तान के अनेक शहरों के नाम बताते हुए बूढ़े बाबा जी कहते हैं कि मैं भारत और पाकिस्तान के चप्पे-चप्पे में घुमा हूं। हमारा मुख्य धंधा ऊंट और भेड़े चराना था। हमारे पास 400-500 भेड़े थी। उंटनियों का दूध पीने के बारे में बताते हुए वो कहते हैं कि बहुत पिया है और स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभ प्रद है। ऊंटनी का दूध पीने से ही मेरी इतनी लंबी उम्र हुई है। बंटवारे के समय में मारकाट के बारे में कुछ भी नहीं बताते हुए कहते हैं कि यह राज को पता है।

हज के बारे में पूछने पर बताया कि मैं जब लगभग 50 वर्ष का था उस समय हज करके आया था और उस समय खर्चा ₹1000 लगा था। हम पानी के जहाज में मक्का मदीना गए थे। समुद्री जहाज में डर लगा क्या, इस पर बूढ़े बाबा कहते हैं कि मरना एक बार है मुझे कभी डर नहीं लगता।

लंबी उम्र का क्या राज है :

पाकिस्तान में सभी लोग मक्खी खाते हैं। मक्खी के बारे में पूछने पर बताया कि मेरा मतलब मधुमक्खी का शहद है। जिसको दूध के साथ में पीने से आदमी की उम्र लंबी होती है और मजबूत होता है। बूढ़े बाबा बताते हैं कि मुझे ततैया बिच्छू जब खाते हैं तो वो मर जाते हैं मेरे कोई फर्क नहीं पड़ता है। देवी सिंह भाटी के पिताजी के बारे में बहुत कुछ बताते हुए बूढ़े बाबा करते हैं कि हम एक साथ यहां पर रहते थे । लंबे लंबे खेतों की रखवाली करते थे। एक बार किसी से मुठभेड़ हो गई थी की भी पूरी दास्तान बूढ़े बाबा ने सुनाइ।

अपने विचार : 

निंदा का परहेज हो, सादा जीवन उच्च विचार। जीवन स्तर सुधर जाएगा, जीवन में आएगी बहार।

विद्याधर तेतरवाल, मोतीसर।

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