‘छप्पनियो अकाळ’ – राजस्थान रो स्सै भैंकर अकाळ री कहाणी

राजस्थान में अकाळ कठै कठे डेरौ देय सकै उण पर एक दूहौ है के – पग पूंगळ धड़ कोटड़ा, बाहां बाड़मेर । आवत -जावत जोधपुर, ठावो जैसलमेर ।। छप्पनियो अकाळ (Chhapaniya Akal) मतलब राजस्थान रो स्सै ऊं भैंकर अकाळ। वि. स. 1956 में पड़यै इण अकाळ नैं लोकभासा में ‘छप्पनियो अकाळ’ (Chhapaniya Akal) नाम दियौ गयौ। मेह अर राजस्थान रो घणकर पछम राजस्थान रो, छतीस रो आंकडो़ रयौ है। मेह अठै ईद रो चांद है।

मानसून री बेरूखी अर बेदर्दी रे बगता थकां बिनमेह रै इण अकाळ राजस्थान में जणजीवण नैं कोई नुकसाण क्षति पूंचायौ है, पूछो ना।

यूं अठै अकाळ रो प्रमुख कारण अपर्याप्त अर अनिसित मेह ई है।पछम राजस्थान रै थार मरुस्थल अर विसेसकल बीकानेर संभाग लगेटगे हर बार सूखे और अकाळ मार सै’ण रो भागी रयौ है। अचांगौ भौगोलिक और मौसम री काठी परिस्थितियाँ वाळै इण इलाके नैं कुदरत घणजोर गरमी सरदी, सूखौ अर बलुई मिट्टी रै उबड़-खाबड़ धरातल जेडी़ आपदावाँ री विकटतावां दी हैं।

कबीर रौ एक पद है, जिणमें वे आंधी और लू सूं बेहाल बागड़ प्रदेश री वीरानगी अर कुदरत री सौगतां नैं समेट एमपी रै मालवा सूं तुलना करता थका केवै है-

बागड़ देस लूचन का घर है, तहाँ जिनि जाइ दाझन का डर है॥
सब जग देखौं कोई न धीरा, परत धूरि सिरि कहत अबीरा॥
न तहाँ तरवर न तहाँ पाँणी, न तहाँ सतगुर साधू बाँणी॥
न तहाँ कोकिला न तहाँ सूवा, ऊँचे चढ़ि चढ़ि हंसा मूवा॥
देश मालवा गहर गंभीर डग डग रोटी पग पग नीर॥
कहैं कबीर घरहीं मन मानाँ, गूँगै का गुड़ गूँगै जानाँ॥

Chhapaniya Akal

राजस्थान री भूमि रो आधै ऊं ज्यादा भूभाग मूल रूप सूं मानसून पर निरभर है।और मेह और आंधी रै मिसरण नैं झेलता थका आ मरुधर रै रेवासियाँ खातर राजस्थान रा पंत चंद्रसिंह बिरकाळी लिखै के-

“आस लगायां मरुधरा, देख रही दिन- रात
भागी आ तूं बादली, आई रुत बरसात।’

ओ छप्पनियो अकाळ (Chhapaniya Akal) फकत अन्न रो अकाळ नीं होतो, चारे अर पाणी रे सरूप में ई छप्पनियो अकाळ (Chhapaniya Akal) ई हो।पण अठै रा पुरखा रै बारै में कदैई सोचां तो लागै वै कितरा जब्बरा खिलाड़ हा जीवण रा? साच्याणी।बे स्यात इण बात माथै यकीन करता हुला के सुख दुख जीवण रा सिरमौड़ है।इतरा संघर्ष कर्या पण कदैई हिम्मत को हारी, स्सै ऊं बडी बात है ई ओ।अकाळ री भैंकरता इण बात सूं लगाई जा सकै के मांवा नैं कमाण गयोडा़ आपरा बेटा नीं लाध्या।लोक में इणी समझ रो एक दूहो परचलण में है-

“आठ काळ अठाईस जमाना तिरेसठ कुरु का काटा।
एक काळ तो इस्यो पड़ै के माँ स्यूं पाछा मिलै न बेटा।”

सन 1908 में इम्पीरियल गज़ेटियर में छप्यै एक अनुमान रै मुताबक इण अकाल में एकले ब्रिटिश भारत या केवां के सीधे अंग्रेज़ी हुक़ूमत ऊं सासित प्रदेशां में 10 लाख लोग भुखमरी अर उण सूं जुड्येडी़ बीमारियों ऊं मौत रे मूंडै में समाइज गिया।कीं इतिहासवेत्ता मानै है के ए आंकड़ा 40- 45 लाख तक पूंच गया।हा।ईं भैंकर छप्पनियो अकाळ (Chhapaniya Akal) नैं देख साहितकारां सूं नीं रैइज्यौ लिखण टाळ।प्रगतिशील धारा रा अनूठा कवि उमरदान लाळस लिखै के-

“मारवाड़ रो माल मुफत में खावै मोडा।
सेवग जोसी सैंग, गरीबां दे नित गोडा।
दाता दे वित दान, मौज माणै मुस्टंडा।
लाखां ले धन लूट, पूतळी पूजक पंडा।
जटा कनफटा जोगटा, खाखी परधन खावणा”
मुरधर में क्रोड़ां मिनख (ज्यांमें) करसा एक कमावणा।।”

एक छोटो सो किस्सौ घणीबार घरगा बूढ़ीया सुणावै के छपनियै में एक किरसै असहणीयं भूख ऊं तिरस्त होय’र खेजड़ी री सांगरी रै बदले में अपनी धण माने के लुगाई नै किणी नै सूंप दी जेठ मी’नै में मानसून आयौ। बादल गरजण लाग्या तो उण आपरौ सिर पकड्यौ अर उणनै आपरै कियोडे़ माथै पछतावौ हुयौ अर उण कीं आखर केया-

“आधो रैग्यो ऊंखळी, आधो रैग्यो छाज
सांगर सट्टै धण गयी, अब मधरो-मधरो गाज।”

राजस्थान री मायड़ भौम रा वीर सम्राट पृथ्वीराज चौहान री वीरगाथा

Add Comment

   
    >
राजस्थान की बेटी डॉ दिव्यानी कटारा किसी लेडी सिंघम से कम नहीं राजस्थान की शकीरा “गोरी नागोरी” की अदाएं कर देगी आपको घायल दिल्ली की इस मॉडल ने अपने हुस्न से मचाया तहलका, हमेशा रहती चर्चा में यूक्रेन की हॉट खूबसूरत महिला ने जं’ग के लिए उठाया ह’थियार महाशिवरात्रि स्पेशल : जानें भोलेनाथ को प्रसन्न करने की विधि