ट्रक ड्राइवर के बेटे ने गाँव से ISRO तक तय किया शानदार सफर, बलकेश चाहर की प्रेरणादायक कहानी

राजस्थान के चुरू (Churu) जिले राजगढ़ (Rajgarh) के नरवासी गांव (Narwasi Village) के निवासी बलकेश चाहर (Balkesh Scientist) ने इसरो के साइंटिस्ट (वैज्ञानिक) की परीक्षा को पास कर लिया हैं। बलकेश ने इस परीक्षा में 44th रैंक (Balkesh 44th Rank) हासिल की हैं। ट्रक के इंजन को ठीक करने वाले बलकेश अब इसरो में कार्यभार संभालेंगे।

ट्रक ड्राइवर का बेटा इसरो में

बलकेश की बात करें तो उनके पिता बीरबल सिंह ट्रक ड्राइवर (Truck Driver) है। बलकेश कहते हैं कि उनके पिता जब ट्रक के इंजन में छोटी मोटी खराबी हो जाया करती थी। तब उसे ठीक करते थे और बलकेश अपने पिता को इंजन को ठीक करते हुए देखते थे। बलकेश ने वहीं से इंजन को देखा समझा और साथ ही साथ यह देखा कि एक इंजन के दम पर पूरा ट्रक चलता है

पिता ने दी प्रेरणा

बलकेश बताते हैं कि एक बार उनके स्कूल में विज्ञान से संबंधित कोई प्रतियोगिता (Science Competition)  हुई थी। बलकेश ने अपने पिता बीरबल सिंह के कहने पर साइंस प्रतियोगिता में भाग लिया था। उस प्रतियोगिता का नाम इनोवेटिव साइंस कंपटीशन (Innovative Science Competition) था और बलकेश ने अपने पिता के कहने पर उसने भाग लिया था। तभी से ही बलकेश ने मन में ठान लिया कि मैं बड़े होकर वैज्ञानिक साइंटिस्ट बनुगा और 5 साल की तैयारी के बाद अब उनका साइंटिस्ट बनने का सपना पूरा हो गया है। अब ट्रक ड्राइवर का बेटा इसरो (ISRO) में काम करेगा।

मां करती है खेती

बलकेश की मानें तो उनके पिता ट्रक ड्राइवर थे और जब वे ट्रक चलाने के लिए घर से निकलते तो काफी दिन में घर आया करते थे। इसके बाद उनकी मां ही उनकी 30 बीघा जमीन संभालती थी। उनकी मां ही उस पर खेती (Farming) करती थी। बलकेश कहते हैं कि उन्हें यह कामयाबी उनके माता-पिता के आशीर्वाद और सहयोग से मिली है। वह अपनी कामयाबी को माता पिता को समर्पित करते हैं और उन्हें खुशी है कि उन्होंने अपने सपने को पूरा कर लिया है।

BALKESH

तीसरी बार में मिली सफलता

बलकेश चाहर ने बताया कि उन्हें यह सफलता तीसरी बार में मिली है। पहली बार में वह असफल हो गए और उसके बाद उन्होंने कई साल तक मेहनत की लेकिन दुर्भाग्यवश दूसरी बार भी बलकेश को असफलता ही हाथ लगी थी। इसके बाद उन्होंने दोनों असफलताओं से सीखा और आगे की मेहनत करना शुरू कर दिया। बलकेश कहते हैं कि उन्होंने अपनी असफलताओं में कमियां ढूंढ और उन पर मेहनत करना शुरू कर दिया था। अपनी कमियों को दूर करके तीसरी बार (3rd Attempt) वैज्ञानिक की परीक्षा दी और सफलता हासिल की है। बलकेश ने बताया कि उन्होंने 5 साल तक मेहनत की है और एक कमरे में बंद होकर उन्होंने पढ़ाई की थी। उन्हें खुशी है कि उन्होंने आज अपने बचपन के सपने को पूरा कर लिया है।

ठुकराई लाखो की नौकरी

बलकेश चाहर ने बताया कि जब उन्होंने बीटेक (B tech) की परीक्षा पास की तब बीटेक करने के बाद उनके पास दो संगठन थे जहां वह परीक्षा दे सकते थे। एक इसरो (ISRO) और दूसरा बार्क (BARC), बलकेश ने बताया कि इन दोनों संस्थानों में परीक्षा देने के बाद ही जॉइनिंग होती है और इसी के लिए उन्होंने मेहनत की थी। उन्हें आज सफलता मिली है। साथ ही बलकेश ने बताया कि बीटेक करने के बाद उनके पास लाखों रुपए के पैकेज (Left Job) की नौकरी का ऑफर था। लेकिन उन्होंने उसे ठुकरा कर अपने सपने की और उड़ान भरी।

ट्रेनिंग के बाद जॉइनिंग

आपको जानकारी के लिए बता दें हैं तो इसरो द्वारा 134 पदों (134 Post) के लिए परीक्षा ली गई थी। जिसमें 60000 से ज्यादा लोगों ने परीक्षा दी और उसमें से बलकेश ने 44 रैंक हासिल की है नवंबर में वह अपने काम को संभालेंगे। बलकेश नवंबर में इसरो को ज्वाइन करेंगे और पहली ट्रेनिंग (Training) पर जाकर काम को समझेंगे। उसके बाद ही इसरो के किसी प्रोजेक्ट में इसरो (ISRO Project) के साथ काम करेंगे। जानकारी के लिए आपको बता दें तो बलकेश ने यह पहली परीक्षा नहीं थी जिसे पास किया है। वैज्ञानिक की परीक्षा के अलावा वह गेट (GATE), एफकैट (AFCAT), सीआईएल (CIL),एसएससी (SSC), आरआरबी (RRB) के एग्जाम भी क्लियर कर चुके हैं।

यह काम करेगे इसरो में

बलकेश चाहर इसरो में जाकर अब आगे कई काम करेंगे। बलकेश कहते हैं कि इसरो दुनिया की 5वी सबसे बड़ी स्पेस ऑर्गेनाइजेशन (World 5th Largest Space Organization)  है। वे कहते हैं कि इसरो में उनके कई काम होंगे। बलकेश बताते हैं कि स्पेस में जाने वाले यान को तैयार करने से लेकर यान के किस पार्ट में कितना फ्यूल डालना है, साथ ही साथ यान में कम से कम भार (Light Wait Of Rocket) करके उसकी गति को तेज (High Speed of Rocket) करने से लेकर कौन सा हिस्सा कहां लगेगा इन सभी कार्य को साइंटिस्ट करते हैं। बलकेश भी ट्रेनिंग के बाद इसरो इन्हीं कार्य को संभालेंगे।

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