गाँव के ऐसे चमत्कारिक भक्त जिनकी कहानी सुन के आप रह जाओगे हैरान, 150 साल पुरानी समाधी का रहस्य

सारा काम विश्वास का,
सब कुछ इस पर टिका हुआ।
उसका काम सफल होता है,
जो विश्वास पर डटा हुआ।

दोस्तों नमस्कार।

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे भक्त की कहानी सुना रहा हूं। जिसने अपने जीवन काल में हजारों सर्प से कटे हुए लोगों का इलाज कर नाम कमाया है। और बहुत ही विश्वास पूर्वक गोगा जी की सेवा में अपने आप को समर्पित कर रखा है। यह बात है चुरू जिले के लालासर गांव की। वहां पर बनी हुई एक समाधि के बारे में मालूम करने पर वहां बैठे हुए बुजुर्ग बाबा जी ने बताया कि यह समाधि सौ से 150 साल पुरानी है। पहले यह गांव में थी वहां पर पैंतीस साल तक रही। लेकिन बाद में वहां जगह कम पड़ने के कारण यहां पर हमारे यह खेड़ा है, यहाँ पर आ गए।

बहुत पुरानी बात है कि एक बार एक भक्त को पिवणा सांप ने काट खाया। बहुत जगह पर इलाज करवाया लेकिन इलाज नहीं हुआ। फिर किसी ने बताया कि इंद्र भक्त के पास जाओ। इंदौ भगत ने अपना छोटा सा टोटका उसको बताया और वह ठीक हो गया।

उसके बाद में आज तक यहां पर हजारों नर नारी सर्प से कटे हुए आते हैं। और ठीक होकर जाते हैं। अब साल में एक बार यहां मेला भी लगता है। पीवणा सांप के बारे में पूछने पर वह कहते हैं कि छाती पर बैठकर के सांस खींच लेता है, और काटता भी है। सांप भी कई प्रकार के होते हैं लेकिन यहां पर सभी के कटे हुए का इलाज होता है। मंदिर की जाटी के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि गोगा जी महाराज ने पहले ही कहा था कि गांव के पूर्व साइड में जो खेजड़ी खड़ी है, उसके नीचे मंदिर बना लो। तुम्हारा काम सिद्ध होगा।

यहां पर किस उम्र के व्यक्ति आते हैं। का जवाब देते हुए बाबा जी ने बताया कि यहां सब उम्र के लोग आते हैं। सब उम्र के लोगों का ही इस मंदिर पर विश्वास है। जो यहां आते हैं वह सब के सब ठीक हो कर जाते हैं। और कोई हॉस्पिटल जाता है तो वह भी हमारी तरफ से कोई मनाही नहीं है।

यहां पर चुने की खाने हैं। उन्होंने बताया कि यहां पर हजारों व्यक्ति मजदूरी कर अपने घर परिवार का पेट पालते है। यहां से दुधवा, सत्तू, राजपुरा सभी जगह पर यहां की खानों से ही चुना जाता है। यहां की खाने चारों तरफ प्रसिद्ध है। यहां आसपास में आज भी चुने का व्यवसाय हजारों लोगों की मजबूरी का जरिया बना हुआ है।

वहां पास में ही दूधवाखारा में बाबा जी की समाधि के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि यहां पर सब जगह खारा पानी है, लेकिन समाधि के पास में मीठा पानी है। यहां पर खारे पानी की वजह से यह एरिया बहुत पिछड़ा हुआ है। कुछ जगह पर ऐसी सिद्धि प्राप्त जगहों पर मीठा पानी मिलता है, जिससे लोग अपना जीवन यापन करते हैं। यहां आस-पास में जब भी किसी को सर्प काटता था, तो बाबा जी को पहले ही मालूम पड़ जाता था कि गांव में पान लगेगा। पान लगने का मतलब सर्प का काटना है। लालासर की समाधि का चारों तरफ नाम है।

अपने विचार।
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कालो स्यालो और अंधेरों,
जांकी उल्टी रीत।
थर थर कांपे कालजो,
जद देखा बिकी लीक।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

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