चमत्कारिक प्रसिद्ध गोगाजी महाराज की मेड़ी जहाँ गुरु महाराज देते ऐसे पर्चे देख के रह जाओगे हैरान

धर्म स्थान विश्वास का, कर देखो विश्वास।
जिसकी जैसी आस्था, वैसी उसकी आस।

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे देवस्थान में लिए चलता हूं। जिसके चमत्कारों के आगे विज्ञान भी नतमस्तक है। जहां डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए, ऐसे सांप के काटे हुए भी यहां आकर ठीक हुये है। मनोज से बात करते हुए कांगड़ गांव की मेड़ी (Kangad Gaon Ki Medi), जो चूरू (Churu) जिले के रतनगढ़ तहसील (Ratangarh Tehsil) में पड़ती है, के पुजारी ने बताया कि यहां पर बहुत से ऐसे चमत्कार हुए हैं, जिससे लोगों का विश्वास बहुत गहरा हो गया है।

यहां पर पीलीबंगा (Pilibanga), हनुमानगढ़ (Hanumangarh), गंगानगर (Ganganagar), पंजाब (Punjab), हरियाणा (Haryana) तथा दूर-दूर से भक्त आते हैं, और किसी भी प्रकार के सर्प काटे का इलाज करवा कर लाभ उठाते हैं।साइंस का जमाना है, तो क्या फिर भी लोग यहां आते हैं के जवाब में ग्रामीण कहते हैं कि इसके बाद में भी अपनी आस्था के अनुसार लोग यहां आते हैं और लाभ उठाते हैं। ग्रामीण कहते हैं कि या तो कोई चमत्कार है, या लोगों की आस्था है, कुछ भी हो यहां पर लोगों को फायदा होता है।

शुरुआत कैसे हुई।
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यहां पर शुरुआत में लिखमाराम जी जो मेघवंशी समाज से ताल्लुक रखते हैं, नाम के एक बहुत बड़े संत हुए थे। लिखमाराम जी के पिताजी का नाम पूराराम जी था। जो गोगा जी महाराज (Gogaji Maharaj) की सेवा में दिन रात लगे रहते थे। विक्रम संवत 1986 की भाद्रपद शुक्ल पक्ष की दशमी को संत लिखमाराम जी ने समाधि ली थी।

एक भक्त ने बताया कि विक्रम संवत 2007 में संत महाराज ने मेरे दादाजी को जीवनदान दिया था। उसके बाद में मेरे दादाजी ने भी तन मन धन से सेवा की और हमभी आज तक करते आ रहे हैं। विक्रम संवत 1992 में गांव में पिवना सांप ने डस लिया उस समय पूरे गांव वालों ने इकट्ठा होकर दादा संत महाराज श्री लिखमाराम जी से अरदास की और उसके बाद में आज तक कोई भी सर्पदंश हमारे गांव में नहीं होता है,और होता है तो हाथ की हाथ ठीक भी हो जाता है।

उसके बाद में गांव वालों ने यहां पर मेड़ी का निर्माण करवाया और पूरे गांव का सहयोग तन मन धन से होता है और सब की मान्यता भी है।

मेला कब लगता है।
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भाद्रपद सुदी दशमी को यहां पर गोगा जी महाराज का मेला लगता है। रतनगढ़ (Ratangarh) तहसील के लगभग सभी गांवों से यहां पर दर्शनार्थी मेले में आते हैं। यहां पर जुखाम, बुखार, पेट दर्द, सर दर्द व सर्पदंश,सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। इस मेले में दस पंद्रह हजार दर्शनार्थी सम्मिलित होते हैं। जिनमें चूरु, हनुमानगढ़ गंगा नगर, बीकानेर (Bikaner) से भक्त गण आते हैं। मेला बहुत शांति पूर्वक तथा सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न होता है।

एक भक्त ने बताया कि हमारे गांव में 650 घर है। हमारे गांव के प्रत्येक व्यक्ति को गोगा जी महाराज में पूर्ण विश्वास है। तथा सभी को कुछ न कुछ लाभ अब तक मिला है। उन्होंने बताया कि हमारे गांव के प्रत्येक घर में लिखमा राम दादाजी का अलग से मंदिर मिल जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति की उनमें आस्था है।

अन्य।
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यहां पर बहुत समय पहले गिरधारी जी भगत अपनी सेवा देते थे। तो लोगों ने उनका मजाक उड़ाया और कहा कि यदि यहां पर जाल वृक्ष उग जाए, तो हम तेरे को मान जाए। तो वहां पर आज भी जाल का पेड़ है, और यह जाल की मेड़ी के नाम से प्रसिद्ध है।

अपने विचार।
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काम करो कोई ऐसा,
लगे ना किसी की हाय।
विश्वास औषध ऐसी है,
बानी काम कर जाय।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

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