27 साल की उम्र में जज बनकर लहराया परचम, गोल्ड मेडलिस्ट यास्मीन खान के संघर्ष की कहानी

पुरूष प्रधान समाज की जड़ों में जब कोई महिला अपने बूते कामयाबी का बीजारोपण करती है तो उसकी कहानी हजारों सालों तक लाखों महिलाओं के लिए मिसाल के तौर पर पढ़ी जाती है, ऐसी ही एक कहानी है चुरू जिले के सुजानगढ़ कस्बे की रहने वाली यास्मीन खान की जिन्होंने महज 27 साल की उम्र में जज बनकर राजस्थान की सबसे युवा जज बनने का रिकॉर्ड अपने नाम किया।

एक मध्यम वर्गीय परिवार में पली-बढ़ी यास्मीन बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थी और जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना देखती थी। यास्मीन ने 2015 में राजस्थान न्यायिक सेवा भर्ती परीक्षा में 58वीं रैंक हासिल कर 27 साल की उम्र में कोर्ट जज बनी।

गोल्ड मेडलिस्ट हैं यास्मीन

यास्मीन ने बीकानेर के केंद्रीय विद्यालय स्कूल से पढ़ाई शुरू की जिसके बाद साल 2013 में यास्मीन एलएलबी की डिग्री हासिल की जिसमें वह गोल्ड मेडलिस्ट भी रह चुकी हैं। यास्मीन के पिता सुलेमान खान बीकानेर के केवी स्कूल में लेक्चरार हैं।

जज के अलावा भी हासिल किए कई मुकाम

पढ़ाई के अलावा यास्मीन शुरू से खेलों में भी रुचि रखती थी। इसके अलावा यास्मीन बैडमिंटन खेलना भी पसंद करती है। यास्मीन ने खेल से जुड़ी कई प्रतियोगिताओं में भी सफलताएं हासिल की।

यास्मीन ने साबित किया लड़कियां किसी से कम नहीं

यास्मीन ने अपनी सफलता के बाद कहा कि जो लोग लड़कियों को पिछड़ा मानते हैं मेरी सफलता उनको करारा जवाब है। उन्होंने कहा कि लड़कियां कोई भी मुकाम हासिल कर सकती है और लड़कों के बराबर कदम से कदम मिलाकर चल सकती हैं।

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