Success Story: पति ने घर से भगाया तो हुनर से हाथ आजमाया, आज तीर कमान से कमा रहीं लाखों

Success Story Dungarpur Geeta: काम करने की ललक कभी भी आपको दूसरों पर निर्भर नहीं रहने देगी। इसकी साक्षात मिसाल है डूंगरपुर (Dungarpur) जिले के बोड़ीगामा गांव की रहने वाली 55 वर्षीय गीता। गीता ने अपने पुश्तैनी हुनर की राह पर चलकर एक नई पहचान बनाई है। गीता पढ़ी-लिखी नहीं है, लेकिन उनकी मेहनत, जज्बे और हुनर ने उन्हें एक ऐसा इंसान बना दिया है कि वह आज सुर्खियां बटौर रही हैं।

Success Story Dungarpur Geeta

गीता पिता से सीखे तीर कमान बनाने के हुनर के जरिए राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा गुजरात में मेले में तीर कमान बेचकर अपना (Success Story Dungarpur Geeta) जीवन यापन कर रही हैं। वह जिले के साबला ब्लॉक के बोड़ीगामा की निवासी हैं। गीता सरकडा के पति ने उन्हें एक साल की बेटी भावना के साथ घर से निकाल दिया था। जिसके बाद वह वापस नहीं लौटी और जीवन चलाने के लिए घर-घर जाकर सब्जी बेचकर अपना जीवन निर्वहन किया। लेकिन उससे गुजारा करना मुश्किल था। ऐसे में गीता के पिता लालजी ने उन्हें तीर कमान बनाकर बेचने की सलाह दी।

इसके बाद गीता ने पिता लालजी से तीर कमान बनाना सीखा। जिसके बाद वह इस छोटे से व्यवसाय के जरिए अपना घर चलाने लगी। शुरुआत में बिजनेस मंदा रहा, लेकिन बाद में आमदनी खासी होने लगी। बाद में गीता ने आसपास के जिलों में लगने वाले मेलों में तीर कमान बेचना शुरू किया। मौजूदा वक्त में उनकी सालाना आय 2 से 3 लाख रुपए है।

गीता 200 रुपए से लेकर 2500 रुपए तक के तीर-कमान बेचती है। वह आसपास के क्षेत्रों से बांस की लकड़ी तथा मोर के पंख एकत्रित करती है और तीर कमान बनाती है। गीता बताती हैं कि आदिवासी इलाकों में तीरंदाजी एक प्रमुख खेल है। इसलिए उन क्षेत्रों में डिमांड ज्यादा होती है। गीता इस व्यवसाय को कर अपनी बेटी भावना की पढ़ाई और शादी दोनों करवा दी है, इसके साथ ही उन्होंने अपना एक घर भी बनाया है।

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