यूपी से आए हुए किसानों ने गोभी की खेती से कमाए लाखों रूपए, हनुमानगढ़ में करते मुनाफा ही मुनाफा

धीरज धन और ज्ञान हो, तो जंगल में मंगल होता है।
रेतीले धोरों में भी, कश्मीरी चंदन होता है।

दोस्तों आज मैं आपको कृषि से संबंधित जानकारी की विशेष कवरेज के बारे में बताने जा रहा हूं।

खेती और परिचय।
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यूपी से आए हुए किसानों ने हनुमानगढ़ (Hanumangarh) के रामसरा रोड (Ramsara Road) पर प्रशांत से बात करते हुए अपने द्वारा की गई कृषि के बारे में विस्तार से बात की तथा गोभी की विभिन्न किस्मों के बारेमें बताया। किसान ने बताया कि हम अप्रैल में पौध तैयार करते हैं, तथा जून में प्रथम खेती के लिए पौधों की बुवाई कर देते हैं। जो लगभग चार महीने के अंदर कंप्लीट हो जाती है।

दूसरी लक्की गोभी जो होली के ऊपर तैयार हो जाएगी। तीसरी किस्म दिसंबर में लग जाती है।इस प्रकार एक वर्ष में तीन फसल पक कर तैयार हो जाती है। फूल गोभी, पत्ता गोभी और बंद गोभी।

खर्चा और मुनाफा।
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किसान ने अपनी बात को विस्तार पूर्वक आगे बढ़ाते हुए कहा कि हम आज से 50 वर्ष पहले यूपी से आकर यहां पर खेती कर रहे हैं। आज हमारे पास यहां पर ट्रैक्टर, घर बार, प्लॉट सब सुविधा है। हमको इस खेती का पूरा ज्ञान है, काली मिट्टी और मीठा पानी चाहिए लेकिन इसके अलावा भी बहुत तजुर्बे की और मेहनत की जरूरत है। बहुत से लोग आकर हमसे इस खेती के बारे में पूछते हैं कि हम भी यह खेती करना चाहते हैं।

25 बीघा खेत में इस खेती को करने के लिए दस व्यक्तियों की जरूरत है। जो हरदम लगे रहते हैं। एक वर्ष में इतनी खेती के लिए लगभग चार लाख रु की जरूरत होती है, इसके अलावा मौसम अनुकूल होगा तो फसल सही रूप से पक कर तैयार होगी।

इस समय गोभी का भाव ₹18 से ₹25 प्रति किलो के बीच चल रहा है, जो बहुत ही अच्छा है। यदि मंदी का दौर आ जाए तो कोई भी खेती करने के लिए तैयार नहीं होगा। नॉर्मल बरसात होगी तो यह खेती अच्छी होगी। यदि मूसलाधार बरसात होगी तो फसल बिगड़ जाएगी। हमारे पास देसी फसल का उत्पादन नहीं है ,जो भी है वह हाइब्रिड है। इसलिए बीमारियां बहुत कम लगती है। थोड़ी बहुत होती है, तो कीटनाशक का छिड़काव कर देते हैं। बाकी सबसे ज्यादा प्रभाव मौसम का ही पड़ता है।

अन्य।
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किसान ने बताया कि जिस प्रकार जन्म के बाद में बच्चे की देख रेख व परवरिश की जाती है, उसी प्रकार क्यारियों में जब हम बीज डालते हैं, तो उसकी देखरेख की जाती है। यदि मौसम अनुकूल नहीं हुआ तो पचास हजार का बीज पूरा का पूरा खत्म हो जाता है।

खेती एक राजा साही काम है। यदि हम छुट्टी कर ले, तो 10 दिन कर लो, नहीं तो इसमें कभी समय नहीं मिलता है। बिक्री की बात पर उन्होंने बताया की सुबह 3:00 और 4:00 बजे के बीच मंडी पहुंच जाते हैं।

अपने विचार।
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प्रथम खेती,
मध्यम व्यापार।
शेष बचे वो,
ढोते हैं भार।

विद्याधर तेतरवाल ,
मोतीसर।

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