प्रसिद्ध मूर्तिकार महावीर भारती जिन्होंने गांव से निकल हौसलों से अपने दम पर लिखी खुद की कहानी

महावीर भारती नोहर राजस्थान।
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कलाकार की कल्पना,
सपना करे साकार।
खुद पर जब आ पड़ी,
तो बड़ा हुआ आकार।

दोस्तों नमस्कार।

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसी शख्सियत से रूबरू करवा रहा हूं जिन्होंने छोटे से गांव से निकलकर और अपने बचपन के लिकलिकोलियों से पूरी दुनिया में हस्ताक्षर कर दिए।

पारिवारिक पृष्ठभूमि और शिक्षा।
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झलको राजस्थान (Jhalko Rajastha) के दीप से बातचीत करते हुए महावीर भारती (Mahaveer Bharti) जी ने बताया कि मैं एक साधारण अध्यापक का पुत्र हूं। मेरे बड़े भाई साहब बाबूलाल जी भारती पॉलीटिशियन है। मैं एक बड़े परिवार से ताल्लुक रखता हूं। सात भाई बहनों के साथ नोहर (Nohar) हनुमानगढ़ (Hanumangarh) का रहने वाला हूं तथा अपने बड़े भाई साहब बाबूलाल जी की चित्रकारी से बहुत ज्यादा प्रभावित था।

मूर्ति बनाने की शिक्षा।
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ईश्वर की देन के अनुसार एक बच्चा जब बड़ा होता है, तो प्रारंभ में वह है लिखना बाद में सीखता है, वह पहले आड़ी तिरछी लकीरें खींच कर चित्रकारी करता है। मैं भी उनमें से एक हूं। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक शिक्षा मेरी नोहर में ही हुई थी। मुझे भी चित्रकारी का शौक लगने लग गया। और मैं बहुत अच्छी चित्रकारी के लिए तहे दिल से मेहनत करने लग गया।

नोहर में किसी भामाशाह के द्वारा लगाई गई मेटल की मूर्ति जो मेरे स्कूल के रास्ते में लगी हुई थी।उसको देखने के बाद में मुझे दिन रात चित्रकला और मूर्तिकला की तरफ ध्यान आकर्षित करने को मजबूर कर दिया। बारहवीं क्लास नोहर से करने के बाद में मैंने गुरु जी से पूछा कि चित्रकला में उच्च शिक्षा के लिए मुझे क्या करना होगा। तो मुझे मेरे गुरु जी ने उच्च शिक्षा हेतु जयपुर जाने की सलाह दी। जयपुर जाकर मैंने चार साल का कोर्स किया। तब सोचा कि अब सरकारी टीचर लग जाऊंगा, लेकिन सरकार की भेदभाव पूर्ण नीति के कारण1992 के बाद में चित्रकला से कोई भी टीचर नहीं लगा।

घरवालों का चार साल का कमेंटमेंट पूरा होने के बाद में घर वालों ने पैसे देना बंद कर दिया। अब तुम जानो और तुम्हारा काम। तो मैंने उस समय प्रण किया कि जॉब लेना नहीं है जॉब देने वाला बनूंगा। मैंने चित्र कला और मूर्तिकला के क्षेत्र में कदम रख दिया। उस समय 2001 में मैंने एक मूर्ति बनाई। जिसके मुझे सवा लाख रुपए मिले। जो जिंदगी में पहली दफा देखे थे।

महावीर जी ने बताया कि मैंने हरियाणा में ताऊ देवीलाल जी की मूर्ति से शुरुआत करके हजारों अनगिनत मूर्तियां बनाई है। और इस वक्त महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) की काफी मूर्तियां बन रही है। और बना रहा हूं। इस समय सोशल मीडिया का पॉजिटिव प्रभाव देखने को मिल रहा है कि युवावर्ग अपनी पुरानी पीढ़ी के तरफ आकर्षित हुआ है। उसी का परिणाम है कि इस समय महाराणा प्रताप की बहुत मूर्तियां बनाई जा रही है।

उन्होंने बताया कि महाराणा प्रताप के हाथी राम प्रसाद की मूर्ति जो मैंने बनाई है यह दुबई जाएगी लगने के लिए। पद्मिनी की, गंगा सिंह की, चेतक की, महाराजा सूरजमल (Maharaja Surajmal) की भी मूर्तियां बनाई है।

प्रोत्साहन।
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प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री तथा बॉलीवुड के अनेक बड़े सितारों से सम्मानित होने का भी महावीर जी भारती को सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

अन्य।
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हाथी पर महाराणा प्रताप की मूर्ति को बनाने के लिए मैंने मेरी सहयोगी निर्मला कुलहरी से बातचीत की। इस मूर्ति को बनाने में चार महीने का समय लगा। अब यह मूर्ति दुबई में जाकर राजस्थानी संस्कृति की शोभा बढ़ाएगी।

अपने विचार।
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हाथ का हुनर तो अकेला ही काफी,
साथ में शिक्षा तो क्या कहना।
वह तो कही भी हो राज करेगा,
चाहे दुनिया में कहीं रहना।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

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