खुद पर विश्वास की कहानी है IAS मनीष गुरवाणी का सफर, दो बार क्रेक किया यूपीएससी एग्जाम

आपने सुना होगा कि अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है, वैसे तो यह एक बॉलीवुड फिल्म का डायलॉग है लेकिन असल जिंदगी में इसे चरितार्थ किया है राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के नोहर गांव के रहने वाले आईएएस अफसर मनीष गुरवाणी ने जिनका सफर हर मेहनत करने वाले के लिए प्रेरणास्त्रोत है।

मनीष गुरवाणी ने साल 2017 में यूपीएससी की परीक्षा पास कर 18वी रैंक हासिल की.

बचपन से ही करना चाहते थे कुछ बड़ा

मनीष गुरवाणी स्कूल के दिनों से ही आईएएस बनने का सपना देखा करते थे। स्कूली शिक्षा की बात करें तो उन्होंने गांव के स्कूल से हिंदी माध्यम में 10वीं तक की पढ़ाई पूरी की।

इसके बाद सीकर जिले से 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद मनीष ने पिलानी के बिट्स से डिग्री पूरी की।

आईएएस बनने तक देते रहे यूपीएससी परीक्षा

मनीष ने पहले प्रयास में 322वी रैंक के साथ यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली जिसके बाद उन्हें इंडियन रेवेन्यू सर्विस के लिए चुना गया था लेकिन भारत सरकार में नौकरी करते हुए मनीष ने हार नहीं मानी और वे एक बार फिर यूपीएससी की तैयारी करने में जुट गए।

आखिरकार साल 2017 में उन्होंने एक बार फिर यूपीएससी की परीक्षा दी और ऑल इंडिया में 18वी रैंक हासिल कर आईआरएस मनीष से आईएएस बने।

रोजाना करते थे 6 घंटे पढ़ाई

मनीष के पिता एक आयुर्वेद डॉक्टर हैं वहीं उनकी मां भी सरकारी शिक्षक रह चुकी है। मनीष यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिए रोजाना 6 घंटे तक पढ़ाई करते थे। वह खुद पर विश्वास ज्यादा रखते थे इसलिए उन्होंने दो बार यूपीएससी की परीक्षा को निकाल दिया।

अपनी मां को मानते हैं रोलमॉडल

मनीष अपने पिता पितांबर दास और मां गोपी चांदनी को यूपीएससी परीक्षा पास करने का श्रेय देते हैं। वहीं मनीष अपनी मां को अपने जीवन का रोल मॉडल मानते हैं। वह कहते हैं कि उनकी मां हमेशा उन्हें जीवन में आगे बढ़ने और कुछ बड़ा करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।

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