3 सरपंच वाले गांव को झोलाछाप डॉक्टर्स ने बर्बाद होने से बचाया,जनता की पीड़ा की दर्दभरी दास्ताँ

जिस तरीके से देश में आज एक महामारी से कई करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं। वही देश में स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव को पूरा देश देख चुका है। राजस्थान के चोमू में भोज लावा गांव का भी यही हाल है। राजस्थान के चोमू में भोज लावा गांव 5000 लोगों की आबादी वाला एक गांव है। इस गांव में 3 सरपंच और एक चेयरमैन है। गांव में मोरीजा पंचायत, अरैनपुरा पंचायत और जेतपुरा पंचायत के अलावा एक चोमू का चेयरमैन है।

लेकिन इसके अलावा भी गांव में विकसित स्वास्थ्य सेवाएं तो छोड़िए आम स्वास्थ्य सेवाएं भी नहीं है। गांव के भीतर एक सरकारी अस्पताल है उस अस्पताल को सरकार ने संभाला तो छोड़िए बनाया तक नहीं है। गांव के लोगों ने अपने पैसों से अस्पताल में कमरे बनवाए थे। ग्रामवासी कैलाश बताते हैं कि गांव में वैक्सीन भी नहीं मिल रही है। गांव में पिछले लॉकडाउन के दौरान कई लोग करोना से संक्रमित हो गए। लेकिन उनका इलाज भी नहीं हुआ। इसके अलावा जब देश में दवाई आई तो लोगों को दवाई भी नहीं मिल रही है। पहले कुछ लोगों को कोरोना की दवाई लगाई गई लेकिन इसके बाद डॉक्टर का कहना है कि दवाई आगे से नहीं आ रही है। कैलाश बताते हैं कि गांव में केवल 45 उम्र से ऊपर के लोगों को व्यक्ति को वेक्सीन लगी है। जिस में भी 60% लोग अभी भी बाकी है।

वोट लेने के समय आते है सरपंच

गांव के एक और निवासी बताते हैं कि कोरोनावायरस महामारी में ना तो सरपंच आया और ना चेयरमैन आया। वोट लेने के समय में सभी लोग हाथ जोड़कर गांव के आगे वोट की अपील करते हैं। लेकिन जब गाँव बुरे हालात में था तब एक भी व्यक्ति आगे नहीं आया। गांव कठिन समय में अपने आप ही लड़ता रहा लेकिन सरपंच और चेयरमैन ने गांव में आकर देखा भी नहीं कि गांव के लोग किस स्थिति से गुजर रहे हैं।

सड़को पर मर रही है गाय

गांव के एक निवासी बताते हैं कि 10वीं 12वीं की परीक्षा रद्द करने और परिस्थिति के अनुसार ठीक है। लेकिन गांव में भी लोगों की चिंता करना जरूरी है। लोगों का कहना है कि मोरीजा पंचायत के सरपंच ने गांव में गौशाला खोलने की बात कही थी। लेकिन अब तक ऐसी कोई सुनवाई नहीं हुई है। गांव की गाय सड़कों पर म’र गई है लेकिन सरपंच के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। गांव के लोगों ने कहा कि जब सभी लोग पंचायत के पास अपनी परेशानियां लेकर गए तो पंचायत की तरफ से कहा गया कि चिंता ना करें काम हो जाएगा। हम काम कर देंगे लेकिन अब तक कोई भी गांव की हालत देखने के लिए नहीं आया है।

प्रशासन और पंचायत की लापरवाही के चलते एक 70 साल के पिता ने अपने जवान बच्चे को खो दिया। उस व्यक्ति का बेटा कोरोनावायरस से संक्रमित हो गया था। जिसके बाद बच्चे को अस्पताल ले जाया गया डॉक्टर ने 45 हजार रुपये तक के इंजेक्शन लगाए लेकिन फिर भी उनके बेटे को बचाया नहीं जा सका। राज्य में कांग्रेस की गहलोत सरकार है जो दावे कर रही है कि स्वास्थ्य सुरक्षा में लगातार अच्छे काम हो रहे हैं। लेकिन जिस तरीके से भोजलावा गांव की स्थिति है उससे अन्य गांव की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। गहलोत सरकार कागजो में जरूर अपनी वाहवाही बटोर रही है। लेकिन असल सच्चाई और जमीनी स्तर पर झोलाछाप डॉक्टर की नासमझी और स्वास्थ्य सुरक्षा की कमियां लोगों को झेलनी पड़ रही है।

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