देश का सबसे युवा पेटेंट होल्डर जिसने 17 साल की उम्र में किए कारनामे, बीमारी से हार गया जिंदगी

अगर आप अपने हुनर के साथ दिमाग का संतुलन बैठा लें तो सारी दुनिया आपके सामने नतमस्तक होने को तैयार हो जाएगी. ऐसे ही एक युवा की कहानी हम आज आपको बताएंगे जिन्होंने 85% विकलांग शरीर के साथ वो कारनामा कर दिखाया जिसका हर कोई कायल हो गया।

हम बात कर रहे हैं देश के सबसे युवा पेटेंट धारक जयपुर के रहने वाले ह्रदयेश्वर सिंह की जिनका हाल में महज 17 साल की उम्र में बीमारी के चलते निधन हो गया है।

बता दें कि ह्रदयेश्वर सिंह Duchene Muscular Dystophy नामक एक घातक बीमारी से जूझ रहे थे।

17 साल की उम्र में 3 पेटेंट अपने नाम करवाए

ह्रदयेश्वर सिंह भारत के सबसे युवा पेटेंट धारक थे जिन्होंने शतरंज के खेल में एक साथ 6 खिलाड़ियों के खेलने के नायाब तरीके की खोज की। वह अब तक ऐसी 7 खोज कर चुके थे और उनके नाम 3 पेटेंट थे। बीते साल ह्रदयेश्वर को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।

प्रधानमंत्री ने बताया प्रतिभाशाली बच्चा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में ह्रदयेश्वर सिंह के निधन पर लिखा कि “यह बच्चा प्रतिभाशाली होने के साथ ही आविष्कारक भी है। मेरा युवा मित्र एक घातक बीमारी से पीड़ित था जो पूरी दुनिया और भारत के लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है”।

वहीं ह्रदयेश्वर के निधन के बाद राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ने ट्वीट किया कि, देश के युवा पेटेंट धारक ह्रदयेश्वर सिंह के निधन की खबर से दुखी हूं, भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।

पिता को है अपने बेटे पर गर्व

ह्रदयेश्वर के निधन के बाद उनके पिता सरोवर सिंह ने कहा कि उनके बेटे ने जिंदगी को सकारात्मक सोच के साथ हमेशा जीने की कोशिश की. उनके पिता ने कहा कि उनके आखिरी दिनों में शरीर का कोई भी हिस्सा काम नहीं कर रहा था, उन्हें अपने बेटे पर हमेशा से गर्व है।

बच्चो को देख कर की थी खोज

ह्रदयेश्वर सिंह के पिता सरोवर सिंह ने बताया कि उनकी सोसाइटी में 6 बच्चे शतरंज खेलने के शौकीन थे लेकिन शतरंज में एक बार में केवल दो खिलाड़ी ही खेल सकते हैं। ह्रदयेश्वर ने जब यह देखा तो उन्होंने इस पर काम करना शुरू किया और 6 खिलाड़ियों के खेलने के लिए शतरंज बनाया। ह्रदयेश्वर सिंह की इस छोटी और प्रेरणादायी जीवन यात्रा सुनकर लगता है कि देश ने वाकई एक प्रतिभाशाली व्यक्ति खो दिया।

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