मोजमाबाद का 500 साल पुराना दिगंबर जैन मंदिर जहां रात को आते हैं देव, बजने लगती है मंदिर की घंटियां

राजस्थान की राजधानी जयपुर से अजमेर रोड़ पर स्थित 60 किलोमीटर दूर बसा मोजमाबाद, जो राजा मानसिंह प्रथम की जन्मस्थली होने के साथ ही ऐतिहासिक विरासत को सहेजने और सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करता है। राजस्थानी संगीत और लोक नृत्यों की थाप यहां की हवा में आज भी गूंजती है।

आज हम आपको मोजमाबाद के एक ऐसे मंदिर की कहानी और इतिहास के बारे में बताएंगे जहां माना जाता है कि भगवान खुद विराजमान है। खुद भगवान लोगों की दुख पीड़ा को सुनते हैं और उनका हल निकालते हैं।

हम बात कर रहे हैं मोजमाबाद में स्थित दिगंबर समाज के जैन मंदिर के बारे में जिसको करीब 500 साल पुराना बताया जाता है। जयपुर के राजा मानसिंह प्रथम ने इसे बनवाया था।

3 विशेष भगवानों की होती पूजा

दिगंबर जैन मंदिर के पुजारी ने बताया कि यहां तीन विशेष भगवानों की पूजा की जाती है। यहां आदि जैन, आदित्यनाथ जैन और शंभूनाथ जैन की पूजा होती है। उन्होंने कहा कि यहां इन तीनों भगवानों के अलावा अन्य कोई मूर्ति स्थापित नहीं हो सकती। ऐसा अभी तक संभव नहीं हो पाया कि कोई अन्य मूर्ति को स्थापित कर सकें।

वहीं पुजारी ने बताया कि रात के समय यहां देव और भगवान आते हैं मंदिर की घंटियां खुद-ब-खुद बजने लगती है।

मूर्ति का आकार हैं बड़ा शानदार

पुजारी ने आगे बताया कि मंदिर में लगी प्रतिमाओं का आकार बेहद सुंदर है। प्रतिमा के नाखून बढे हुए हैं जैसे इंसानों के बढ़ते हैं। वहीं उंगली और हाथ साफ तरीके से दिखाई देते हैं। भगवानों की मूर्ति की नाक भी इंसानों की तरह बनी है।

आपको बता दें कि पैर की उंगली साफ तरीके से दिखाई देती है। वहीं भगवान मुस्कुराते हुए नजर आते हैं।

वहीं चौंकाने वाली बात यह है कि भगवान के अंगूठे नीचे की तरफ और उंगलियां ऊपर की तरफ उठी हुई है बताया जाता है कि भगवान मुद्रासन में है।

कुल 200 से ज्यादा प्रतिमाएं है विराजमान

पुजारी ने बताया कि जहां आदि नाथ जी, आदित्यनाथ और शंभूनाथ की मूर्ति है उसी जगह पर 36 अन्य प्रतिमाएं और भी है वहीं मंदिर में कुल 228 प्रतिमाएं हैं लेकिन केवल 3 विशेष भगवानों की पूजा वहां की जाती है।

वहीं एक बार दिल्ली के एक भगत ने शंभू नाथ, आदित्यनाथ और आदिनाथ की मूर्ति को शीशे से ढकवाया था लेकिन रातों-रात शीशा अपने आप टूट गया था और उसके निशान आज भी वहां मौजूद है।

मन्दिर की चित्रकारी है कमाल

पुजारी झलको राजस्थान से बात करते हुए बताया कि मंदिर संगमरमर के पत्थर से बना हुआ है। वहीं मंदिर के अंदर सुंदर चित्रकारी का काम किया गया है। वहीं एक बात जो चौंकाने वाली है कि मंदिर में खंभों की गिनती आज तक कोई सटीक तरीके से नहीं कर पाया है।

जितना जमीन के ऊपर उतना ही बना है नीचे

दिगंबर जैन मंदिर में एक ऐसा पत्थर भी है जो बताया जाता है कि जितना जमीन से ऊपर है उतना ही वह पत्थर जमीन के नीचे भी है। वहीं गांव की एक निवासी ने बताया कि मंदिर के अंदर कई गुफाएं हैं। जिनका आज भी पता नहीं लगाया जा सका है, मंदिर को गुफा वाला मंदिर भी कहा जाता है।

मन्दिर के साथ में है मस्जिद

दिगंबर जैन मंदिर के पास में एक मस्जिद भी है। आप बता दें कि मानसिंह राजा अकबर के राज दरबार में सेनापति थे। वहीं अकबर ने उन्हें यह एक तरह से ड्यूटी के तौर पर कहा था कि जब भी मानसिंह किसी जगह पर जाएं तो वहां अकबर और अपने नाम से दो चीजें बनवाए। इसलिए मानसिंह राजा ने दिगंबर जैन मंदिर अपने लिए तैयार किया और वही मंदिर के बगल में अकबर मस्जिद का भी निर्माण किया।

छोटा जैन मंदिर भी है मौजूद

गांव के अंदर ही करीब 700 साल पुराना एक छोटा जैन मंदिर भी है जो बेसमेंट में बनाया गया है। गांव के एक निवासी ने बताया कि पहले मुस्लिम राजा हमला किया करते थे और वह लोग मूर्तियों को खंडित कर दिया करते थे।

इसलिए इस मंदिर का निर्माण बेसमेंट में किया गया और यहां पानी की व्यवस्था भी थी। जब राजाओं का हमला होता था तब इन मूर्तियों को पानी में छुपा दिया जाता था। इससे मूर्ति खंडित होने से बच जाती थी।

वही छोटे दिगंबर जैन मंदिर में भी सुंदर चित्रकारी का नजारा साफ-साफ देखा जा सकता है। मंदिर के पुजारी के साथ इस बातचीत का इंटरव्यू हमारे चैनल ‘झलको राजस्थान’ पर उपलब्ध है आप वहां देख भी सकते हैं।

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