राजा मानसिंह के गांव में छिपा है खजाने का भंडार, 52 चूल्हों की हवेली है आकर्षण का केंद्र

राजस्थान हमेशा से ही हवेलियों, महलों और राजाओं के नवाबी शौक की वजह से जाना जाता रहा है। पिंक सिटी के अलावा उसके आस-पास के कई इलाकों में उस समय के अवशेष मौजूद हैं।

आज बात करेंगे जयपुर जिले के मोजमाबाद तहसील में राजा मानसिंह की जन्मस्थली जुड़ी कहानियों की जो आज भी गांव के लोग सुनाते हैं। गांव के इतिहास के बारे में बताते हुए साथ ही हम आपको बताएंगे कि यहां कई तरह के इतिहास के पन्ने छिपे हुए हैं।

वहीं इस गांव को खजाने वाला गांव कहते हैं। हम आपको बता दें कि इस गांव में आज भी अभिनेता अदित्य पंचोली की हवेली मौजूद है।

न्याय का चबूतरा जहां नहीं होता था भेदभाव

गांव के लोंगों ने बातचीत करते हुए बताया कि गांव में आज भी न्याय का चबूतरा मौजूद है। यहां पहले राजा न्याय करते थे जब गांव में दो पक्षों के बीच कोई बातचीत बिगड़ जाती थी। तब यहां न्याय होता था।

इसके अलावा गांव के लोगों का मानना है कि इस हवेली में आज भी खाजाना मौजूद है। यहां से एक सुरंग निकलती है जिसमें आज भी खजाना मौजूद है।

राजा मानसिंह के वजन बराबर खजाना

गांव के कुछ लोगों का यह भी कहना है कि जब राजा मानसिंह इस गांव में रहा करते थे तब उन्हें हर साल उनके वजन के बराबर खजाने से तोला जाता था। लगभग 12-13 साल मानसिंह राजा इस गांव में रहे और हर साल उनके वजन के मुताबिक खजाने से उन्हें तोला जाता था। खजाने को हवेली के नीचे दबा दिया गया था, इसी खोज में कई बार इस हवेली को तोड़ा जा चुका है।

52 परिवार की हवेली भी है मौजूद

वहीं गांव के अंदर 52 चूल्हा की हवेली भी मौजूद है लेकिन अब इस हवेली की हालत अब खंडर की जैसी हो चुकी है। लेकिन गांव के लोग बताते हैं कि यहां पहले 52 परिवार एक साथ रहा करते थे और इसीलिए 52 चूल्हा इस हवेली का नाम पड़ा था।

हवेली के तार मोतीलाल पंचोली के साथ जोड़े जाते हैं, कहा जाता है कि उन्होंने गांव के लिए कई काम भी किए थे। लेकिन बाद में उन्होंने अपने परिवार वालों को इसे संभालने के लिए दे दिया। गांव के इस हवेली की हालत खंडर जैसी हो गई।

परामसाक की हवेली में बना स्कूल

वहीं गांव के कुछ निवासी ने बातचीत करते हुए पाया कि गांव के अंदर परासमक जी का किला मौजूद था। लेकिन बाद में इसे स्कूल बना दिया गया, दरअसल बताया गया कि साल 1941 में इस हवेली के एक हिस्से को तोड़कर अंग्रेजों ने महिला शिक्षा के लिए स्कूल का निर्माण कराया था जिसके बाद 2020 में इस स्कूल को अंग्रेजी मीडियम में कन्वर्ट कर दिया गया।

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