पुलवामा हमले के वीर योद्धा शहीद रोहिताश लाम्बा की शहादत की दास्तां, देखें!! परिवार का दर्द

परिवार का था वो प्यारा लाडला,
मात-पिता की ताकत था।
देश का उसने गौरव बढ़ाया,
दुश्मन के लिए कयामत था।

दोस्त नमस्कार।

दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसे जुझारू वीर की दास्तां सुना रहा हूं। जिसने अपनी शहादत से बीस मिनट पहले फोन करके कहा था कि अब तू फोन मत करना। दोनों बच्चों का ध्यान रखना और जिंदा रहा तो मैं ही फोन करूंगा।अपने छोटे भाई की बच्ची और स्वयं के लड़के के बारे में बताते हुए वह अपनी पत्नी को आदेशित कर रहा था। दोनों बच्चे दो से ढाई महीने के ही हुए थे।

14 फरवरी 2019 का काला दिन। वह दिन जिस दिन इस भारत के 44 सपूतों ने पुलवामा अटैक में अपने जीवन की आखिरी सांस ली थी। इस पुलवामा (Pulwama) अटैक में जयपुर (Jaipur) जिले के शाहपुरा तहसील (Shahpura Tehsil) के गोविंदपुरा बासडी गांव (Govindpura Basdi Village) का रोहिताश लांबा (Rohitash Lamba) भी शहीद हुआ था।

पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए रोहिताश लांबा का जन्म गोविंदपुरा बासडी गांव में 14 जून 1991 को हुआ था। वे 2011 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। रोहिताश लांबा की अपने छोटे भाई जितेंद्र लांबा के साथ में 4 मई 2017 को मंजू देवी तथा हंसा देवी के साथ में शादी हुई थी। रोहिताश की पत्नी मंजू देवी (Manju Devi) ने 10 दिसंबर दो हजार अट्ठारह को बेटे ध्रुव को जन्म दिया। परिवार में पिता बाबूलाल लांबा तथा माता घीसी देवी है। तीन बहनों की शादी हो चुकी है।

जब मंजू देवी से पूछा कि आपने कब बात की थी तो उन्होंने कहा कि रोज मेरे से दो-तीन बार बात करते थे। रात को 12:00 बजे तक भी बात करते थे। लेकिन जिस दिन शहीद हुए थे उसके 20 मिनट पहले उन्होंने बात की थी कि जिंदा रहा तो शाम को 6:00 बजे बात करूंगा। मंजू देवी ने कहा कि मेरे डेढ़ महीने का लड़का और मेरे देवर के दो महीने की लड़की थी के बारे में कहा कि बच्चों का ध्यान रखना। मैं खतरे वाली जगह जा रहा हूं, इसलिए किसी भी प्रकार की कोई चिंता मत करना।

मंजू देवी ने कहा कि मेरे देवर को यदि नौकरी मिल जाए तो हमारे घर का खर्चा चल जाए। अब घर में कमाने वाला कोई नहीं है। हम बहुत परेशान हो रहे हैं। शहादत के समय सब ने बढ़-चढ़कर वादे किए थे, लेकिन अब पूछने वाला कोई नहीं है। सब के चक्कर काट काट कर के थक गए लेकिन कोई नौकरी देने वाला नहीं है। मंजू देवी ने कहा कि तीन ननद है बूढ़े माता-पिता और दो हम, दोनों के बच्चे। यदि देवर को नौकरी मिल जाती तो सब उनके सहारे अपने दिन काट लेते।

स्वार्थ में सारे भरे हुए थे, फोटो खिंचवाने में लीन थे।
काम पड़ा तो पीठ दिखाइ, क्यों वो कायर दीन थे।

नौकरी कब लगी।
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पांच भाई बहनों में रोहिताश बीच का था। रोहिताश लांबा 2011 में सीआरपीएफ (CRPF) में भर्ती हुआ था उनके भाई जितेंद्र लांबा ने कहा कि शहादत के समय सब ने कहा था कि आपकी नौकरी लग जाएगी। लेकिन आज सब के चक्कर काटते काटते परेशान हो गए लेकिन कोई भी सीधे मुंह बात नहीं करता।

शहीद (Shaheed) के पिता बाबूलाल लांबा (Babulal Lamba) ने कहा कि पुलवामा अटैक का दोषी कौन है। आज तक भी उसका मालूम क्यों नहीं पडा। क्या कारण है। उन्होंने कहा कि इंटेलिजेंस की नाकामी है तो किसी को दोषी क्यों नहीं ठहराया जा रहा है। भारत में इतना बड़ा हमला क्यों। हम संतुष्ट नहीं हैं।

भाई जितेंद्र ने कहा कि नेता मुझे चुनाव की टिकट दे रहे थे, लेकिन मैंने कहा कि मुझे टिकट नहीं चाहिए। मुझे नौकरी चाहिए। परिवार का खर्चा चलाने के लिए मुझे नौकरी चाहिए। लेकिन केवल चक्कर लगवा रहे हैं।

अपने विचार।
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गंदी सोच के अफसर नेता,
देश प्रेम की सोचे ना।
देश ऊपर मर मिटने वालों,
के घर परिवार को नोचें ना।

विद्याधर तेतरवाल,
मोतीसर।

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